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आखिर क्या है प्लाज़्मा थेरेपी? कैसे काम करती है ये तकनीक

देश में कोरोना (Corona)की लहर हर रोज लाखों लोगों पर कहर बरपा रही है। इस से बचाव के लिए हर बेजोड़ कोशिश भी की जा रही है।  दुनिया के सभी वैज्ञानिक(Scientist) इसका इलाज ढूंढ़ने में लगे हैं। वैक्सीनेशन अभियान (Vaccination campaign) भारत में तेजी से चलाया जा रहा है। इसी के साथ अलग -अलग पद्धति (method) का प्रयोग भी किया जा रहा है, ताकि इस बीमारी से लोगों की जान बचाई जा सकें। उन्हीं में से एक है प्लाज्मा थैरेपी(Plasma therapy)। जो लोग इन्फेक्शन से रिकवर(Infection recovery) हो चुके हैं वे अपना प्लाज्मा रिकवरी के 28-30 दिन बाद डोनेट(Donate) कर सकते हैं। उनकी उम्र 18 से 60 वर्ष के बीच होना आवश्यक है। वजन भी 50 किलो या अधिक होना चाहिए।

प्लाज्‍मा क्या है?(What is Plasma?)
प्लाज्मा खून में मौजूद तरल पदार्थ (Liquid substance)होता है। यह पीले रंग का होता है। इसकी मदद से सेल्स और प्रोटीन (Sales and Protein) शरीर के विभिन्न अंगों में खून पहुंचाता है। शरीर में इसकी मात्रा 52 से 62 फीसदी तक होती है। वहीं रेड ब्लड सेल्स(Red blood cells) 38 से 48 फीसदी तक होता है।

प्लाज्मा थैरेपी क्या होती है?(What is plasma therapy?)
कॉन्वल्सेंट प्लाज्मा थैरेपी(Convulsant Plasma Therapy) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें इन्फेक्शन से रिकवर हुए व्यक्ति के शरीर से खून लिया जाता है। जो व्यक्ति कोविड-19(COVID-19) से ठीक हो गए है। उनकी बॉडी से खून निकालकर प्लाज्मा को अलग किया जाता है। जिस कोविड पेशेंट (Covid Patient) की बॉडी से प्लाज्मा लिया जाता है । उसके ब्लड में एंटीबाडीज (Antibodies)होती है। वह एंटीबाडीज एंटीजन से लड़ने में मदद करती है। यह एंटीबाडीज कोविड संक्रमितों (Covid Infections)को दी जाती है। डॉ के मुताबिक एक इंसान के प्लाज्मा से दो इंसानों का इलाज किया जा सकता है।

प्लाज्मा कब डोनेट किया जा सकता है?(When can plasma be donated?)
कोविड से ठीक होने के दो सप्ताह यानि 14 दिन बाद आप रक्त डोनेट (Blood donate)कर सकते हैं।

प्लाज्मा कौन डोनेट नहीं कर सकता है?(Who can not donate plasma?)
डायबिटीज(Diabetes), कैंसर(Cancer), हाइपरटेंशन(Hypertension), किडनी, लिवर के पैशेंट प्लाज्मा डोनेट(Plasma donate) नहीं कर सकते हैं।

प्लाज्मा से रिएक्शन का खतरा भी रहता है? (Plasma also poses a risk of reaction?)
इससे एलर्जिक रिएक्शन(Allergic reaction), सांस लेने में प्रॉब्लम हो सकती है। हालांकि आज की स्थिति में प्लाज्मा से कई लोग ठीक हो रहे हैं। यह समस्या बहुत दुर्लभ स्थिति में हो रही है। इटली में प्लाज्मा थेरेपी से मृत्यदर में गिरावट दर्ज की गई है।

वैक्सीन और प्लाज्मा थेरेपी में क्या अंतर है?(What is the difference between vaccine and plasma therapy?)
दोनों आपकी बॉडी में एंटीबाडीज (Antibodies in the body)पैदा करती है। लेकिन तरीका अलग – अलग है। जी हां, वैक्सीन किसी वायरस को आपकी बॉडी में फैलने से रोकने में मदद करती है। यह आपके इम्यून सिस्टम (Immune system)को मजबूत करती है। इसका परीक्षण कर इसे बनाया जाता है। करीब 1 साल या उससे अधिक समय भी लग जाता है।

क्या हैं फायदें? (What are the benefits?)
एक दिलचस्प बात ये है कि एक स्वस्थ व्यक्ति के दान किए गए प्लाज़्मा सेल्स से दो मरीज़ों का इलाज किया जा सकता है। हमारे शरीर में बह रहे खून का 50 प्रतिशत प्लाज़्मा होता है और इसे कई बार दान भी किया जा सकता है। साल 1918-1920 में स्पैनिश फ्लू महामारी(Spanish flu pandemic) के दौरान भी मरीज़ों के इलाज में प्लाज़्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया गया था। यहां तक कि, इबोला और एच1एन1 (Ebola and H1N1)यानी स्वाइन फ्लू (swine flu)के प्रकोप के समय भी WHO ने इसी थेरेपी को अपनाने की सलाह दी थी।

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