ज्योतिष

मंत्र जप की माला में क्यों होते हैं 108 दाने, जानें इससे जुड़ी धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताएं

भारतीय पूजा-उपासना पद्धति में जप करना का एक अभिन्न अंग रहा है। जप के लिए माला की जरूरत होती है, जो रुद्राक्ष, तुलसी, वैजयंती, स्फटिक, मोतियों या नगों से बनी हो सकती है। हिंदू धर्म में मंत्र जाप के लिए जिस माला का उपयोग करते है, उस माला में दानों की संख्या 108 होती है। शास्त्रों में इस संख्या 108 का अत्यधिक महत्व होता है। क्या आपने कभी ग़ौर किया है कि जाप की सभी मालाओं में 108 दाने ही क्यों होते हैं? संख्या 108 ही क्यों है, 107 या 109 क्यों नहीं? इसके पीछे कई धार्मिक, ज्योतिषीय और वैज्ञानिक मान्यताएं हैं। आइए हम यहां जानते हैं ऐसी ही मान्यताओं के बारे में, साथ ही जानेंगे आखिर क्यों करना चाहिए मन्त्र जाप के लिए माला का प्रयोग ।

बड़ा दाना होता है जिसे ‘सुमेरु’
जप माला में 108 दाने होते हैं और माला के ऊपरी भाग में एक बड़ा दाना होता है जिसे ‘सुमेरु’ कहते हैं । सुमेरु का माला में विशेष महत्व होता है । जप संख्या की गिनती सुमेरु से शुरु होती है और माला पूरी होने पर सुमेरु पर ही समाप्ति होती है । एक बार माला जब पूर्ण होती है, तो अपने इष्टदेव का स्मरण कर सुमेरु को मस्तक से स्पर्श कर जप इष्ट को समर्पित किया जाता है । फिर माला उलटकर पुन: शुरु से 108 माला का चक्र शुरु किया जाता है । सुमेरु को लांघा नहीं जाता है । ऐसा माना जाता है कि ब्रह्माण्ड में सुमेरु की स्थिति सर्वोच्च होती है ।

माला का एक-एक दाना सूर्य की एक-एक कला का प्रतीक होता है
एक मान्यता के अनुसार माला के 108 दाने और सूर्य की कलाओं का गहरा संबंध है। एक वर्ष में सूर्य 216000 कलाएं बदलता है और वर्ष में दो बार अपनी स्थिति भी बदलता है। छह माह उत्तरायण रहता है और छह माह दक्षिणायन। अत: सूर्य छह माह की एक स्थिति में 108000 बार कलाएं बदलता है।

सूर्य से गहरा रिश्ता
पहली मान्यता के अनुसार मालाओं का सूर्य से बहुत गहरा रिश्ता होता है, इसीलिए उनमें 108 दाने होते हैं। इस मान्यता के अनुसार, सूर्य सालभर में कुल 2,16,000 कलाएं बदलता है। इस दौरान सूर्य दो बार अपनी स्थिति भी बदलता है यानी छह महीने उत्तरायण और बाकी छह महीने दक्षिणायन। इस तरह कह सकते हैं कि सूरज छह महीने में कुल एक लाख आठ हज़ार (1,08,000) बार कलाएं बदलता है। संख्या 1,08,000 से अंतिम तीन शून्य को हटा दें, तो अंक 108 बनता है। यह भी कहा जाता है कि सृष्टि में सूर्य ही एकमात्र साक्षात दिखनेवाले देवता हैं, इसलिए उनकी कलाओं के आधार पर संख्या 108 तय की गई है। किसी माला का हर दाना सूर्य की एक हज़ार।

सांसों की संख्या दर्शाता है
दूसरी मान्यता के अनुसार माला के दानों की संख्या का निर्धारण एक पूर्ण तंदुरुस्त आदमी के दिनभर में सांस लेने की संख्या के मुताबिक़ हुआ है।  अमूमन, एक व्यक्ति 24 घंटे में 21600 बार सांस लेता है यानी 12 घंटे में वह कुल 10800 बार सांस लेता है।  शास्त्रों में कहा गया है कि 10800 बार मंत्रोच्चारण करते समय प्रभु को याद करना बहुत ज़रूरी है. चूंकि यह मुश्किल काम है, इसीलिए 10800 बार सांस लेने की संख्या से अंतिम दो शून्य हटाकर जाप के लिए 108 संख्या तय कर दी गई।  इसी आधार पर माला में 108 दाने होते हैं।  जैसा कि हम जानते हैं, सांस का संबंध सीधे हमारी सेहत से होता है।  अगर आदमी की श्‍वसन प्रणाली दुरुस्त है, तो इसका मतलब है कि शरीर के लिए
आवश्यक ऑक्सीजन की पूर्ति हो रही है।

ग्रहों व राशियों की चाल का प्रभाव
तीसरी मान्यता ज्योतिष के सिद्धांत पर आधारित है. ज्योतिष शास्त्र ब्रह्मांड को 12 राशियों में विभाजित करता है. इन 12 राशियों के नाम मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्‍चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन हैं।  इन राशियों में नौ ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु विचरण करते हैं।  अत: 9 ग्रहों को 12 राशियों से गुणा करने पर संख्या 108 प्राप्त होती है और इसीलिए माला में 108 दाने होते हैं. ग्रहों व राशियों की चाल का सीधा प्रभाव हमारी सेहत पर पड़ता है, जिसे संतुलित रखने के लिए हमें 108 बार जाप करना पड़ता है।

नक्षत्रों के चरणों पर आधारित
चौथी मान्यता भी ज्योतिष से ही संबंधित है।  इसके अनुसार ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 नक्षत्र बताए गए हैं।  हर नक्षत्र के 4 चरण होते हैं और 27 नक्षत्रों के कुल चरण 108 ही होते हैं।  माला का एक-एक दाना, नक्षत्र के एक-एक चरण का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए लोग मंत्र जाप के लिए 108 दानोंवाली माला का इस्तेमाल करते हैं।

108 के लिए ज्योतिष की मान्यता
ज्योतिष के अनुसार ब्रह्मांड को 12 भागों में विभाजित किया गया है। इन 12 भागों के नाम मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन हैं। इन 12 राशियों में नौ ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु विचरण करते हैं। अत: ग्रहों की संख्या 9 का गुणा किया जाए राशियों की संख्या 12 में तो संख्या 108 प्राप्त हो जाती है।
संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रतिनिधित्व करती है यह संख्या
माला के दानों की संख्या 108 संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रतिनिधित्व करती है। एक अन्य मान्यता के अनुसार ऋषियों ने माला में 108 दाने रखने के पीछे ज्योतिषी कारण बताया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल 27 नक्षत्र बताए गए हैं। हर नक्षत्र के 4 चरण होते हैं और 27 नक्षत्रों के कुल चरण 108 ही होते हैं। माला का एक-एक दाना नक्षत्र के एक-एक चरण का प्रतिनिधित्व करता है।

एक मान्यता ये भी
एक अन्य मान्यता के अनुसार ऋषियों ने माला में 108 दाने रखने के पीछे ज्योतिषी कारण बताया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल 27 नक्षत्र बताए गए हैं। हर नक्षत्र के 4 चरण होते हैं और 27 नक्षत्रों के कुल चरण 108 ही होते हैं। माला का एक-एक दाना नक्षत्र के एक-एक चरण का प्रतिनिधित्व करता है।

इसलिए किया जाता है माला का उपयोग
जो भी व्यक्ति माला की मदद से मंत्र जप करता है, उसकी मनोकामनएं बहुत जल्द पूर्ण होती हैं। माला के साथ किए गए जप अक्षय पुण्य प्रदान करते हैं। मंत्र जप निर्धारित संख्या के आधार पर किए जाए तो श्रेष्ठ रहता है। इसीलिए माला का उपयोग किया जाता है।

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