रिसर्च में हुआ खुलासा कारगर है माइक्रोनिडलिंग प्रोसेस, कील-मुंहासों के दाग-धब्बों से मिलेगी निजात!
टीनएज हो चाहे युवावस्था, इस एज में कील-मुंहासे होना बहुत ही आम बात है। अधिकांश युवाओं और टीनएजर्स को कील-मुंहासों के दौर से गुजरना पड़ता है, लेकिन कील-मुंहासों को हटाना आसान नहीं है।
लाइफस्टाइल डेस्क : टीनएज हो चाहे युवावस्था, इस एज में कील-मुंहासे होना बहुत ही आम बात है। अधिकांश युवाओं को कील-मुंहासों के दौर से गुजरना पड़ता है, लेकिन कील-मुंहासों को हटाना आसान नहीं है। हालांकि टीनएज गुजर जाने के बाद कील-मुंहासे अपने आप खत्म हो जाते हैं, लेकिन कई बार युवावस्था में भी कील मुंहासे रह जाते है। लेकिन इसके बाद भी कई बार कील मुंहासे खत्म हो जाने के बाद भी 3-4 साल का दौर चेहरे के लिए बहुत बुरा रहता है।
जब कील-मुंहासे समय के साथ गायब हो जाते हैं तो कुछ लोगों में इन कील-मुंहासे के दाग-धब्बे रह जाते हैं। जो बहुत दिनों तक शर्मिंदगी का एहसास कराते हैं। आम तौर पर चेहरे से इन दाग-धब्बों को हटाने के लिए क्रीम का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन बहुत कम मामलों में क्रीम से सौ फीसदी दाग-धब्बे जाते हैं। जब चेहरे पर दाग-धब्बे नहीं हटते तो ये और एंबेरेसिंग हो जाते हैं। अब वैज्ञानिकों ने इसका समाधान खोज लिया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इन कील-मुंहासे से बने दाग-धब्बे को पूरी तरह से हटाया जा सकता है और यह क्रीम के मुकाबले ज्यादा असरदार भी है।
कोलेजन को सक्रिय किया जाता
एक यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने कील-मुंहासे को हटाने के लिए माइक्रोनिडलिंग प्रोसेस एक तकनीक इजाद की है। जिससे दाग-धब्बे की जगह बहुत छोटी सी निडल को घुसाया जाता है और इससे स्किन के नीचे कोलेजन को सक्रिय कर दाग-धब्बे को हमेशा के लिए खत्म करने को प्रोत्साहित किया जाता है। एक प्रोफेसर ने अपने साथी शोधकर्ताओं के साथ लगभग 60 मरीजों पर इसका सफल प्रयोग किया है। वे बताते है कि एक्ने स्कार और डार्क स्किन यानी पिंपल्स के कारण चेहरे पर दाग-धब्बे वाले मरीजों में माइक्रोनिडलिंग विधि से प्रत्येक दो सप्ताह में एक बार इलाज किया गया। 12 सप्ताह तक माइक्रोनिडलिंग विधि से इलाज करने के बाद चेहरे से दाग-धब्बे हमेशा के लिए गायब हो गए।
क्या है माइक्रोनिडलिंग प्रोसेस
माइक्रोनिडलिंग विधि एक कॉस्मेटिक प्रक्रिया है। जिसमें बहुत ही सूक्ष्म निडिल का इस्तेमाल किया जाता है। इस निडिल को दाग-धब्बे वाली जगहों में घुसाया जाता है। इससे कोलेजन का उत्पादन बढ़ जाता है और दाग-धब्बे अपने आप घटने लगते हैं।
फिलहाल इसके लिए ग्लायकोलिक एसिड केमिकल क्रीम को दाग-धब्बे वाली जगहों पर लगाया जाता है, लेकिन ये क्रीम स्किन के ऊपरी लेयर को भी हटा देती है। जिसके कारण स्किन खराब दिखने लगती है। शोधकर्ताओं ने दोनों विधि से दाग-धब्बे को हटाने के लिए ये प्रयोग किया है। जिसमें माइक्रोनिडलिंग तकनीकी ज्यादा कारगर साबित हुई है।