ताज़ा ख़बरप्रमुख खबरें

रक्षामंत्री बोले-भारत को मजबूत रक्षा और राजनयिक सिद्धांत के साथ प्रस्तुत किया सावरकर ने

नई दिल्ली उदय माहुरकर (Uday Mahurkar) और चिरायु पंडित (chirayu pandit) की लिखी किताब ‘वीर सावरकर- द मैन हू कैन्ड प्रिवेंटेड पार्टिशन (Veer Savarkar – The Man Who Can Prevent Partition)’ का देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) ने विमोचन किया। इस दौरान सिंह ने कहा कि वीर सावरकर (Veer Savarkar) ने भारत को मजबूत रक्षा और राजनयिक सिद्धांत के साथ प्रस्तुत किया। उन्होंने सावरकर को 20वीं शताब्दी में भारत (India) के सबसे बड़े और पहले रक्षा और रणनीतिक मामलों का विशेषज्ञ (strategic affairs specialist) बताया। उन्हें विचारधारा के चश्मे से देखने वालों को माफ नहीं किया जा सकता। वे हिंदुत्व को मानते थे, लेकिन वह हिंदूवादी नहीं थे। राष्ट्रवादी थे।

दिल्ली में सावरकर पर एक किताब के विमोचन के मौके पर रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि मार्क्सवादी (Marxist) और लेनिनवादी विचारधाराओं (Leninist ideologies) का पालन करने वाले लोगों ने सावरकर पर फासीवादी और हिंदुत्व (Fascist and Hindutva) के समर्थक होने का आरोप लगाया। आगे बोलते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि सावरकर के बारे में विपक्ष द्वारा हमेशा झूठ फैलाया जाता रहा है कि 1910 में आजीवन कारावास की सजा काट रहे सावरकर ने ब्रिटिश हुकूमत के सामने दया याचिका दी थी। जबकि, सच यह है कि उन्होंने महात्मा गांधी के कहने पर ऐसा किया था।

राजनाथ सिंह ने कहा कि उन्हें बदनाम करने के लिए एक अभियान चलाया गया था। उन्होंने कहा, वह एक स्वतंत्रता सेनानी (freedom fighter) थे और इसके बारे में कोई दो राय नहीं है। उसे अन्यथा चित्रित करना क्षम्य नहीं है। य्आगे कहा कि RSS के विचारक सावरकर ने भारत को मजबूत रक्षा और राजनयिक सिद्धांत के साथ प्रस्तुत किया। वह भारत के सबसे बड़े और पहले रक्षा मामलों के विशेषज्ञ थे।





संघ प्रमुख बोले-सावरकर को बदनाम करने चलाई गई मुहिम
संघ प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद से ही विनायक दामोदर सावरकर को बदनाम करने की मुहिम चलाई गई। आज के समय में वास्तव में वीर सावरकर के बारे में सही जानकारी का अभाव है। दरअसल, निशाना कोई व्यक्ति नहीं था बल्कि राष्ट्रवाद था।

मार्क्सवादी लगाते हैं आरोप
रक्षामंत्री ने कहा कि मार्क्सवादी और लेनिनवादी विचारधाराओं के लोग वीर सावरकर पर फासीवादी और हिंदुत्व का समर्थक हाने का आरोप लगाते हैं। सावरकर को बदनाम करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। जबकि, उनकी विचारधारा राष्ट्रवादी थी। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व को लेकर सावरकर की एक सोच थी जो भारत की भौगोलिक स्थिति और संस्कृति से जुड़ी थी। उनके लिए हिन्दू शब्द किसी धर्म, पंथ या मजहब से जुड़ा नहीं था बल्कि भारत की भौगोलिक एवं सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा था । उन्होंने कहा, ह्यइस सोच पर किसी को आपत्ति हो सकती है लेकिन इस विचार के आधार पर नफरत करना उचित नहीं है।

Web Khabar

वेब खबर

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button