मोहन के इस बयान से भड़के छात्र, जानें छात्र संघ चुनाव को लेकर कहा है मंत्री
भोपाल। मध्यप्रदेश में इस साल भी छात्रसंघ चुनाव पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। चुनाव नहीं कराने के पीछे सरकार ने कोरोना का हवाला दिया है। उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने कहा है कि कोरोना अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है, ऐसे में छात्र संघ का चुनाव कराना उचित नहीं है। कोरोना की स्थिति में सुधार होने के बाद इस बारे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा की जाएगी, जिसके बाद इस बारे में फैसला लिया जाएगा।
बता दें कि पूरे प्रदेश में आठ सरकार यूनिवर्सिटी और 1327 प्राइवेड मेडिकल कॉलेज हैं। कोरोना महामारी के चलते पिछले दो सालों से छात्र संघ के चुनाव नहीं हुए हैं। बार-बार चुनाव टलने के कारण छात्र निराश नजर आ रहे हैं। छात्रों ने तर्क देते हुए कहा कि अगर प्रदेश में त्रिस्तरीय चुनाव हो सकते हैं तो छात्र संघ चुनाव क्यों नहीं। बता दें कि बीते कुछ पहले में मप्र में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव संपन्न कराए गए हैं।
इसी कड़ी में एबीवीपी ने भी उच्च शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर छात्र संघ चुनाव कराने की मांग की है। प्रांत संगठन मंत्री प्रवीण शर्मा ने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने चुनाव कराने की मांग को लेकर उच्च शिक्षा मंत्री और दूसरे नेताओं को पत्र लिखा है। और मांग की है कि जल्द से जल्द छात्रसंघ के चुनाव हों।
प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने उठ रही है मांग
प्रदेश के कॉलेजों में 2017 में अप्रत्यक्ष प्रणाली से छात्र संघ चुनाव कराए थे। उस समय छात्र संगठनों ने राज्य सरकार से चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराए जाने की मांग की थी। इसे खारिज कर दिया गया था। प्रत्यक्ष प्रणाली से आखिरी बार 2003 में छात्र संघ चुनाव हुए थे। तब से अब तक लगातार छात्र संगठनों के नेता प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराए जाने की मांग कर रहे हैं।
एनएसयूआई के कार्रकर्ताओं ने शिवराज का जलाया था पुतला
इतना ही नहीं हाल ही में मध्य प्रदेश में निष्पक्ष प्रणाली से छात्र संघ चुनाव की मांग को लेकर कांग्रेस की छात्र संघ इकाई एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के गेट पर प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का पुतला दहन किया था। उस दौरान एनएसयूआई मेडिकल विंग के रवि परमार ने शिवराज सरकार को डरपोक बताते हुए कहा था कि शिवराज सरकार छात्र संघ चुनाव में बीजेपी की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की हार से डरती है। इसलिए मध्य प्रदेश में निष्पक्ष प्रणाली से छात्र संघ चुनाव नहीं करवा रही हैं।