सीरो सर्वे में खुलासा: पंजाब में 42% बच्चों में नहीं मिली एंटीबॉडी, बढ़ा तीसरी लहर का खतरा
चंडीगढ़। कोरोना की तीसरी लहर (third wave of corona) में वैज्ञानिकों (scientists) द्वारा सबसे ज्यादा खतरा बच्चों (kids) के लिए बताया जा रहा है। इन संभावनाओं के बीच पंजाब सरकार (Punjab Government) ने पिछले महीने 6 से 17 साल के बच्चों का सीरो सर्वे (sero survey) कराया था। सर्वे में 42 फीसदी से बच्चे ऐसे मिले हैं जिनकी एंटीबॉडी नहीं बन पाई है। हालांकि सीरो सर्वे का काम जुलाई के अंत तक पूरा होना था, लेकिन चिकित्सकों की हड़ताल के कारण नमूने लेने के काम में स्वास्थ्य विभाग को परेशानी हुई थी। खबर के मुताबिक सीरो सर्वे की आखिरी रिपोर्ट भी बनाई जानी है।
स्वास्थ्य विभाग विभाग ने कुछ जिलों से 1500 से अधिक बच्चों के नमूने लिए थे, जिनकी जांच में 58 प्रतिशत नमूनों में एंटीबॉडी (Antibodies) मिले हैं, जबकि 42 प्रतिशत बच्चों के शरीर में एंटीबॉडी नहीं बन पाई है। सर्वे के दौरान अधिकतर नमूने शहरी क्षेत्रों से लिए गए थे। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार बच्चों को खतरे से बचाने के लिए माता-पिता की जिम्मेदारी अब और ज्यादा बढ़ गई है। ऐसे में इन बच्चों को कोरोना की संभावित तीसरी लहर में सबसे अधिक खतरा स्वास्थ्य विशेषज्ञ बता रहे हैं।
सर्वे की प्राथमिक जांच में मोगा जिले के बच्चों में सबसे अधिक एंटीबॉडी मिली हैं। इस जिले के 82 प्रतिशत बच्चों में एंटीबॉडी, पटियाला जिले में सबसे कम 16 प्रतिशत एंटीबॉडी पाई गई हैं। हालांकि यह शुरूआती आंकड़े हैं, कुछ दिनों में अंतिम रिपोर्ट तैयार होने के बाद ही असली स्थिति सामने आ सकेगी।
शरीर में एंटीबॉडी का विकसित होना कोविड-19 (Covid-19) के खिलाफ लड़ाई में बेहद अहम है। यह या तो वैक्सीनेशन (vaccination) से हो सकता है या किसी व्यक्ति के वायरस से संक्रमित होने के बाद बनता है। एंटीबॉडी संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। यह शरीर को दोबारा संक्रमित होने से भी बचाता है। शरीर पर वायरस, बैक्टीरिया या कोई बाहरी सूक्ष्म जीव हमला करता है, तो हमारा इम्यून सिस्टम (immune system) उससे लड़ने के लिए अपने आप एक्टिव होता है। एंटीबॉडी प्रोटीन होते हैं, जो शरीर में संक्रमण होने या वैक्सीन लगने के तुरंत बाद इम्यून सिस्टम द्वारा बनाए जाते हैं।