सिद्धू की बढ़ सकती है टेंशन: रोडरेज मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित, हत्या का है आरोप
नई दिल्ली, चंडीगढ़। रोडरेज मामले में कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ कल शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। सिद्धू के खिलाफ नोटिस की अवधि बढ़ाने की मांग वाली एक अर्जी पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। बता दें कि रोड रेज का मामला 27 दिसंबर 1988 का यानि 34 साल पुराना है। उन पर आरोप है कि सड़क पर सिद्धू का गुरनाम सिंह से विवाद हो गया था। सिद्धू ने उन्हें घूंसा मार दिया, जिससे उनकी मौत हो गई।
सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि 1988 के रोड रेज मामले में मुझे दी गई सजा की समीक्षा से संबंधित मामले में नोटिस का दायरा बढ़ाने की मांग करने वाली याचिका प्रक्रिया का दुरुपयोग है। याचिकाकर्ताओं और सिद्धू की ओर से पेश अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस एएम खानविल्कर की पीठ के समक्ष सिद्धू के वकीलों ने कहा कि उनका इरादा हत्या करने का नहीं था। यह झगड़ा गाड़ी पार्क करने को लेकर हुआ था, जिसमें हाथापाई में गुरनमा सिंह के चोट लग गई और बाद में उनकी मृत्यु हो गई थी।
याचिका में कहा गया कि घटना के 38 साल बाद अब सजा बढ़ाने पर की मांग करना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है। कोर्ट को इस याचिका को खारिज कर देना चाहिए। सिद्धू की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता व कांग्रेस सांसद एएम सिंघवी और आर वसंत पेश हुए। वहीं याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने बहस की। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को क्रिकेटर से नेता बने नवजोत सिंह सिद्धू से कहा कि 1988 के रोड रेज मामले में समीक्षा याचिकाओं के समय पर सवाल उठाना उचित नहीं था।
आपको बता दें कि सिद्धू इस मामले में चार साल तक पेश नहीं हुए थे। सितंबर 2018 में पीड़ितों द्वारा दायर की गई समीक्षा याचिका पर पहली बार नोटिस जारी किया गया था। न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और संजय किशन कौल की पीठ ने कहा, ”इस मामले का चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है। जब आप नोटिस जारी होने के बावजूद हाजिर नहीं होते हैं तो आपकी ओर से टिप्पणी करना उचित नहीं है।”