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सुसाइड नोट में नाम होने के बावजूद आखिर क्यों कोर्ट ने कांडा को किया बरी?

करीब 11 साल बाद फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने मैनेजर अरुणा चड्ढा को भी राहत देते हुए बरी कर दिया। इस दौरान कोर्ट ने ये भी बताया कि किस आधार पर आरोपियों को बरी किया जा रहा है।

नई दिल्ली : चर्चित एयर होस्टेस गीतिका शर्मा सुसाइड केस में राउज एवेन्यू कोर्ट ने आज फैसला सुनाया। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए आरोपी और पूर्व मंत्री गोपाल कांडा को राहत देते हुए बरी कर दिया गया। करीब 11 साल बाद फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने मैनेजर अरुणा चड्ढा को भी राहत देते हुए बरी कर दिया। इस दौरान कोर्ट ने ये भी बताया कि किस आधार पर आरोपियों को बरी किया जा रहा है।

कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए क्या कहा
गोपाल कांडा को बरी करने के फैसले में राऊज एवेन्यू कोर्ट ने कहा, “गीतिका शर्मा के सुसाइड नोट के आधार पर गोपाल कांडा को दोषी साबित नहीं किया जा सकता। महज सुसाइड नोट में किसी आरोपी के नाम का जिक्र भर होने से किसी को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी नहीं माना जा सकता।”

धोखे का कोई जिक्र नहीं- कोर्ट 
कोर्ट ने कहा कि सुसाइड नोट में गीतिका ने अपने नजरिए से गोपाल कांडा को खराब इंसान जरूर बताया लेकिन कोई ऐसी घटना का जिक्र नहीं किया। जिससे लगे कि उसके साथ कोई धोखा हुआ या आरोपियों ने उसके साथ विश्वासघात किया। गीतिका शर्मा की मौत से 7-8 महीने पहले तक गीतिका शर्मा और गोपाल कांडा के बीच टेलीफोन पर कोई बातचीत नहीं हुई थी। 

पुलिस नहीं पेश कर पाई पुख्ता सबूत
कोर्ट ने आरोपियों को बरी करते हुए आगे कहा, गीतिका शर्मा और इस केस में सह आरोपी अरुणा चड्डा के बीच भी एक महीने से भी बातचीत नहीं हुई थी। गीतिका और गोपाल कांडा के बीच दोस्ताना संबंध थे, दोनों एक साथ कई जगह घूमने जाया करते थे। गोपाल कांडा ने भी गीतिका को फायदा पहुंचाया। इसलिए पुलिस का ये कहना कि आरोपियों ने ऐसे हालात बनाए कि गीतिका के आत्महत्या के अलावा कोई विकल्प नहीं था, सही नहीं है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दिल्ली पुलिस पुख्ता सबूत पेश करने में विफल रही।

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