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केंद्र सरकार ने तैयार की वॉन्टेड गैंगस्टर की लिस्ट, गोल्डी बराड़ समेत 28 गैंगस्टर के नाम शामिल

केंद्र सरकार ने वॉन्टेड गैंगस्टर की लिस्ट तैयार कर ली है। जिसमें 28 गैंगस्टर्स के नाम शामिल है। बता दें इस लिस्ट में ऐसे गैंगस्टर के नाम शामिल है जो भारत से बाहर छिपकर बैठे है।

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने वॉन्टेड गैंगस्टर की लिस्ट तैयार कर ली है। जिसमें 28 गैंगस्टर्स के नाम शामिल है। बता दें इस लिस्ट में ऐसे गैंगस्टर के नाम शामिल है जो भारत से बाहर छिपकर बैठे है। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि इन 28 में से नौ कनाडा में और पांच गैंगस्टर्स अमेरिका में बैठे हैं। ये वो गैंगस्टर्स हैं। जिन पर मर्डर, एक्सटॉर्शन और किडनैपिंग जैसे गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।

गोल्डी बराड़ का नाम भी शामिल

इस लिस्ट में सतिंदरजीत सिंह उर्फ गोल्डी बराड़ नाम भी शामिल है। गोल्डी बराड़ को पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या का मास्टरमाइंड माना जाता है। गोल्डी बराड़ लॉरेंस बिश्नोई गैंग का सदस्य है। पिछले साल 29 मई को सिद्धू मूसेवाला की हत्या हो गई थी। इस लिस्ट में एक बड़ा नाम अनमोल बिश्नोई उर्फ भानू का भी है। इसके अमेरिका में छिपे होने की आशंका है। भानू पर आतंकी हमलों को अंजाम देने के साथ-साथ फिल्म और कॉर्पोरेट वर्ल्ड से जुड़े लोगों की टारगेट किलिंग्स करने का आरोप है।

अमेरिका-कनाडा में कौन-कौन?

कनाडा में सुखदुल सिंह उर्फ सूखा दुनेके, गोपिंदर सिंह उर्फ बाबा डल्ला, सतवीर सिंह वारिंग उर्फ सैम, स्नोवर ढिल्लन, लखबीर सिर्फ उर्फ लांडा, अर्शदीप सिंह उर्फ अर्श डाला, चरणजीत सिंह उर्फ रिंकू बिहला, रमनदपीप सिंह उर्फ रमन जज और गगनदीप सिंह उर्फ गगना हाथुर।

अमेरिका में सतिंदरजीत सिंह उर्फ गोल्डी बराड़, अनमोल बिश्नोई, हरजोत सिंह गिल, दरमनजीत सिंह उर्फ दरमनजीत खालों और अमृत बाल।

और कौन कहां छिपकर बैठा?

– यूएई में विक्रमजीत सिंह बराड़ उर्फ विक्की और कुलदीप सिंह उर्फ नवनशहरिया के होने की संभावना है। जबकि रोहित गोडारा यूरोप में, गौरव पटयाल उर्फ लकी पटयाल अर्मेनिया में, सचिन थपन उर्फ सचिन बिश्नोई अजरबैजान में, जगजीत सिंह गांधी और जैकपाल सिंह उर्फ लाली धालीवाल मलेशिया में बैठा है।

– लिस्ट के मुताबिक, हरविंदर सिंह उर्फ रिंडा पाकिस्तान में, राजेश कुमार उर्फ सोनू खत्री ब्राजील में, संदीप ग्रेवाल उर्फ बिल्ला इंडोनेशिया में, मनप्रीत सिंह उर्फ पीता फिलीपींस में, सुप्रीत सिंह उर्फ हैरी चराथा जर्मनी में, गुरजंत सिंह उर्फ जनता ऑस्ट्रेलिया में और रमनजीत सिंह उर्फ रोमी के हॉन्गकॉन्ग में होने की संभावना है।

दो रास्ते, जिससे वापस आ सकते हैं ये गैंगस्टर

पहलाः प्रत्यर्पण संधि

– प्रत्यर्पण यानी वापस लौटाना। भारत की 48 देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि या एक्स्ट्राडिशन ट्रीटी है। ये दो देशों के बीच एक समझौता होता है। अगर एक देश का अपराधी किसी दूसरे देश पहुंच जाए तो समझौते के तहत उसे वापस भेजना होगा।

– हालांकि, ये उतना आसान होता नहीं है। जब भी कोई देश किसी दूसरे देश से उसके अपराधी के प्रत्यर्पण की मांग करता है तो अपराधी उसे होस्ट कंट्री की अदालत में चुनौती दे देता है।

– अक्सर अपराधी ये दलील देते हैं कि उनके अपने देश की जेल में जान का खतरा है या फिर रास्ते में ही उन्हें मार दिया जाएगा। कई बार तो वो ये तक दलील देते हैं कि वहां का मौसम उनकी सेहत के लिए ठीक नहीं है।

दूसराः इंटरपोल

– अगर कोई गैंगस्टर किसी ऐसे देश में छिपा है जिसके साथ भारत की प्रत्यर्पण संधि नहीं है तो फिर ऐसे में इंटरपोल काम आता है। इंटरपोल यानी इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस ऑर्गनाइजेशन दुनिया का सबसे बड़ा पुलिस संगठन है। इसका हेडक्वार्टर फ्रांस में है और ये अंतरराष्ट्रीय अपराधियों की धरपकड़ करने में मदद करता है।

– दुनिया के 195 देश इंटरपोल के सदस्य हैं। भारत भी है। जब कोई अपराधी पुलिस या जांच एजेंसियों से बचने के लिए दूसरे देश भाग जाता है तो उसका पता लगाने और पकड़ने के लिए इंटरपोल से नोटिस जारी करने की अपील की जाती है।

– इंटरपोल अपराधियों के खिलाफ कई तरह के नोटिस जारी करता है। इसमें सबसे अहम होता है- रेड कॉर्नर नोटिस। ये किसी देश से भागे हुए अपराधी को ढूंढने के लिए जारी किया जाता है। इसके जरिए दुनियाभर के देशों को उस अपराधी के अपराधों की जानकारी दी जाती है और सदस्य देशों की पुलिस को सचेत किया जाता है।

– हालांकि, रेड कॉर्नर नोटिस अरेस्ट वारंट नहीं होता है। रेड कॉर्नर नोटिस के जरिए पकड़े गए अपराधी को उस देश में वापस भेज दिया जाता है, जहां उसने अपराध किया होता है।

अंतरराष्ट्रीय कानून का पेच भी फंसता है!

– भारत की अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, सऊदी अरब और रूस जैसे बड़े देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि है। हालांकि, प्रत्यर्पण को लेकर हर देश का अपना अलग कानून है और वहां की प्रक्रिया भी अलग है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय कानून में प्रत्यर्पण से जुड़ी कुछ आम बातें हैं।

– अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत, राजनीतिक अपराध, सैन्य अपराध या धार्मिक अपराध के आरोपी को प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता।

– इतना ही नहीं, इसके लिए डबल क्रिमिनैलिटी भी होना जरूरी है। यानी जिस व्यक्ति को प्रत्यर्पित करने की मांग की गई है, उसका अपराध दोनों देशों को मानना जरूरी है। मसलन, भारत ने गोल्डी बराड़ को कई सारे मामलों में आरोपी बनाया है, तो अमेरिका को भी ये लगना चाहिए कि उसने जो भारत में किया, वो सच में अपराध है।

– तीसरी बात ये कि जिस अपराध के लिए व्यक्ति को प्रत्यर्पित करने की मांग हो रही है, प्रत्यर्पण के बाद भी उस पर वही मुकदमा चलेगा। ये नहीं कि हत्या के मामले में प्रत्यर्पित कर लिया और प्रत्यर्पण के बाद दूसरे मामले भी उसमें जोड़ दिए गए।

– चौथी और आखिरी बात मानवाधिकार से जुड़ी है। किसी भी व्यक्ति को प्रत्यर्पित तभी किया जाता है जब उस देश को लगता है कि व्यक्ति को वहां भेजने पर उसके मानवाधिकारों का ध्यान रखा जाएगा।

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