मप्र कांग्रेस में बड़ा फेरबदल: नेता प्रतिपक्ष पद से मुक्त हुए कमलनाथ, अब गोविंद सिंह को मिली यह बड़ी जिम्मेदारी
भोपाल। विधानसभा चुनाव से करीब 15 महीने पहले मध्यप्रदेश कांग्रेस ने गुरुवार को बड़ा फेरबदल हुआ है। यानि मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। अब इस पद की जिम्मेदारी सात बार के विधायक और वरिष्ठ नेता डॉ. गोविंद सिंह को दी गई है। दरअसल गोविंदन सिंह को बीते कुछ समय से नेता प्रतिपक्ष बनाने की मांग भी उठ रही थी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए लिया गया है।
एआईसीसी के महासचिव मुकुल वासनिक के हस्ताक्षर से आज डॉ. गोविंद सिंह के नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति के आदेश जारी किए गए। इसके मुताबिक कमलनाथ ने इस पद से इस्तीफा दे दिया है जिसे स्वीकार कर लिया गया है। पार्टी आपके योगदान की प्रशंसा करती है। वासनिक ने नेता प्रतिपक्ष के रूप में कमलनाथ के योगदान की सराहना की है। पत्र में यह भी कहा गया है कि डॉ. गोविंद सिंह के नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। दरअसल कमलनाथ ने ही डॉ. गोविंद सिंह को कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाने के प्रस्ताव पर भी मंजूरी दे दी है।
सात बार के विधायक डॉ. गोविंद सिंह
डॉ. गोविंद सिंह भिंड जिले की लहार विधानसभा सीट से विधायक हैं। वे लगातार सातवीं बार विधायक चुनकर आए हैं। उन्होंने सत्तर के दशक से छात्र राजनीति से अपनी शुरूआत की थी और शासकीय आयुवेर्दी कॉलेज जबलपुर के छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए थे। इसके बाद वे सहकारिता क्षेत्र में सक्रिय हो गए। 1985 में भिंड नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष बने। 1990 में पहली बार विधायक चुने गए।
कमलनाथ के खिलाफ लामबंद हो रहे थे विरोधी
पिछले कुछ समय से कमलनाथ को लेकर पार्टी में सुगबुगाहट शुरू हो गई थी। विरोधी लामबंद हो रहे थे। इसकी वजह थी कि कमलनाथ ने मुख्यमंत्री रहते हुए पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष पद भी अपने पास रखा था। अब भी वे पार्टी अध्यक्ष हैं और नेता प्रतिपक्ष का पद भी उनके पास था। भाजपा भी लंबे समय से कांग्रेस में एक व्यक्ति एक पद नियम की अनदेखी होने पर सवाल उठा रही थी। कुछ दिन पहले गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा तक ने कह दिया था कि कमलनाथ को खुद हट जाना चाहिए और विधानसभा में गोविंद सिंह को ही नेता प्रतिपक्ष बनाना चाहिए।