मध्यप्रदेश

ग्वालियर-चंबल के बाढ़ पीड़ितों को राहत देने पहुंचे शिवराज-तोमर, खाते में डाले 23.19 करोड़

ग्वालियर। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) और केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर (Union Minister Narendra Singh Tomar) ने आज गुरुवार को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र ग्वालियर-चंबल संभाग (Gwalior-Chambal Division) के जिलों का दौरा किया। इस दौरान सीएम ने कहा कि ग्वालियर-चंबल के साथ विदिशा जिले के बाढ़ प्रभावितों को राहत देने में कोई कसर नहीं छोड़ी जायेगी। हर बाढ़ पीड़ित को संकट से निकालने में सहायता देंगे। राहत राशि और अन्य सहायता का कार्य पूरी पारदर्शिता और संजीदगी के साथ होगा। पीड़ित जनता (suffering people) के लिए हम बेहतर सहारा बन सकें, इसके ईमानदार प्रयास किये जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने आज श्योपुर जिला मुख्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (video conferencing) के जरिए बाढ़ प्रभावितों के खातों में आनलाइन 23 करोड़ 19 लाख रुपए से अधिक की राशि को ट्रांसफर कर बाढ़ प्रभावित लोगों से वर्चुअली संवाद किया। केन्द्रीय कृषि विकास एवं किसान-कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि कि प्रदेश सरकार अब तक बाढ़ प्रभावित परिवारों के खातों में 52 करोड़ रूपए से अधिक राशि पहुंचा चुकी है।

चिंता न करें आप सबको संकट से पार निकालकर ले जायेंगे
CM ने बाढ़ प्रभावित लोगों से संवाद करते हुए कहा कि कोरोना महामारी की वजह से आर्थिक तंगी जरूर है, पर चिंता न करें आप सबको बाढ़ आपदा (flood disaster) के संकट से पार निकालकर ले जायेंगे। प्रदेश सरकार राहत देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी। बाढ़ से हुए हर प्रकार के नुकसान की भरपाई करने की सरकार पुरजोर कोशिश कर रही है। सरकार ने तत्काल सर्वे कराकर राहत पहुंचाने का काम किया है, जिसमें समाज का भी सहयोग मिला है। तात्कालिक तौर पर बाढ़ प्रभावित परिवारों को 6 हजार रूपए, 50 किलो अनाज और रोजमर्रा की जरूरतों का अन्य सामान मुहैया कराया गया है। साथ ही सर्वे के आधार पर आर्थिक राहत भी खातों में पहुँचाई गई है।

सहायता के लिए तीन सूत्री रणनीति
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि बाढ़ आपदा से प्रभावित लोगों की मदद और खराब हुई अधोसंरचना को फिर से खड़ा करने के लिये प्रदेश सरकार (state government) ने तीन सूत्री रणनीति बनाई है। पहला काम हर बाढ़ प्रभावित परिवार के नुकसान की भरपाई करने के लिये राहत, दूसरा काम जिन लोगों के मकान बाढ़ में उजड़ गए हैं उनके फिर से नए मकान बनवाकर पुनर्वास और तीसरा काम बाढ़ से ध्वस्त हुई अधोसंरचना मसलन सड़क, विद्युत लाईन, पुल-पुलिया, अस्पताल, स्कूल और आंगनबाड़ी भवन इत्यादि बनवाना। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि बाढ़ प्रभावित लोगों को जल्द से जल्द राहत पहुँचाने के लिये सरकार ने 12 विभागों को जोड़कर टास्क फोर्स बनाया है।

मंत्री परिषद ने दी पाम आयल मिशन को मंजूरी
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि अभी कल ही मंत्री परिषद ने आयल का उत्पादन देश में बढ़े इसके लिए पाम आयल मिशन (Palm Oil Mission) को मंजूरी दी है। इस योजना पर 11 हजार करोड़ रुपये का व्यय आएगा। पाम आयल की खेती के लिए लगभग 28 लाख हेक्टेयर भूमि चिन्हित है, जिसमें 9 लाख हेक्टेयर नार्थ ईस्ट में है। नार्थ ईस्ट को फोकस करके ही इस योजना को बनाया गया है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने श्योपुर जाने से पहले ग्वालियर में पत्रकारों से चर्चा के दौरान यह बात कही।

उन्होंने कहा कि पाम आयल की खेती में खास बात यह है कि जब व्यक्ति पौधा लगाता है तो उसे पांच साल तक इंतजार करना पड़ता है, इसके बाद ही क्रॉप आती है। जबकि तेल के दाम अंतराष्ट्रीय स्तर पर ऊपर नीचे होते रहते हैं। जिसके कारण कई बार किसानों को नुकसान हो जाता है। अब सरकार ने तय किया है कि पाम का पांच साल का औसत मूल्य निकालकर दाम तय कर दिए जाएंगे। इसके बाद बाजार में उतार चढ़ाव आने पर यदि दाम कम होंगे तो अंतर की राशि का भुगतान भारत सरकार करेगी।

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