एमपी अजब है, सबसे गजब है… कागजों में बुजुर्ग को किया मृत घोषित, नहीं दी पेंशन और पंचायत चुनाव में डलवा दिया वोट
कागजों में मृत घोषित बुजुर्ग को अपने जिंदा होने का सबूत देने और पेंशन फिर से देने की मांग के लिए कलेक्टर की जनसुनवाई में हाजिर होना पड़ा। बुजुर्ग के बेटे ने बताया कि एक साल से मृत बताकर पेंशन नहीं दी जा रही है। वहीं पंचायत चुनाव में एक महीने पहले बुजुर्ग से वोट डलवाया गया है।
मध्यप्रदेश : मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले से एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है। जहां एक बुजुर्ग को अपने जिंदा होने का सबूत देने के लिए कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुंचना पड़ा। दरअसल कागजों में बुजुर्ग को मृत घोषित कर दिया है, लेकिन हकीकत में बुजुर्ग जिंदा है। लेकिन इस सब के बीच पिछले एक साल से पेंशन देने के समय पर बुजुर्ग मृत घोषित है, लेकिन महीने भर पहले हुए पंचायत चुनाव के समय में बुजुर्ग जिंदा रहे। कुल मिलाकर अपने मत के लिए बुजुर्ग को जिंदा रखा गया है और उसके हक की पेंशन देने के लिए बुजुर्ग को कागजों में मृत घोषित कर दिया गया है। जिसका सबूत देने के लिए बुजुर्ग को कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुंचकर देना पड़ा।
पंचायत की तरफ से बताया गया था मृत
दरअसल, पंचायत की ओर से जो रिकॉर्ड जनपद पंचायत को भेजा है। उसमें बुजुर्ग को मृत बता दिया गया है। यह आरोप 79 साल के बुजुर्ग राजाराम के बेटे प्रदीप चौधरी ने लगाए हैं। उन्होंने बताया कि पिता की पेंशन इस साल जनवरी (2022) से बंद है।
सचिव को प्रमाण देने के बाद भी नहीं मिली पेंशन
रिकॉर्ड में उन्हें मृत माना जा रहा है, जबकि उनके जीवित होने के दस्तावेज की छात्रा प्रति ग्राम पंचायत चिंचाला सचिव को दिए हैं, लेकिन दस्तावेज के देने के बाद भी अब तक वृद्धावस्था पेंशन खाते में नहीं आई है। इस मामले में जनपद पंचायत को शिकायत की गई। जिसके बाद वहां के ऑपरेटर ने बताया कि राजाराम चौधरी की तो मृत्यु हो चुकी है। ऐसा उन्हें ग्राम पंचायत द्वारा सर्वे में बताया गया।
जनसुनवाई में की लिखित शिकायत
बुजुर्ग राजाराम के बेटे प्रदीप चौधरी ने कहा कि मेरे पिता हाल ही में हुए पंचायत चुनाव में मतदान कर चुके हैं। उनका राशन भी चालू है। इसके बाद भी उनकी 12 महीने से पेंशन बंद है। पीड़ित राजाराम चल फिर नहीं सकते है। उनका बेटा उन्हें व्हीलचेयर पर कलेक्टर कार्यालय लाया था। जहां बुजुर्ग ने अपनी आपबीती सुनाई। यहां अफसरों को जनसुनवाई में लिखित शिकायत कर जीवित होने के प्रमाण सौंपे और पेंशन चालू कराने की मांग की।