मध्यप्रदेश

प्रसूति सहायता योजना का लाभ देने प्रसूताओं से की जाती है पैसों की मांग

स्वास्थ्य विभाग की समय-समय पर मानिटरिंग न होने के कारण जिम्मेदार मानमाफिक काम कर रहे है, जिससे शासन की महत्वपूर्ण योजनाएं धरातल पर दम तोड़ती नजर आ रही है। वही जब हितग्राहियों द्वारा पैसें न आने की बात की जाती है तो पदस्थ कर्मचारियों द्वारा बजट का आभाव बताकर उन्हे वापिस दिया जाता है।

पन्ना। जननी सुरक्षा को लेकर प्रसूति सहायता योजना शुरू की गई थी। इसमें सरकारी अस्पताल में प्रसव पर महिला को 16 हजार रुपए दिए जाते हैं। इसमें पहले पोषण के लिए 4 हजार रुपए और प्रसव के बाद 12 हजार रुपए जच्चा-बच्चा के लिए मिलते है। लेकिन पन्ना जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सलेहा में प्रसूति सहायता राशि को हितग्राही के खाते में डालने के नाम पर यहां पर पदस्थ कुछ कर्मचारियों द्वारा वसूली की जाती है अगर पैसे नहीं दिए तो फिर ग्रामीण पात्र हितग्राहियों को कागज की कमी बताकर परेशान किया जाता, यहां तक कि संबल कार्डधारक हितग्राही 6 माह से प्रसूति सहायता राशि को पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं आज तक उनके खाते में प्रसूति सहायता राशि नहीं पहुंची।

स्वास्थ्य विभाग की समय-समय पर मानिटरिंग न होने के कारण जिम्मेदार मानमाफिक काम कर रहे है, जिससे शासन की महत्वपूर्ण योजनाएं धरातल पर दम तोड़ती नजर आ रही है। वही जब हितग्राहियों द्वारा पैसें न आने की बात की जाती है तो पदस्थ कर्मचारियों द्वारा बजट का आभाव बताकर उन्हे वापिस दिया जाता है। गौरतलब है कि जिले में प्रसूताओं की सहायता राशि के प्रकरण लंबित है। परिजन राशि के लिए चक्कर काट रहे हैं। अधिकारी भी उन्हें बजट आने पर राशि खाते में डालने का आश्वासन देकर लौटा देते हैं।

पहली किस्त में 4 हजार व दूसरी में 12 हजार मिलते हैं
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के सरकारी अस्पतालों में होने वाली डिलेवरी पर 16 हजार रुपए दो किस्त में प्रसूता को मिलते है। पहली 4 हजार रुपए की किस्त गर्भावस्था के दौरान निर्धारित अवधि में अंतिम तिमाही तक डॉक्टर या एएनएम द्वारा प्रसव पूर्व चार जांच कराने पर दी जाती है। दूसरी किस्त 12 हजार रुपए सरकारी अस्पताल में प्रसव होने, नवजात शिशु का संस्थागत जन्म के बाद पंजीयन कराने और शिशु को जीरो डोज, वीसीजी, ओपीडी और एचबीवी टीकाकरण के बाद मिलती है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में कुपोषण को दूर करने और हाई रिस्क महिलाओं के सुरक्षित प्रसव के लिए सरकार ने प्रसूता सहायता योजना शुरू की थी। इसमें जच्चा-बच्चा दोनो स्वस्थ्य रहे। लेकिन योजना का लाभ लेने के लिए जहां प्रसूताओं को कई महीनों तक इंतजार करना पडता है तो वही योजना का लाभ देने के लिए भोले भाले ग्रामीणों से पैसों की मांग की जाती है। इस ओर जिम्मेदारो को ध्यान देना चाहिए, जिससे इस पर रोक लगाई जा सकें।

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