मीराबाई चानू का सिल्वर बदल सकता है गोल्ड में, जानें क्या है पूरा मामला

खेल : टोक्यो। टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में भारत (Indian) रजत पदक (silver medal) दिलाने वाली मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) का मेडल अब गोल्ड में बदलने की उम्मीद दिख रही है। चानू का मेडल बदलने की उम्मीद तब जागी है जब उनकी प्रतिद्वंद्वी रहीं चीनी खिलाड़ी (chinese player) डोप टेस्ट (dope test) में फंसती नजर आ रही है। दरअसल चीनी खिलाड़ी होऊ झीहुई (hou zhihui) पर अधिकारियों को डोपिंग का शक है और वह टेस्ट में असफल होती हैं तो भारतीय भारत्तोलक (Indian lifter) मीराबाई चानू के रजत पदक को गोल्ड में बदल दिया जाएगा।
बता दें कि होऊ झिऊई आज अपने देश लौटने वाली थीं, लेकिन शक के आधार पर अधिकारियों ने उन्हें रुकने को कह दिया है। ओलंपिक के इतिहास में ऐसा पहला मौका नहीं जब डोपिंग टेस्ट फेल होने के बाद खिलाड़ियों से मेडल वापस लिया गया हो। अगर टोक्यो ओलंपिक के महिला भारोत्तोलन (49 किग्रा) में मीराबाई का पदक स्वर्ण में तब्दील हो जाता है, तो ओलंपिक के इतिहास में भारत के नाम व्यक्तिगत स्पर्धा में यह दूसरा स्वर्ण पदक होगा। दिग्गज शूटर अभिनव बिंद्रा (Legendary Shooter Abhinav Bindra) ने भारत को पहला स्वर्ण पदक (बीजिंग 2008) दिलाया था।
मीराबाई चानू ने ओलंपिक खेलों की भारोत्तोलन स्पर्धा में पदक का भारत का 21 साल का इंतजार खत्म किया है। इससे पहले कर्णम मल्लेश्वरी ने सिडनी ओलंपिक (Sydney Olympics) 2000 में देश को भारोत्तोलन में कांस्य पदक दिलाया था। मीराबाई स्वदेश लौट चुकी हैं। उन्होंने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। चानू ने क्लीन एवं जर्क में 115 किग्रा और स्नैच में 87 किग्रा से कुल 202 किग्रा वजन उठाकर रजत पदक अपने नाम किया। चीन की होऊ झिऊई ने कुल 210 किग्रा (स्नैच में 94 किग्रा, क्लीन एवं जर्क में 116 किग्रा) से स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। इंडोनेशिया की ऐसाह विंडी कांटिका (Aisah Windy Kantika) ने कुल 194 किग्रा का वजन उठाकर कांस्य पदक हासिल किया।
मीराबाई ने 2016 रियो ओलंपिक के निराशाजनक प्रदर्शन की भरपाई टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतकर कर ली। टोक्यो के लिए क्वालिफाई करने वाली एकमात्र भारोत्तोलक मीराबाई का रियो ओलंपिक में क्लीन एवं जर्क में तीन में से एक भी प्रयास वैध नहीं हो पाया था। मीराबाई के नाम अब महिला 49 किग्रा वर्ग में क्लीन एवं जर्क में विश्व रिकॉर्ड भी है।