मप्र विस चुनाव: मैहर सीट पर बड़ा घमासान होने की संभावना, तीन ब्राम्हण चेहरे टिकट के हैं दावेदार
मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी के तीन प्रमुख मुद्दे पृथक विंध्य की स्थापना, मिनी स्मार्ट सिटी की पूर्णता के अलावा लोक जरूरतें हैं। अब समय है कि विगत चार कार्यकाल में हुए उनके कामों की सार्वजनिक समीक्षा की जाए।
मैहर। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव तकरीबन आठ महीने बाद हैं। इस बार नजर मैहर विस चुनाव क्षेत्र पर होगी। माना जा रहा हैं जिले की सातों सीटों में से यहा सबसे अधिक रोमांचक और बड़ा घमासान होने की संभावना है। प्रत्यक्ष तौर पर तीन चुनावी चेहरों के बीच मुकाबले का अनुमान है। वक्त आने पर संख्या बढ़ भी सकती है, जिसमें बीएसपी और आप की एंट्री भी अनुमानित है। मौजूदा राजनैतिक परिस्थितियों में जिन बड़े चेहरों की बात की जा रही है उनमें विधायक नारायण त्रिपाठी, भाजपा प्रदेश कार्य समिति कि सदस्य श्रीकांत चतुर्वेदी और कांग्रेस के प्रदेश सचिव रामनिवास उरमलिया हैं। तीनों ही टिकट के दावेदार हैं। ब्राम्हण नेता के तौर पर जाने जाते हैंं।
जहां नारायण-श्रीकांत दलगत प्रतिद्वंद्वी हैं वहीं उरमलिया कांग्रेस के दबंग नेताओं में गिने जाते हैं। व्यावसायिक तौर पर भी सक्षम हैं। सभी के अपने-अपने मुद्दे हैं। जिसे समय-समय पर सियासी फायदे के लिए उछाला जाता है। अब चुनावी मौसम है। मुद्दे गरम हैं। सवाल ये है कि सिवाय मुद्दे उछालने से काम नहीं चलने वाला। मतदाताओं को बताना होगा कि, उनकी दिशा में धरातल पर समाधान कितना हुआ।
जनता को हिसाब पूछने का हक
मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी के तीन प्रमुख मुद्दे पृथक विंध्य की स्थापना, मिनी स्मार्ट सिटी की पूर्णता के अलावा लोक जरूरतें हैं। अब समय है कि विगत चार कार्यकाल में हुए उनके कामों की सार्वजनिक समीक्षा की जाए। नए चुनाव में जाने से पहले मुद्दों का आंकलन कर उनकी जमीनी हकीकत सामने लाई जाए। पृथक विंध्य की स्थापना के मुद्दे को उछाल कर महीनों सियासी सुर्खियां बटोरने के बाद हुआ क्या? लाखों रुपए खर्च करने के बाद हासिल क्या हुआ? जनजागरण के नाम पर हंगामाई राजनीति से क्या समाधान निकला, यह जानने का हक आम मतदाता को है। मैहर को स्मार्ट सिटी बनाने का सपना भी दिखाया गया।
मैहर को मां लोक में बदलने त्रिपाठी ने की है मांग
बतौर, विधायक कार्य की गति-प्रगति की जानकारी आमजन को दी जानी चाहिए। महज कह देने से तो मैहर स्मार्ट सिटी नहीं बन जाने वाला। इसके दो पक्ष हैं, पहला सरकारी दूसरा जन भागीदारी। जब कोई विधायक किसी शहर के विकास की बात करता है तो उसका आशय सरकार की योजनाओं, शासकीय मद व स्वीकृति से होता है। उसके प्रस्ताव आमंत्रित किए जाते हैं। शहर की जरूरतों का जिक्र होता है। मैहर के मिनी स्मार्ट बनाने में इन सबकी क्या स्थिति है, चुनाव से पहले सामने आना चाहिए। मैहर को मां शारदा लोक के रूप में भी बदलने की मांग विधायक त्रिपाठी ने की है। उसके प्रारंभिक चरण की जानकारी तो कम से कम दी जानी चाहिए।
विकास को लेकर श्रीकांत के अपने मुद्दे
भाजपा के ही श्रीकांत चतुर्वेदी सिंधिया कोटे से मैहर का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन दिनों प्रदेश कार्य समिति के सदस्य हैं। व्यापारिक तौर पर समृद्ध हैं। ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में सक्रिय रहने वाले श्रीकांत कांग्रेस में रहते हुए गत विस चुनाव में सम्मनजनक वोट हासिल कर चुके हैं। उनकी पुरानी अदावत पार्टी के ही विधायक से है। इस विस चुनाव में उनका टिकट का दावा मजबूत रहेगा, बशर्ते टिकट वितरण में सिंधिया की चली तो। मैहर के विकास को लेकर श्रीकांत के अपने मुद्दे है। हालांकि वो विधायक और उरमलिया से इतर है। आक्रामक सियासी शैली के श्रीकांत के पार्टी में उच्च स्तरीय संबंंध भी हैं।
उरमलिया वर्सेस नारायण
तीसरे दबंग नेता कांग्रेस के रामनिवास उरमलिया हैं। जो अक्सर बेरोजगार नौजवानों को स्थानीय रोजगार देने के लिए आंदोलन करते रहते हैं। कभी मंदिरों तो कभी आसपास के उद्योगों में जमावड़ा कर बेरोजगारों की अलख जगाते हैं। माना जाता है कि इस वजह से उनके पीछे बेरोजगार युवाओं की बड़ी तादाद है। स्थानीय उद्योगों पर भी उनका दबदबा है। उरमलिया वर्सेस नारायण मुकाबला ज्यादा कड़ा हो सकता है। बाहुबल में भी दोनों कमजोर नहीं हैं। दलगत प्रतिस्पर्धा भी सत्ता और विपक्ष की है। उरमलिया लगातार कांग्रेस में सक्रिय रहने वाले नेता है। टकराव की राजनीति से भी परहेज नहीं करते। कांग्रेस में कमलनाथ गुट के करीब होने पर भी राहुल गुट से गुरेज नहीं है।