मध्यप्रदेश

जयस ऐसे टक्कर देगा BJP और कांग्रेस को, ओवैसी को भी साथ लाने कर रहा विचार

प्र में आदिवासी वर्ग सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका निभाता है, लेकिन अब जयस अलग ही रणनीति पर चल रहा है। जयस अब अपने साथ मांझी, धनगर, बंजारा समेत अन्य जातियों को अपने साथ ला रहा है।

भोपाल। मध्यप्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में अब सिर्फ 10 महीने का ही समय बचा है। ऐसे में प्रदेश की दो बड़ी पार्टियां भाजपा और कांग्रेस ने अपनी तैयारियों को तेज कर दिया है। खास बात यह है कि दोनों पार्टियों का फोकस आदिवासी वोटर पर है। भाजपा और कांग्रेस की यह रणनीति देख अब आदिवासी संगठन जयस भी सक्रिय होता नजर आ रहा है। इतना ही नहीं, भाजपा और कांग्रेस को टक्कर देने के लिए जयस प्रदेश के छोटे दलों को एकजुट कर तीसरा विकल्प बनाने की तैयारी भी शुरू कर दी है।

बता दें कि मप्र में आदिवासी वर्ग सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका निभाता है, लेकिन अब जयस अलग ही रणनीति पर चल रहा है। जयस अब अपने साथ मांझी, धनगर, बंजारा समेत अन्य जातियों को अपने साथ ला रहा है। इसके अलावा जयस और अन्य कई जातियों को अपने साथ जोड़ने में जुट गया है। इसके लिए प्रदेश में जयस 20 अक्टूबर से समाज को जोड़ो अभियान भी चला रहा है। दरअसल उसका एजेंडा प्रदेश के हर हिस्से और वर्ग तक पहुंच बनाना है।

दायरा बढ़ाना किया शुरू
जयस के संस्थापक डॉ. हीरालाल अलावा ने बताया कि हमारा उद्देश्य प्रतिभाशाली युवाओं को जोड़कर सच्चे राष्ट्र भक्तों की टीम तैयार कर देश के लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करना तथा संविधान की रक्षा एवं उसका शत प्रतिशत अनुपालन करना है। यहीं वजह जयस ने एससी और ओबीसी वर्ग की उपेक्षित जातियों को अपने साथ मिलाकर अपना दायरा बढ़ाना शुरू कर दिया है। इसमें अब ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को भी साथ लाने की तैयारी में हैं।

80 सीटों पर चुनाव लड़ने कर चुका है ऐलान
ज्ञात हो जय आदिवासी युवा शक्ति के राष्ट्रीय संरक्षक और कांग्रेस से विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने 2023 के चुनाव में आदिवासियों के लिए आरक्षित और प्रभाव रखने वाली 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके है। 2018 में जयस कांग्रेस के साथ गया। इससे कांग्रेस ने बीजेपी से आदिवासी आरक्षित 15 सीटें जीत लगी। वहीं, आदिवासी वोट से दूसरी कई सीटों पर उसे बढ़त मिली। यहीं कारण है कि बीजेपी और कांग्रेस का फोकस आदिवासी वोटरों को साधने पर है।

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