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शिव‘राज’ में बनी हर बेटी लाड़ली…ये उत्सव समाज का है…

एक कोशिश कैसे अभियान बनती है। समाज की सोच और सूरत बदलती है। मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान की लाड़ली लक्ष्मी योजना मध्यप्रदेश ही नहीं देश के इतिहास में बदलाव की उसी कोशिश के तौर पर दर्ज की जाएगी।

भोपाल। एक कोशिश कैसे अभियान बनती है। समाज की सोच और सूरत बदलती है। मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान की लाड़ली लक्ष्मी योजना मध्यप्रदेश ही नहीं देश के इतिहास में बदलाव की उसी कोशिश के तौर पर दर्ज की जाएगी। 2007 में समाज की सोच बदलने के लिए सरकार ने जो बीड़ा उठाया था मंगलवार को उस योजना का उत्सव मनाया गया। इस आश्वस्ति के साथ कि योजना की बदौलत बेटियों कोख से लेकर कुल तक जगह पा रही हैं।

सरकार का लाड़ली लक्ष्मी उत्सव

मध्यप्रदेश के चंबल समेत कई इलाकों में बेटियों को कोख में ही मार दिए जाने के घटनाएं बीते जमाने की बात हो गई हैं। सरकारी रिकार्ड बता रहा है कि एक हजार बेटियों पर अब जन्मदर 911 से बढ़कर 956 हो गई है। बेटियां हंसी मुस्काई हैं। वो घर में खुशियां बनकर आई हैं। योजना के 16 साल पूरे होने पर भले सरकार ने लाड़ली लक्ष्मी उत्सव मनाया हो लेकिन असल में तो ये समाज का उत्सव है।

शिवराज ने बेटियों को दिलाया जीने का हक

2007 में जब सीएम शिवराज ने लाड़ली लक्ष्मी योजना की नींव रखी थी तब माना यही जा रहा था कि ये भी एक सरकारी योजना से ज्यादा कुछ नहीं। उसे चुनावी ट्रम्प कार्ड बताया गया। लेकिन शिवराज की दुरदर्शी सोच तो उस लक्ष्य को देख रही थी जिसमें बेटियों की किलकारी से गूंजे घर। वो मध्यप्रदेश के पिछड़ी सोच वाले इलाकों से वो दाग मिटाने चाहते थे कि जहां कोख में ही मार दी जाती हैं बेटियां। लाड़ली उत्सव में सीहोर, विदिशा, राजगढ, रायसेन जिले के 11 सौ लाड़ली बेटियों के साथ पांच सौ अभिभावको की मौजूदगी भले हो लेकिन ये उत्सव पूरे प्रदेश का है।

मिसाल है शिवराज सरकार

ये उस पहल का उत्सव है जिसकी अगुवाई मध्यप्रदेश में भाजपा की शिवराज सरकार ने की और देश के अनेक राज्यों ने मध्यप्रदेश के नक्शेकदम पर चलते हुए लाड़ली लक्षमी योजना अपने राज्यों में लागू की। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार मिसाल है कि देश में पहली बार किसी सरकार ने बेटियों को बचाने के लिए कोई प्रभावी अभियान शुरु किया। एक अप्रैल 2007 की तारीख इतिहास में दर्ज हो गई। ये वो तारीख थी कि जब कैबिनेट से हरी झंडी मिलने के बाद औपचारिक रुप में बेटी को लाड़ली और लक्ष्मी बनाने वाली लाड़ली लक्षमी योजना ने मूर्त रुप लिया।

मामा ने उठाई जन्म से विवाह तक पूरी जिम्मेदारी 

इस योजना की सबसे बड़ी खासियत की बालिका के जन्म से लेकर उसके विवाह तक की पूरी जिम्मेदारी शिवराज सरकार ने उठा ली।  वर्तमान में 44,85,000 से ज्यादा बेटियां इस योजना की हितग्राही हैं, जिन्हें 21 साल की होने पर 1,43,000 की राशि मिलती है। अभी तक 366.21 करोड़ की रकम दी जा चुकी है।

शिवराज की कोशिश पूरे देश में सराही गई

आज जन्म से लेकर ब्याह तक आधी आाबादी के लिए सुरक्षा और सम्मान का माहौल है प्रदेश में। बेटियों के साथ चस्पा कर दी गई बोझ की पहचान उतर गई है, मध्यप्रदेश में बेटियां, घर परिवार समाज का मान है। तो इसका श्रेय जाता है शिवराज सरकार को। सुखद ये है कि मध्यप्रदेश से प्रेरणा लेकर ही झारखंड, दिल्ली, राजस्थान, बिहार में भी बेटी को लाड़ली लक्ष्मी बनाने के प्रयास शुरु हो गए हैं। शिवराज सरकार की देन लाड़ली लक्ष्मी योजना को देश भर में ना केवल सराहा जा रहा है, बल्कि पूरे देश में बेटियों के लिए सकारात्मक माहौल बनाने में ये योजना मील का पत्थर बन गई है।

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