पीथमपुर में चल गए कांग्रेस के कस्में-वादे, पाँच साल बाद फिर कर ली सत्ता में वापसी
कांग्रेस की गुटबाजी के बावजूद भाजपा का प्रबंधन सफल नहीं हुआ
पीथमपुर। आर्थिक रूप से प्रदेश की सबसे समृद्ध पीथमपुर नगर पालिका के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर कांग्रेस ने बाजी मार ली। पांच साल बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई है। कांग्रेस की गुटबाजी का फायदा उठाने में भाजपा प्रबंधन सफल नहीं हो पाया।
कांग्रेस की सेवंती बाई सुरेश पटेल अध्यक्ष और पप्पू असोलिया उपाध्यक्ष चुने गए। कुल 31 सीटों वाली नगर पालिका में कांग्रेस के पास 17 और भाजपा के पास 13 वोट थे। एक भाजपा का बागी था। सेवंती बाई को 16 और भाजपा के अशोक पटेल को 14 वोट मिले। एक वोट निरस्त हो गय़ा। यही अनुपात उपाध्यक्ष चुनाव में भी रहा। पिछली परिषद में भाजपा के 22 पार्षद थे और कविता संजय वैष्णव अध्यक्ष बनीं थीं।
कांग्रेसियों ने किया था वादा
कांग्रेस के 17 पार्षद दो गुटों में बंटे थे। करीब दस पार्षद पूर्व जिला अध्यक्ष बालमुकंद सिंह गौतम के साथ थे, जबकि सात पार्षद कुलदीप बुंदेला गुट के साथ थे। दोनों गुटों में परंपरागत अदावत है और लग रहा था कि भाजपा इस अदावत का फायदा उठाकर क्रास वोटिंग करवा लेगी क्योंकि वह भी बहुमत से महज दो वोट दूर थी, लेकिन चुनाव से ठीक पहले भोपाल से कांग्रेस नेताओं को एकता का कड़ा संदेश मिलने और वहाँ से सतत निगरानी होने के बाद दोनों गुटों ने एक दिन पहले कस्में-वादे लिए-दिए कि आपसी अदावत बाद में सुलझा ली जाएगी, पहले सत्ता पर कब्जा करें। उसके बाद एक होकर वोट डाले गए। अध्यक्ष का पद कुलदीप बुंदेला गुट को मिला, जबकि उपाध्यक्ष दोनों गुटों कि सहमति का रहा ।
भाजपा में फूट ज्यादा रही
अपेक्षाकृत अनुशासित कही जाने वाली भाजपा पीथमपुर में पूरे चुनाव में गुटबाजी से ग्रस्त रही। टिकट वितरण और चुनाव में भी यह नजर आया, नतीजा यह हुआ कि कई बागी खड़े हो गए और पार्टी जीती हुई बाजी हार गई। यहां एक गुट अशोक पटेल का था, जबकि दूसरा संजय वैष्णव का। ये दोनों ही अध्यक्ष के दावेदार थे। दोनों की गुटीय अदावत का असर चुनावों पर पड़ा।