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मिश्रा के मामले में इस अंतर को समझते हैं सभी

निहितार्थ: इसे पब्लिसिटी स्टंट (publicity stunt) कहना शायद ठीक नहीं होगा। अलबत्ता इस सबको खालिस रूप से दूसरों की खातिर जान पर खेल जाने...

ये ‘चायचारा’ क्या राहुल को लाभ दिला सकेगा

निहितार्थ: .....इसीलिये मम्मी ने मेरी तुम्हें चाय पे बुलाया है। यह अपने समय का मशहूर गाना है। सुबह अखबार पढ़ते हुए ये गीत दोहरा...

इस कड़वी दवा का सेवन करेंगे अरुण यादव?

निहितार्थ: अरुण यादव (Arun Yadav) ने बिलकुल सही फ़रमाया। खुद के लिए कहा की वह ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) नहीं हैं। वास्तव में इन...

इस तराजू के नीचे कहां की जमीन है मजबूत?

निहितार्थ: देश का हिन्दू (Hindu) या कहे बहुसंख्यक समाज अजीब दोराहे पर है। वह राजनीति की तराजू (scales of politics) पर दो पलड़ों में कभी...

पीना नहीं रोक सकते तो न रोकिये जीना भी

मंदसौर (Mandsaur) में जहरीली शराब (Poisonous Liquor) पीने से दस लोगों की मौत हो गयी। प्रशासन भले ही छह बता रहा है। ज्यादा समय...

गंदे नाले में बदल गई है पत्रकारिता की पवित्र नदी

निहितार्थ : कोड वर्ड में प्रसारित किये गए संदेशों का कोई तय स्वरूप नहीं होता है। वह मौखिक हो सकते हैं और लिखित भी।...

समझिये कि आप क्यों बन गए ‘दैनिक बकवासकर’

निहितार्थ : कमाल का कंट्रास्ट (Contrast) है। एक तरफ आप कह रहे हैं कि आप डरते नहीं। दूसरी तरफ पिद्दी भर के शब्द 'छापे'...

बीरबलों की अपनी-अपनी खिचड़ी

निहितार्थ : पराजय को कुतर्क का चोला पहनाकर ढंकने की कोशिश करना पुराना चलन है। कहते हैं कि अकबर ने कड़ाके की सर्दी में...

पसीने की जगह आंसू क्यों नहीं बहाते दिग्विजय ?

निहितार्थ: दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) के पेट में मरोड़ उठ रही है। वह मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में नए मुख्यमंत्री (new chief minister) की तलाश...

जितना खाया मीठा था, जो हाथ न आया खट्टा है

निहितार्थ: कोई भी संगठन या समूह अपने बीच डरपोक लोगों को पसंद नहीं करता है। इसलिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Congress leader Rahul Gandhi)...

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