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ग्रीन कार्ड को लेकर खतरा, हो सकते हैं एक लाख कार्ड बर्बाद

वाशिंगटन। रोजगार आधारित करीब एक लाख ग्रीन कार्ड (Employment Based Green Card) के दो महीने के भीतर बर्बाद होने का खतरा है जिससे भारतीय आईटी पेशेवरों (Indian IT Professionals) में नाराजगी है जिनका वैध स्थायी निवास का इंतजार अब दशकों तक के लिए बढ़ गया है। इस संबंध में अमेरिका की अदालत में प्रभावित पक्ष की तरफ से मुकदमा भी दायर किया गया है।

हम बता दें कि आधिकारिक तौर पर स्थायी निवास कार्ड के तौर पर जाने जाना वाला ग्रीन कार्ड आव्रजकों (Immigrants) को साक्ष्य के तौर पर जारी एक दस्तावेज है कि धारक को अमेरिका में स्थायी रूप से निवास करने की सुविधा दी गई है।

इस बारे में  भारतीय पेशेवर संदीप पवार ने  बताया कि इस साल आव्रजकों के लिए रोजगार आधारित कोटा 2,61,500 है जो 1,40,000 के सामान्य तौर पर कोटा से काफी ज्यादा है।

उन्होंने कहा, “दुर्भाग्य से, कानून के तहत, अगर ये वीजा 30 सितंबर तक जारी नहीं किए जाते, तो ये हमेशा के लिए बर्बाद हो जाते हैं।”

उन्होंने कहा कि अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा या यूएससीआईएस (US Citizenship and Immigration services) द्वारा वीजा प्रक्रिया (Visa Process) की मौजूदा गति दिखाती है कि वे 1,00,000 से ज्यादा ग्रीन कार्ड बेकार कर देंगे। इस तथ्य की वीजा उपयोग निर्धारित करने वाले विदेश मंत्रालय के प्रभारी ने हाल में पुष्टि भी की थी।

पवार ने खेद जताया कि अगर यूएससीआईएस या बाइडन प्रशासन कोई कदम नहीं उठाता तो इस साल उपलब्ध अतिरिक्त 1,00,000 ग्रीन कार्ड बर्बाद हो जाएंगे।

इस संबंध में पूछे गए प्रश्नों पर व्हाइट हाउस (White House)  ने कोई जवाब नहीं दिया।

इस बीच, अमेरिका में रह रहे 125 भारतीयों एवं चीनी नागरिकों ने प्रशासन द्वारा ग्रीन कार्ड बर्बाद होने से रोकने के लिए एक मुकदमा दायर किया है।

पवार ने कहा, “अधिकतर संभावित लाभार्थी, जैसे कि मैं, भारत से हैं, एक ऐसा देश जो स्वाभाविक रूप से नस्लवादी और भेदभावपूर्ण प्रति-देश कोटा के कारण सबसे पीछे है। कई के जीवनसाथी भी यहां हैं, जिनमें ज्यादातर महिलाएं हैं, जो स्थायी निवासी बनने तक काम करने में असमर्थ हैं।”

उन्होंने कहा, “कई के बच्चे हैं जिनकी आश्रित की श्रेणी में आने वाली उम्र पार होने वाली है और उन्हें खुद से देश छोड़कर जाने पर मजबूर होना पड़ेगा जबकि वे सिर्फ इसी देश को जानते हैं। अगर ये ग्रीन कार्ड जारी नहीं किए जाते तो नुकसान अथाह एवं अपूर्णीय है।”

इम्पैक्ट के कार्यकारी निदेशक नील मखीजा, जिन्होंने राष्ट्रपति जो बाइडन से एक प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में मुलाकात की थी, ने कहा कि उन्होंने बाइडन से ग्रीन कार्ड सीमा और कोटा को समाप्त करके आव्रजन कानूनों में सुधार करने और सभी ‘ड्रीमर्स’ की सुरक्षा के प्रयासों के तहत लंबी अवधि के वीजा धारकों के 2,00,000 बच्चों को शामिल करने का आग्रह किया।

‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ (The Washington Post) में एक लेख में, काटो इंस्टीट्यूट में शोधार्थी डेविड जे बियर ने आरोप लगाया कि ग्रीन कार्डों की बर्बादी के लिए बाइडन प्रशासन जिम्मेदार है।

अधर में यात्रियों के टीकाकरण का मामला

अमेरिका ने कहा कि विदेशों से आने वालों यात्रियों का पूरी तरह टीकाकरण होना जरूरी है या नहीं इस बारे में अभी तक अंतिम फैसला नहीं लिया है।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने गुरुवार नियमित संवाददाता सम्ममेलन में कहा, “निश्चित रूप से इस पर गहन विचार किया जा रहा है, लेकिन अभी यह नीति प्रक्रिया की समीक्षा में है, मैं खुद से इस पर कोई फैसला नहीं लूंगी।”

दूसरी तरफ,  चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने इस साल विश्व को चीन के कोविड रोधी टीकों की दो अरब खुराक उपलब्ध कराने का वादा किया है। यह वृद्धि जो कोविड-19 टीकों के सबसे बड़े वैश्विक निर्यातक के रूप में देश के प्रयासों में इजाफा करेगी। सरकारी मीडिया ने बुधवार को बताया कि चिनफिंग ने यह घोषणा कोविड-19 टीका सहयोग पर अंतरराष्ट्रीय फोरम में की जिसका आयोजन चीन ने डिजिटल माध्यम से किया।

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