इन दो बैंकों के निजीकरण को लेकर हुई हाईलेवल बैठक
व्यापार: मुंबई। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank Of India) और इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank) का निजीकरण (privatization) किया जा रहा है। इस संबंध में कैबिनेट सचिव की अगुवाई में हाल में एक उच्चस्तरीय बैठक (high level meeting) हुई।
मीटिंग में विभिन्न रेगुलेटरी और प्रशासनिक मुद्दों पर विचार किया गया। ताकि इस प्रस्ताव को विनिवेश (disinvestment) पर मंत्री समूह या अल्टर्नेटिव मैकेनिज्म (AM) के पास मंजूरी के लिए रखा जा सकेगा।
सूत्रों के मुताबिक 24 जून को हुई इस हाई लेवल मीटिंग में नीति आयोग की सिफारिशों पर विचार किया गया। यह समिति इस बारे में सभी तरह की खामियों को दूर करने के बाद सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक का नाम AM को भेजेगी। मीटिंग में कमिटी ने प्राइवेटाइजेशन की संभावना वाले बैंकों के कर्मचारियों के हितों के संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा की।
AM की मंजूरी के बाद इस मामले को प्रधानमंत्री की अगुवाई वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल (central cabinet) को अंतिम मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद प्राइवेटाइजेशन के लिए जरूरी रेगुलेटरी (regulatory) बदलाव किए जाएंगे।
कैबिनेट सचिव की अगुवाई वाली समिति में आर्थिक मामलों के विभाग, राजस्व, व्यय, कॉरपोरेट मामलों और विधि मामलों के अलावा प्रशासनिक विभाग के सचिव भी शामिल हैं। कमिटी में सार्वजनिक उपक्रम विभाग (public undertaking department) तथा लोक संपत्ति एवं प्रबंधन विभाग (Public Property and Management Department) के सचिव भी शामिल हैं।
बजट भाषण में प्राइवेटाइजेशन पर बड़े ऐलान हुए थे
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने 2021 के बजट भाषण में इस बारे में ऐलान किया था, जिसके बाद नीति आयोग ने अप्रैल में कैबिनेट सचिव की अगुवाई में विनिवेश पर सचिवों के ग्रुप को प्राइवेटाइजेशन के लिए कुछ बैंकों के नाम सुझाए थे।
1 फरवरी को हुए भाषण में वित्त मंत्री ने दो सरकारी बैंकों और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी के प्राइवेटाइजेशन की बात कही थी। बता दें कि सरकार की योजना चालू फाइनेंशियल ईयर (2021-22) में सरकारी बैंकों और कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचकर 1.75 लाख करोड़ रुपए जुटाने की है।