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भारत और पाकिस्तान की फिर वार्ता के मसले पर क्या बोले इमरान

विदेश: इस्‍लामाबाद। इमरान खान (Imran Khan) ने एक बार फिर भारत (India) के साथ वार्ता करने के लिए वही पुरानी शर्त रखी है। उन्‍होंने कहा कि भारत अगर कश्‍मीर (Kashmir) में पुरानी स्थिति को बहाल करने का सिर्फ रोडमैप भी देता है तो पाकिस्‍तान (Pakistan) वार्ता के लिए तैयार है। उन्‍होंने कहा कि भारत ने कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्‍म करके रेडलाइन क्रॉस की है, लेकिन भारत अगर सिर्फ यह रोडमैप बता दे तो वह वार्ता को राजी हैं। उन्‍होंने कहा कि बशर्तें भारत को अगस्त, 2019 के फैसले को खत्‍म करने के लिए क्या-क्या कदम उठाएगा यह बताना होगा।

उन्‍होंने कहा कि दोनों देशों के बीच वार्ता की बहाली के लिए पाकिस्तान के लिए यह स्वीकार्य होगा। इमरान ने एक बार फिर भारत के इस फैसले को अंतरराष्‍ट्रीय कानून (International law) और संयुक्‍त सुरक्षा परिषद (united security council) के नियमों का उल्‍लंघन बताया। हालांकि, शुरू से पाकिस्‍तान की इस दलील को खारिज करता है। भारत का कहना है कि यह उसका आंतरिक मामला है। इसमें किसी देश को हस्‍तक्षेप करने का हक नहीं है।

पाकिस्तान से छपने वाले उर्दू अखबारों में इस हफ्ते इमरान खान का एक इंटरव्‍यू और विपक्ष से उनकी तकरार से जुड़ी खबरें सुर्खियों में हैं। प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत से एक बार फिर बातचीत शुरू करने की पेशकश की है। पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अगर कश्‍मीर में पुरानी स्थिति को बहाल करने का सिर्फ रोडमैप भी देता है तो पाकिस्तान उसके साथ बातचीत करने के लिए तैयार है। आखिर क्‍या है इमरान की मांग। भारत को क्‍या है आपत्ति।





संविधान के अनुच्छेद 370 पर अटके इमरान
इमरान ने कहा कि भारत ने संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत कश्मीर को मिलने वाले विशेष राज्य के दर्जे को 5 अगस्त, 2019 को समाप्त कर दिया था। इस संविधान संशोधन के साथ भारत ने कश्मीर से राज्य का दर्जा छीनकर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में तब्दील कर दिया था। पाक‍िस्‍तान का कहना है कि जब तक कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली नहीं हो जाती, भारत से किसी भी तरह की बातचीत संभव नहीं है। अपने साक्षात्‍कार में इमरान ने कहा कि वह भारत के साथ हमेशा खुले दिल से रिश्‍ते रखने के इच्‍छुक रहे हैं। इमरान ने कहा कि सभी इस बात को जानते हैं कि अगर आप भारतीय उप-महाद्वीप में गरीबी को कम करना चाहते हैं तो इसके लिए बेहतरीन रास्ता यही है कि एक दूसरे के साथ व्यापार को बढ़ाया जाए। इस बाबत उन्‍होंने उन्होंने यूरोपीय यूनियन का उदाहरण दिया।

अफगानिस्‍तान पर पुरानी नीति में पाक ने किया बदलाव
रॉयटर्स को दिए साक्षात्‍कार में इमरान ने कहा कि उनकी सरकार ने अफगानिस्‍तान में दोस्ताना सरकार बनाने के लिए स्ट्रैटेजिक डेप्थ यानी ‘सामरिक गहराई’ की दशकों पुरानी नीति में बदलाव किया है। इमरान ने कहा कि अफगानिस्‍तान में अपनी पसंद की सरकार लाने के लिए पाकिस्तान कोई जोड़तोड़ की कोशिश नहीं करेगा, बल्कि अफगानिस्‍तान की जनता जिसको सत्ता में लाएगी, हमारा देश उसे स्वीकार करेगा। उन्‍होंने इस बात की आशंका जताई कि वहां से अमेरिकी सेना के वापस लौटने के बाद वहां एक बार गृह युद्ध शुरू हो सकता है। पाकिस्‍तानी प्रधानमंत्री ने कहा कि अमेरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान से किसी तरह की रियायत लेना आसान नहीं होगा।

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