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डीएम की वित्तमंत्री ने ऐसी की खिंचाई की आग बबूला हुआ विपक्ष, लिया आड़े हाथों

हैदराबाद। भाजपा की लोकसभा प्रवास योजना के तहत वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण कल शुक्रवार को अपने संसदीय क्षेत्र जहीराबाद पहुंची थी। इस दौरान उन्होंने तेलंगाना के कामारेड्डी के जिलाधिकारी जितेश पाटिल की खिंचाई की है। दरअसल, वह इस बात का जवाब नहीं दे सके कि उचित मूल्य की दुकानों के जरिए सप्लाई किए जाने वाले चावल में केंद्र और राज्य का हिस्सा कितना है। जिसके बाद उन्होंने कहा कि हमें आधे घंटे के अंदर इसका जवाब चाहिए। अब उनके इस बयान राज्य के मंत्रियों ने अलोचना शुरू कर दी है।

वित्त मंत्री की टिप्पणियों की निंदा करते हुए तेलंगाना के स्वास्थ्य मंत्री टी हरीश राव ने कहा कि केंद्रीय मंत्री द्वारा राशन की दुकान में प्रधानमंत्री की तस्वीर रखने के लिए कहना अनुचित है। उनके अनुसार, केंद्र एनएफएसए (राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम) के तहत केवल 50 से 55 प्रतिशत कार्डधारकों को प्रति महीने तीन रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से 10 किलोग्राम चावल की आपूर्ति करता है और शेष 45-50 प्रतिशत कार्डधारकों के लिए तेलंगाना सरकार अपने खर्च से आपूर्ति करती है।





राव ने कहा, यह हास्यास्पद है। वह जो बात कर रही हैं उससे प्रधानमंत्री का दर्जा गिरता है। वह ऐसे बात कर रही थीं जैसे सारा चावल (जो मुफ्त दिया जाता है) उनके (केंद्र) द्वारा दिया जा रहा है। वहीं तेलंगाना के एक अन्य मंत्री के टी रामराव ने भी वित्त मंत्री पर हैरानी जताई। केटीआर ने ट्वीट कर कहा, मैं कामरेड्डी के जिला मजिस्ट्रेट/जिलाधीश के साथ वित्त मंत्री सीतारमण के बुरे बर्ताव से स्तब्ध हूं। उन्होंने कहा, सड़कों पर यह राजनीतिक तमाशा कठिन परिश्रमी एआईएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारियों का केवल मनोबल गिराएगा।

यह है पूरा मामला
बता दें कि सीतारमण ने जिलाधिकारी से पूछा, ‘जो चावल खुले बाजार में 35 रुपये में बिक रहा है, वह यहां एक रुपये में लोगों को बांटा जा रहा है। इसमें राज्य सरकार का कितना हिस्सा है?’ वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र साजो-सामान और भंडारण सहित सभी लागत का वहन कर रहा है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों में चावल की आपूर्ति की जा रही है। साथ ही यह जवाब पाने की कोशिश हो रही है कि मुफ्त चावल लोगों तक पहुंच रहा है या नहीं।

सीतारमण ने कहा कि केंद्र लगभग 30 रुपये देता है और राज्य सरकार चार रुपये देती है, जबकि लाभार्थियों से एक रुपया वसूला जाता है। मार्च-अप्रैल 2020 से राज्य सरकार और लाभार्थियों के किसी भी योगदान के बिना केंद्र 30 रुपये से 35 रुपये की कीमत पर मुफ्त चावल उपलब्ध करा रहा है। जब अधिकारी सवाल का जवाब नहीं दे सके, तो केंद्रीय मंत्री ने उन्हें अगले 30 मिनट में जवाब देने को कहा।

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