डेटा बिना नहीं हो सकती जीवन की कल्पना, शिवराज बोले- मैं अर्थशास्त्री भले नहीं पर यह जानता हूं
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि शोध, सर्वेक्षण और वैज्ञानिक तरीके से तैयार किया गया डेटा उपयोगी है। यह सुशासन की नींव है और जनकल्याण में सहायक बनता है। शोध आधारित पुख्ता सांख्यिकी आंकड़े विकास की गति को बरकरार रखते हैं। मध्यप्रदेश में एमपी-डीएपी को एक एग्रीगेटर प्लेटफार्म के रूप में विकसित करने पर विचार किया जाएगा। यह केन्द्र शासकीय नीतियों के असर और लोगों के जीवन में आ रहे बदलाव को देखेगा। इसके द्वारा शासकीय योजनाओं, परियोजनाओं और कार्यक्रमों के प्रभावों का आकलन किया जाएगा। सीए शिवराज ने यह बात अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान, भोपाल में स्थापित किये गए मूल्यांकन एवं प्रभाव आकलन केन्द्र का वर्चुअली शुभारंभ के दौरान कही। इस दौरान उन्होंने राज्य नीति आयोग मध्यप्रदेश द्वारा प्रकाशित एसडीजी प्रगति रिपोर्ट-2023 का विमोचन किया।
सीएम ने आगे कहा कि सूचना क्रांति के युग में डेटा उतना ही जरूरी है, जितना सांस लेना। अब डेटा के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। डेटा ज्ञान का स्त्रोत भी बन गया है। डीबीटी (डायरेक्ट बेनीफिट ट्रान्सफर) डेटा के बिना संभव नहीं। इस तरह डेटा सुशासन की नींव है। प्रदेश में डेटा संग्रहण और विश्लेषण की क्षमता निरंतर बढ़ाई गई है। प्रदेश में 1 करोड़ 30 लाख बहनों के खाते में सीधे राशि पहुँचाने का कार्य विश्वसनीय और व्यवस्थित आंकड़ों से संभव हुआ है। प्रदेश में पहले विश्वसनीय डेटा संग्रहण और विश्लेषण की क्षमता का अभाव था जो प्रदेश की कमजोरी थी। राज्य नीति आयोग और सुशासन संस्थान के री-ओरिएंटेशन, सांख्यिकी आयोग बनाने, डाटा आधारित सतत विकास लक्ष्य, चाइल्ड बजटिंग और जेंडर बजटिंग जैसे प्रयासों से डेटा के क्षेत्र में आत्म-निर्भरता के ठोस प्रयास किये गये।
नीतियों के क्रियान्वयन में डेटा की महत्वपूर्ण भूमिका
सीएम ने कहा कि मैं अर्थशास्त्री नहीं लेकिन यह जानता हूं कि नीतियां बनाने, निर्णय लेने और नीतियों के क्रियान्वयन में डेटा की महत्वपूर्ण भूमिका है। आज मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना की सफलता में डेटा प्रमुख आधार बना है। डेटा, शुद्ध सटीक और विश्वसनीय हो तो लोक कल्याण आसान हो जाता है। मध्यप्रदेश में डेटा आधारित सुशासन की कार्यप्रणाली विकसित करने के लिये मध्यप्रदेश सरकार ने बीते वर्षों में अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए है। इस व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये इस सम्मेलन और कार्यशाला में महत्वपूर्ण संस्थाएं एक मंच पर आई हैं, जो सराहनीय है। उन्होंने कहा कि एन-डीएपी सरकारी डेटा की पहुंच और उपयोग में सुधार के लिये नीति आयोग की विशेष पहल है। यह प्लेटफार्म भारत के विशाल सांख्यिकी बुनियादी ढांचे से डेटासेट एकत्र और होस्ट करता है। इसे वर्ष 2020 से 2022 से मध्य विकसित किया गया है। एन-डीएपी का उपयोग कर मध्यप्रदेश डेटा एवं एनालिटिक्स प्लेटफार्म (एमपी-डीएपी) को एक एग्रीगेटर प्लेटफार्म के रूप में विकसित किये जाने पर विचार किया जाएगा।
तीन दिनी सम्मेलन का सोमवार को हुआ था शुभारंभ
भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में हो रहे इस तीन दिवसीय (11 से 13 सितम्बर) सम्मेलन और कार्यशाला में अनेक अर्थशास्त्री, शोधकर्ता और विकास से जुड़ी संस्थाओं के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। सम्मेलन के प्रमुख हिस्सों में सुशासन संस्थान में मूल्यांकन एवं प्रभाव आकलन केन्द्र की स्थापना, चाइल्ड एवं जेन्डर बजटिंग पर कार्यशाला, सांख्यिकी प्रणाली को मजबूत बनाने के लिये क्षमता संवर्द्धन कार्यक्रम को भी जोड़ा गया। यह संयुक्त प्रयास प्रदेश के डेटा डिलीवरी तंत्र को सशक्त बनाने में सहायक होंगे।