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Congress’s crisis: आनंद ने पार्टी के इस कार्यक्रम से किया किनारा, अब शुरू हुईं अटकलबाजियां

शिमला/नयी दिल्ली। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है। इतना ही नहीं, पार्टी ने कल बुधवार को ‘10 संकल्प’ वाला घोषणा पत्र जारी किया। इस दौरान चुनाव पर्यवेक्षक छग के सीएम भूपेश बघेल चुनाव के लिए कांग्रेस पर्यवेक्षक सचिन पायलट और प्रताप सिंह बाजवा, पार्टी के प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला, सह प्रभारी संजय दत्त, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और प्रदेश पार्टी के वरिष्ठ नेता मौजूद थे। लेकिन पार्टी से नाराज चल रहे वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा पार्टी की मैनिफेस्टो कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हुए।

आनंद शर्मा के कार्यक्रम में शामिल नहीं होने को लेकर उनके बारे में राजनीतिक हलकों में अटकलों का बाजार गर्म है। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि पार्टी की तरफ से आनंद शर्मा की नाराजगी को दूर नहीं किया गया तो वह भी गुलाम नबी की तर्ज पर पार्टी से किनारा कर सकते हैं। हालांकि, इस बारे में आनंद शर्मा की तरफ से अभी किसी भी तरह की बात नहीं कही गई है। यह भी याद दिला दें कि शर्मा ने 21 अगस्त को हिमाचल कांग्रेस की संचालन समिति के अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया था।

कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव पर भी उठाया था सवाल
इससे पहले 28 अगस्त को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में आनंद शर्मा ने कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव को लेकर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था कि ब्लॉक, जिले और राज्य स्तर पर चुनाव नहीं हो रहे हैं। ना तो अध्यक्ष पद के लिए वोटरों की संख्या बताई जा रही है। शर्मा के सवाल उठाने के बाद सोनिया गांधी ने कांग्रेस इलेक्शन कमेटी के चेयरमैन मधुसूदन मिस्त्री को इसे देखने का आदेश दिया था।





पांच दिनों में दो बार मिल चुके हैं आजाद से
बता दें कि गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस छोड़ने के बाद पिछले 5 दिनों में शर्मा उनसे दो बार मिल चुके हैं। वही आनंद शर्मा और भूपिंदर सिंह हुड्डा आजाद से मिलने पहुंचे थे। तीनों के बीच करीब 2 घंटे तक बातचीत हुई। इससे पहले, आनंद शर्मा 27 अगस्त को आजाद से मिलने उनके सरकारी आवास गए थे।

तब भी निकाले गए थे कई मायने
आनंद शर्मा ने कांग्रेस की संचालन समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देते समय सोनिया गांधी से अपनी नाराजगी जाहिर की थी। अपने इस्तीफे में आनंद शर्मा ने कहा था कि वह अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं कर सकते और इसलिए इस्तीफा दे रहे हैं। शर्मा ने कांग्रेस अध्यक्ष से कहा था कि परामर्श प्रक्रिया में उन्हें नजरअंदाज किया गया। इसके अलावा किसी भी मीटिंग में नहीं बुलाया गया। हालांकि उन्होंने सोनिया से यह जरूर कहा था कि वह राज्य में पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार जारी रखेंगे। जी-23 नेताओं का हिस्सा रहे आनंद शर्मा के इस्तीफे के कई मायने निकाले जा रहे थे।

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