मध्यप्रदेश

कमलनाथ और भिंडरवाले का रिश्ता क्या कहलाता है ?

भिंडावाले को फंडिंग में कमलनाथ का हाथ, रॉ के पूर्व अधिकारी का आरोप
-खालिस्तानी भिंडरवाले को बिन मांगे पैसे दिए कमलनाथ ने

भोपाल। खालिस्तान के मुद्दा इन दिनों गर्माया हुआ है। इसी मुद्दे पर कनाडा से मतभेद के बीच अब भिंडारवाला से जुड़ी एक सनसनीखेज जानकारी सामने आई है। सनातन और देश विरोधी बयान देने जैसे आरोप कांग्रेस पार्टी पर लगते रहे हैं। पार्टी के कई नेता विदेशों में जाकर देश विरोधी बातें भी करते रहते हैं। लेकिन अब रॉ के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने कुछ ऐसे पुराने प्रसंगों का जिक्र अपने एक इंटरव्यू में किया है जिसने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का अस्सी के दशक में खालिस्तानी समर्थक भिंडरवाले से संबंधों को जाहिर कर दिया है। रॉ के पूर्व अधिकारी जीबीएस सिद्धू ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता कमलनाथ, संजय गांधी और उनके ग्रुप के लोग भिंडरावाले को फंडिंग करते थे।

हिंदुओं को डराने के लिए भिंडारवाले का इस्तेमाल
एक मीडिया इंटरव्यू में रॉ के पूर्व विशेष सचिव जीबीएस सिद्धू ने सीधेतौर पर कहा है कि कांग्रेस ने अस्सी के दशक में भिंडरावाले का इस्तेमाल किया था। इसके पीछे सोच यह थी कि वे हिंदुओं को डराने के लिए भिंडरावाले का इस्तेमाल करेंगे और खालिस्तान का एक नया मुद्दा बनाया जाएगा, जो उस समय अस्तित्व में था ही नहीं।

भिंडारवाले को पैसे भेजते थे कमलनाथ
सिद्धू ने कहा कि वे उस समय कनाडा में थे। लोग बात करते थे कि कांग्रेस भिंडरावाले से मुहब्बत क्यों कर रही है, उसके साथ नजदीकियां क्यों बढ़ा रही है? कमलनाथ ने कहा कि हम एक बहुत ही हाई-प्रोफाइल संत को भर्ती करना चाहते थे, जो हमारी बात मान सके। हम उन्हें पैसे भेजते थे। कमलनाथ और संजय गांधी ने भिंडरावाले को पैसे भेजे। जबकि भिंडरावाले ने अपने जीवन में कभी खालिस्तान नहीं मांगा था। कुलदीप नैयर ने अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘बियॉन्ड द लाइन’ में इसका जिक्र किया है।

राजनीतिक उद्देश्य के लिए भिंडारवाले का इस्तेमाल
रॉ अधिकारी सिद्धू खालिस्तान आंदोलन से जुड़ी घटनाओं पर किताब ‘द खालिस्तान कॉन्सपिरेसी’ (The Khalistan Conspiracy) भी लिख चुके हैं। अपनी किताब में उन्होंने खालिस्तान आंदोलन के पीछे की वजह, ऑपरेशन ब्लू स्टार, प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का जिक्र किया है। सिद्धू ने कहा कि उन्होंने (कमलनाथ) कहा था – ‘भिंडारवाले ने कभी अपने जीवन में खालिस्तान नहीं मांगा। अगर बीबी (इंदिरा गांधी) मेरी झोली में डाल देगी तो ना भी नहीं करूंगा’…। वे राजनीतिक उद्देश्यों के लिए भिंडरावाले का उपयोग करना चाहते थे।

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