मध्यप्रदेश

ऐसा पहली बार: BJP विधायक ने चुनाव लड़ने का फैसला जनता पर छोड़ा, बोले-50% कम वोट मिले तो नहीं लड़ूंगा चुनाव

विधायक संजय पाठक ने बताया पद महत्वपूर्ण नहीं है। पार्टी आलाकमान जिसको चाहे टिकट दे। मुझे स्वीकार है। जनता तय करेगी मेरे भाग्य का फैसला। इन्होंने कहा कि अगर आपको लगे कि मैंने कोई काम नहीं किया तो आप मना कर देना। पाठक ने कहा कि बाबूजी हमेशा से आपके लिए सेवाभाव करते थे। विजयराघवगढ़ मेरा परिवार है।

भोपाल। लोकसभा या फिर विधानसभा चुनाव हो। चुनाव से पहले राजनीतिक दल उम्मीदवारों को लेकर सर्वे कराती हैं। यह सभी जातने हैं, लेकिन विजयराघवगढ़ से भाजपा विधायक संजय पाठक चुनाव से पहले मतदान करा रहे हैं। वह जतना से वोटिंग करा कर पूछ रहे हैं कि मैं चुनाव लड़ू या नहीं। इतना ही नहीं संजय पाठक ने चुनाव आयोग की तरह बाकायदा मतदान पेटियों का उपयोग कर जतना से वोट डलवा रहे हैं। पाठक का कहना है कि 50 प्रतिशत से कम वोट मिले तो चुनाव नहीं लड़ूगा।

भारत के इतिहास में शायद ऐसा पहली बार हो रहा होगा जब चुनाव लड़ने का फैसला जनता पर छोड़ गया है। दरअसल, विधायक संजय पाठक ने कुछ दिन पहले जनसभा के दौरान कहा था कि मैं तभी चुनाव लडूंगा जब 50% से अधिक जनता कहेगी। इसी के तहत विधायक वोटिंग करा रहे हैं। सोमवार से शुरु हुई वोटिंग की प्रक्रिया 25 अगस्त तक चलेगी। इसके बाद मतों की गिनती होगी। इस चुनाव का परिणाम तय करेगा कि विजयराघवगढ़ विधानसभा में विधायक संजय पाठक को चुनाव लड़ना है या नहीं।

मतदान पेटियां लेकर गांव-गांव और बूथ स्तर तक जाएंगे कार्यकर्ता
कार्यकर्ता मतदान पेटिंया लेकर गांव-गांव और बूथ स्तर तक जाएंगे। पांच दिन तक लोगों से वोटिंग कराई जाएगी। इसके लिए एक मतदान पर्चा छपाया गया। जिसमें लिखा है कि क्या आप अपने संजय सत्येंद्र पाठक को पुन: अपना विधायक बनाना चाहते है। इसमें हां और नहीं के दो विकल्प दिए गए है। जिनमें से एक पर टिक कर पर्चे को मतदान पेटी में डालना है। पेटियों को सील किया गया है। एक व्यक्ति एक ही बार वोट कर सकेंगा। 25 अगस्त को वोटिंग प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही मतगणना की जाएगी। संजय पाठक ने दावा किया है कि यदि उनको 50 प्रतिशत लोगों के मत नहीं मिले तो वह चुनाव नहीं लड़ेंगे।

पद नहीं महत्वपूर्ण
विधायक संजय पाठक ने बताया पद महत्वपूर्ण नहीं है। पार्टी आलाकमान जिसको चाहे टिकट दे। मुझे स्वीकार है। जनता तय करेगी मेरे भाग्य का फैसला। इन्होंने कहा कि अगर आपको लगे कि मैंने कोई काम नहीं किया तो आप मना कर देना। पाठक ने कहा कि बाबूजी हमेशा से आपके लिए सेवाभाव करते थे। विजयराघवगढ़ मेरा परिवार है। आपकी सेवा हमेशा से करता आया हूं और आगे भी करता रहूंगा। पद महत्वपूर्ण नहीं है। सेवाभाव जरूरी है। बाबूजी से हमने यही विरासत में पाया है।

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