उज्जैनमध्यप्रदेश

साल में नागपंचमी के दिन ही खुलता है यह मंदिर, विश्व में ऐसी प्रतिमा कहीं नहीं

हिन्दू धर्म में नागपंचमी के त्यौहार का बहुत महत्व है। इस दिन लोग नागों की पूजा अर्चना करते हैं। हिन्दू धर्म में नागों का भगवान का आभूषण माना जाता है। भारत में नागों की पूजा अर्चना के लिए कई मशहूर मंदिर भी है। इन्हीं मशहूर मंदिरों में एक मंदिर उज्जैन का नागचन्द्रेश्वर मंदिर है, इस मंदिर की खासियत यह है कि यह मंदिर साल में केवल एक ही बार खुलता है। यानि कि सालभर नागचन्द्रेश्वर भगवान ध्यान में रहते हैं और केवल नागपंचमी के दिन ही भक्तों को दर्शन देते हैं।

 

 

महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर है मंदिर

बाबा महाकाल की नगरी उज्जैनी में नागचन्द्रेश्वर मंदिर स्थित है। बाबा महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर इस मंदिर को साल में केवल एक ही बार खोला जाता है। हर साल नागचन्द्रेश्वर भगवान के दर्शनों के लिए लाखों भक्त मंदिर पहुंचते हैं।

 

 

 

क्यों केवल साल में एक होते हैं दर्शन

ऐसी पैराणिक मान्यता है कि नागों के देवता भगवान नागराज तक्षक स्वयं इस मंदिर में मौजूद हैं। नागराज तक्षक ने भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी। तब भगवान तक्षक की तपस्या से भोले शंकर खुश होकर उन्हें अमरत्व का वरदान दिया था। भगवान शंकर के वरदान के बाद से ही सर्पराज तक्षक ने उनके सानिध्य में ही वास करना शुरू कर दिया। लेकिन बाबा महाकाल वन में वास करने से पूर्व सर्पराज तक्षक की यही मंशा थी कि उनके एकांत में विघ्न ना हो इस वजह से सिर्फ नागपंचमी के दिन ही उनके मंदिर को खोला जाता है।

 

 

 

ऐसी प्रतिमा कहीं और नहीं

सर्पराज तक्षक की मंशा के अनुरुप केवल साल में एक दिन यानि नागपंचमी के दिन ही उनके दर्शन होते हैं। उज्जैन में बाबा महाकाल मंदिर की तीसरी मंदिर पर स्थित सर्पराज तक्षक का दूसरे कई मायनों में भी खास है।  नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की प्रतिमा मौजूद है, जिसको लेकर दावा किया जाता है कि ऐसी प्रतिमा दुनिया में और कहीं नहीं है। इस प्रतिमा को नेपाल से यहां लाया गया था।

 

 

 

ऐसी है सर्पराज तक्षक की प्रतिमा

नागचंद्रेश्वर मंदिर में भगवान विष्णु की जगह शंकर भगवान सांप के शय्या पर विराजमान हैं। मंदिर में जो प्राचीन मूर्ति स्थापित है उस पर शिव जी, गणेश जी और मां पार्वती के साथ दशमुखी सर्प शय्या पर विराजित हैं।

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