चुनाव आयोग ने लोजपा के किए दो टुकड़े : पार्टी का नाम बदलने के साथ ही चुनाव चिन्ह भी बदला
पटना। दलित राजनीति के बड़े नेता रहे रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) की विरासत उनके निधन के एक साल के बाद ही बंट गई है। इस बीच दो गुटों में बंटी लोजपा (LJP) को लेकर चुनाव आयोग (election Commission) ने बड़ा फैसला सुनाया है। पुरान चुनाव चिन्ह (election symbol) को जब्त कर चुनाव आयोग ने दोनों गुटों को अलग-अलग पार्टी के तौर पर मंजूरी दे दी है। अब चिराग पासवान (Chirag Paswan) की लीडरशिप वाले धड़े का नाम लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) (Lok Janshakti Party (Ram Vilas)) होगा। इस दल को हेलिकॉप्टर (helicopter) चुनाव चिह्न आवंटित दिया गया है।
वहीं उनके चाचा पशुपति पारस (Pashupati Paras)की पार्टी का नाम राष्ट्रीय लोकजनशक्ति पार्टी (National Lok Janshakti Party) होगा और इसका चुनाव चिन्ह सिलाई मशीन (sewing machine) होगा। इसके साथ ही दोनों गुटों के बीच पार्टी को लेकर दावे की लड़ाई अब खत्म होती दिख रही है। हालांकि चिराग पासवान की पार्टी के नाम रामविलास जुड़ गया है, जिससे उन्हें चुनावी समर में पिता की विरासत के आधार पर वोट मांगने में मदद मिल सकती है।
बता दें कि पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी में कलह शुरू हो गई थी, जिसके बाद पार्टी दो धड़ों में बंट गई थी, पार्टी के सभी सांसद पशुपति कुमार पारस के साथ जाने के बाद चिराग पासवान अकेले पड़ गए थे। लेकन पार्टी पर दोनों गुट अपनी-अपनी दावेदारी कर रहे थे। जिसके बाद से चाचा और भतीजे के बीच माहौल काफी गर्म हो था। दोनों नेताओं की ओर से पार्टी के चिह्न हो लेकर दावा किया जा रहा था। लगातार इसको लेकर सियासत हो रही थी।
रामविलास पासवान के निधन के बाद से ही उनके बेटे चिराग और भाई पशुपति पारस के बीच मतभेद उभर आए थे। यही नहीं लोजपा ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में NDA से अलग होकर चुनाव लड़ा था और एक भी सीट नहीं मिल पाई थी। इसके बाद पार्टी में मतभेद गहरे होते चले गए। पशुपति कुमार पारस के गुट ने चिराग को राष्ट्रीय अध्यक्ष और संसदीय दल के नेता के पद से ही हटा दिया था।
चुनाव आयोग ने सिंबल किया था जब्त
पिछले सप्ताह चुनाव आयोग ने लोजपा का चुनाव चिह्न जब्त कर लिया था। चाचा-भतीजा ने चुनाव आयोग से पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न जारी करने की मांग की थी। चुनाव आयोग ने दोनों नेताओं को पार्टी का नाम और चिह्न अलॉट कर दिया है। चुनाव आयोग ने 4 अक्टूबर को दोपहर 1 बजे तक अपने-अपने गुट के लिए नया नाम और सिंबल का तीन विकल्प देने का आदेश दिया था। जिसपर दोनों गुटों ने आयोग के आदेश का पालन करते हुए जवाब भेज दिया था। आयोग ने मंगलवार को दोनों नेताओं को पार्टी का नया नाम और चुनाव चिह्न जारी कर दिया है।