राहुल का निशाना: बिना लड़ाई चीन को दी 1000 वर्ग किमी जीमन, अब इसे कैसे लेंगे वापस बताएं मोदी
नई दिल्ली। भारतीय सैन्य अधिकारियों और चीन सैन्य अधिकारियों के बीच हुई 16 राउंड की बैठक के बाद भारत और चीन की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख में गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स क्षेत्र से कल मंगलवार को वापसी कर ली है। इसके एक दिन बाद बुधवार को भारत जोड़ो यात्रा पर निकले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केन्द्र सरकार को घेर लिया है। कांग्रेस नेता ने सुबह ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया है कि चीन ने अप्रैल 2020 की यथास्थिति बहाल करने की भारत की मांग को मानने से इनकार कर दिया है। पीएम ने बिना किसी लड़ाई के चीन को 1000 वर्ग किलोमीटर जमीन दी है।
राहुल ने सरकार से यह भी सवाल किया क्या भारत सरकार बता सकती है कि इस क्षेत्र को कैसे पुन: प्राप्त किया जाएगा। हालांकि यह पहला मौका नहीं है, जब राहुल गांधी ने इस तरह का आरोप लगाया है। इससे पहले भी उन्होंने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि भारत सरकार ने अपनी जमीन चीन को दे दी। बता दें पैंगोंग झील क्षेत्रों में हिंसक झड़प के बाद 5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध शुरू हो गया। दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिक और भारी हथियारों की तैनाती कर दी। कई दौर की सैन्य और राजनयिक वार्ता के परिणामस्वरूप, दोनों पक्षों ने पिछले साल पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण तट क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की थी।
इन दो क्षेत्रों गतिरोध दूर करने अब तक नहीं हुई कोई प्रगति
दोनों सेनाओं के स्थानीय कमांडरों ने उस टकराव वाले बिंदु से सैनिकों की वापसी प्रक्रिया के समापन के बाद एक बैठक की जहां दोनों पक्षों में दो साल से अधिक समय से गतिरोध था। हालांकि दोनों पक्ष गश्त चौकी15 (पीपी-15) से पीछे हट गए हैं लेकिन डेमचोक और देपसांग क्षेत्रों में गतिरोध को दूर करने में अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई है। भारत और चीन की सेनाओं ने एक बड़े घटनाक्रम के तहत आठ सितंबर को घोषणा की थी कि उन्होंने पूर्वी लद्दाख के गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स में पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी)-15 क्षेत्र से पीछे हटना शुरू कर दिया है।
दोनों देशों ने 8 सितंबर को की थी सेना हटाने की घोषणा
दोनों सेनाओं ने 8 सितंबर को प्रक्रिया की शुरूआत की घोषणा करते हुए कहा था कि गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स क्षेत्र से सैनिकों का पीछे हटना जुलाई में उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता के 16वें दौर का परिणाम है. शुरूआत में, प्रत्येक पक्ष के लगभग 30 सैनिक पीपी-15 क्षेत्र में आमने-सामने की स्थिति में थे, लेकिन क्षेत्र की समग्र स्थिति के आधार पर सैनिकों की संख्या बदलती रही. भारत लगातार यह कहता रहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और स्थिरता द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है।