शिवराज के विभाग में हुआ बड़ा घोटाला, तत्काल दें इस्तीफा: कांग्रेस ने की यह मांग
भोपाल। मध्य प्रदेश महालेखाकार की 36 पन्नों की गोपनीय रिपोर्ट में महिला बाल विकास विभाग में पोषण आहार के उत्पादन, वितरण, परिवहन और भंडारण में घोटाले का खुलासा होने के बाद कांग्रेस शिवराज सरकार पर हमलावर हो गई है। इसी कड़ी में मंगलवार को कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा और मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने संयुक्त प्रेसवार्ता कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर गभीर आरोप लगाए। बता दें कि महिला बाल विकास विभाग खुद शिवराज अपने पास रखे हुए हैं।
मीडिया से बात करते हुए दोनों नेताओं ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि इनका मुख्य काम भ्रष्टाचार करना रह गया है। मुख्यमंत्री राज्य की पहचान घोटाला प्रदेश के रूप में बना रहे हैं। व्यापमं घोटाला, डंपर घोटाला, ई-टेंडर घोटाला के बाद अब प्रदेश में पोषण आहार परिवहन घोटाला सामने आया है। कांग्रेस नेताओं ने मुख्यमंत्री से सवाल किया की क्या मुख्यमंत्री और घोटालों का चोली-दामन का साथ है? क्यों हर बार मुख्यमंत्री के विभाग में ही घोटाला होता है? इस घोटाले की जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस्तीफा दें।
4.05 मीट्रिक टन करना था राशन का वितरण
रिपोर्ट के मुताबिक विभाग ने 2021 तक तक 4.05 मीट्रिक टन टेक होम राशन का वितरण किया और 1.35 करोड़ लाभार्थियों पर 2393.21 करोड रुपए खर्च किए। रिपोर्ट में स्पष्ट बताया गया है कि जिन ट्रकों से राशन ट्रांसपोर्ट करने का दावा किया गया है, वे ट्रक थे ही नहीं और उनके नंबर मोटरसाइकिल, कार आटो रिक्शा और दूसरे छोटे वाहनों के निकले। इनमें से कोई नंबर ट्रक का पाया ही नहीं गया। इसी तरह बाडी, धार, मंडला, रीवा, सागर और शिवपुरी के छह प्लांटों ने बड़े पैमाने पर राशन की सप्लाई दर्शाई गई, जबकि जांच में पता चला कि इन प्लांट में राशन का स्टॉक ही नहीं था।
बच्चों और महिलाओं को दिया जाना था पोषण आहार
मध्यप्रदेश के महालेखाकार की रिपोर्ट के मुताबिक 2021 के लिए टेक होम राशन योजना के लगभग 24 प्रतिशत लाभार्थियों की जांच पर आधारित थे, इस योजना के तहत 49.58 लाख पंजीकृत बच्चों और महिलाओं को पोषण आहार दिया जाना था, इनमें 6 महीने से 3 साल की उम्र के 34.69 लाख बच्चे, 14.25 लाख गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली मां और 11-14 साल की लगभग 64 हजार बच्चियां शामिल थीं, जिन्होंने किसी कारणवश स्कूल छोड़ दिया है।
मामले की हो स्वतंत्र जांच
रिपोर्ट के अनुसार राशन निर्माण संयंत्रों ने निर्धारित और अनुमानित क्षमता से अधिक उत्पादन की जानकारी दी है जब कच्चे माल और बिजली की खपत की तुलना वास्तविक राशन उत्पादन से की गई तो पाया गया कि इसमें 58 करोड़ रू. की हेराफेरी की गई। रिपोर्ट में कहा गया 237 करोड़ का ऐसा राशन सप्लाई किया गया जो पोषक नहीं था। इसका मतलब है कि लाखों लोगों को घटिया राशन सप्लाई कर दिया गया। यह घोटाला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। मुख्यमंत्री को अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए और मामले की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए। क्योंकि अगर मुख्यमंत्री अपने पद पर बने रहेंगे तो किसी भी एजेंसी के लिए स्वतंत्र जांच करना आसान नहीं होगा।