भोपालमध्यप्रदेश

मप्र में 5 साल में घटे 1.36 करोड़ गरीब: परिचर्चा में शिवराज बोले- यह सुविधाएं मिलना गरीबी से मुक्ति नहीं

सीएम शिवराज ने कहा कि मप्र में सामाजिक न्याय के लिए निरंतर बुनियादी नागरिक सुविधाएं बढ़ाएंगे और कल्याण योजनाओं के क्रियान्वयन को मजबूत बनाएंगे। गरीब कल्याण हमारा दृढ़-संकल्प है। मध्यप्रदेश निरंतर विकास कर रहा है। समग्र प्रयासों से गरीबी कम होती है।

भोपाल। नीति आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट में मध्यप्रदेश में गरीबों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। रिपोर्ट के अनुसार गरीबों की संख्या में 15.94% की गिरावट आई है। नीति आयोग की रिपोर्ट को लेकर राजधानी भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे अंतर्राष्ट्रीय सभागार में परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, संयुक्त राष्ट्र के भारत में स्थानीय प्रतिनिधि शोम्बी शार्प, नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत, वरिष्ठ सलाहकार डॉ. योगेश सूरी, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, सचिव मुख्यमंत्री एवं जनसंपर्क विवेक पोरवाल सहित वरिष्ठ अधिकारी, अर्थशास्त्री और शोध विद्यार्थी शामिल हुए। इस दौरान सीएम को गरीबी पर तैयार रिपोर्ट की प्रति सौंपी गई। रिपोर्ट में बताया गया कि मध्यप्रदेश में 1 करोड़ 36 लाख लोग गरीबी से मुक्त हुए हैं।

सीएम शिवराज ने कहा कि मप्र में सामाजिक न्याय के लिए निरंतर बुनियादी नागरिक सुविधाएं बढ़ाएंगे और कल्याण योजनाओं के क्रियान्वयन को मजबूत बनाएंगे। गरीब कल्याण हमारा दृढ़-संकल्प है। मध्यप्रदेश निरंतर विकास कर रहा है। समग्र प्रयासों से गरीबी कम होती है। सिर्फ आय वृद्धि ही गरीबी कम होने का आधार नहीं बल्कि अधोसंरचना की मजबूती के साथ नागरिकों के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने, पर्यावरण के संतुलन, वन्य-प्राणियों के संरक्षण जैसे कार्यों से सम्पूर्ण समृद्धि संभव होती है। संसाधनों पर सभी नागरिकों का अधिकार है।

सुविधाओं का मजबूत बनाने लगातार हो रहे प्रयास
आज मध्यप्रदेश यदि सजग मध्यप्रदेश के रूप में गरीबी उन्मूलन योजनाओं में अग्रणी बना है, तो इसके पीछे गत दो दशक में बिजली, पानी, सड़क, सिंचाई जैसी महत्वपूर्ण सुविधाओं को मजबूत बनाने के निरंतर किए गए प्रयास शामिल हैं। आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने और आर्थिक विकास दर बढ़ाने के प्रयास सफल हुए हैं। मध्यप्रदेश ने जो उपलब्धि अर्जित की है, वह गर्व का विषय है। देश में गरीबी के बोझ को कम करने में मध्यप्रदेश के लगभग 10 प्रतिशत के योगदान को महत्वपूर्ण बताते हुए प्रसन्नता व्यक्त की। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में वर्ष 2015-16 से वर्ष 2019-21 के मध्य 1 करोड़ 36 लाख लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। मध्यप्रदेश में गरीबी की तीव्रता जो 47.25 प्रतिशत होती थी वो घटकर 43.70 प्रतिशत रह गई है। बहुआयामी गरीबी की तीव्रता स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के तीन आयामों के औसत प्रतिशत को ध्यान में रखकर देखी जाती है।

हर मनुष्य सुखी जीवन का होता है आकांक्षी
बुद्धजीवियों से परिचर्चा के दौरान सीएम ने कहा कि कहा कि यह एक अहम प्रश्न है कि गरीबी की परिभाषा क्या है। बुनियादी आवश्यकता रोटी, कपड़ा, मकान, रोजगार का साधन, पढ़ाई और दवाई की व्यवस्था ही गरीबी से मुक्ति नहीं है। प्रत्येक मनुष्य सुखी जीवन का आकांक्षी होता है। इसके लिए शरीर, आत्मा, बुद्धि और मन का सुख आवश्यक माना जाता है। एक समय था, मध्यप्रदेश में न बिजली थी, न पर्याप्त सड़कें, न पानी की व्यवस्था। मध्यप्रदेश में लगभग दो दशक में साढ़े सात लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता को बढ़ाकर 47 लाख हेक्टेयर तक लाने में सफलता मिली है। अनाज का उत्पादन बढ़ा। प्रति व्यक्ति आय जो मात्र 11 हजार थी, आज बढ़कर एक लाख 40 हजार रूपए हो गई है। देश की अर्थ-व्यवस्था में मध्यप्रदेश का योगदान 3 प्रतिशत से बढ़कर 4.8 प्रतिशत हुआ है।

गरीबी उन्मूलन में मप्र का महत्वपूर्ण योगदान
नीति आयोग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. योगेश सूरी ने कहा कि मध्यप्रदेश का गरीबी उन्मूलन में बड़ा योगदान प्राप्त हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी कम करने में विशेष सफलता मिली है। बहुआयामी गरीबी संकेतक के आधार पर किए गए आकलन के अनुसार प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में बहुआयामी गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली जनसंख्या का प्रतिशत लगभग 19 प्रतिशत कम हुआ है। श्री सूरी ने जिलावार प्रगति का भी उल्लेख किया। वहीं यूएन रेसीडेंट को-आर्डिनेटर श्री शोम्बी शार्प ने मध्यप्रदेश में कृषि क्षेत्र में हुए विकास को सराहनीय बताया। सतत विकास लक्ष्यों के साथ जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर आवश्यक प्रयास होना ही चाहिए। उन्होंने मध्यप्रदेश से अपने लगाव का भी उल्लेख किया।

मध्यप्रदेश में गरीबी उन्मूलन उपलब्धि-एक नजर
मध्यप्रदेश में वर्ष 2015-16 से 2019-21 के बीच 1 करोड़ 36 लाख लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। मध्यप्रदेश में पाँच वर्ष की अवधि में गरीबों की संख्या में 15.94% की गिरावट आई है। यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। वर्ष 2015-16 में 36.57% से घटकर यह 2019-21 में 20.63% रह गई। देश के सभी राज्यों में मध्यप्रदेश में सबसे तेजी से गरीबी में कमी देखी गई है। गरीबों की संख्या में कमी के मामले में सबसे उल्लेखनीय सुधार प्रदेश के जिन जिलों में हुआ है उनमें अलीराजपुर, बड़वानी, खंडवा, बालाघाट, और टीकमगढ़ शामिल हैं।

जिलों की उपलब्धि
अखिल भारतीय राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4-(2015-16) में अलीराजपुर में गरीबों की संख्या 71.31 प्रतिशत थी, जो एनएचएचएस-5 (2019-21) में घटकर 40.25% रह गई। इस प्रकार 31.5 प्रतिशत सुधार हुआ है। बड़वानी में 61.60 प्रतिशत से कम होकर 33.52 प्रतिशत रह गई है। इस प्रकार 28.08% का सुधार हुआ है। खंडवा में गरीबी का प्रतिशत 42.53 से कम होकर 15.15% पर आ गया है। इस प्रकार 27.38 प्रतिशत सुधार हुआ है। बालाघाट में 26.48 प्रतिशत और टीकमगढ़ में 26.33 प्रतिशत सुधार हुआ है। सतत विकास के लक्ष्यों में 2030 तक गरीबी को कम से कम आधा करना शामिल है।

ग्रामीण, शहरी क्षेत्रों में गरीबी में कमी
मध्यप्रदेश की ग्रामीण क्षेत्र में गरीबों की आबादी में 20.58% की गिरावट आई है। एनएफएचएस-4 (2015-16) में यह 45.9% थी, जो एनएफएचएस-5 (2019-21) में कम होकर 25.32% तक आ गई है। गरीबी की तीव्रता भी 3.75% (47.57% से 43.82%) तक कम हो गई है और गरीबी सूचकांक 0.218 से घटकर 0.111 लगभग आधा हो गया है। शहरी गरीब आबादी में 6.62% की गिरावट आई है। एनएफएचएस 4 (2015-16) में यह 13.72% थी, जो एनएफएचएस-5 (2019-21)में कम होकर 7.1% तक आ गई है। शहरी गरीबी की तीव्रता भी 2.11% (44.62% से 42.51%) तक कम हो गई है।

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