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सफेद हाथी साबित हो रही नहर: 40 माह में तैयार होने वाली टनल नहीं बन पाई 15 साल में, नर्मदा जल के लिए इंतजार और बढ़ा

टनल निर्माण में आयी रुकावटों के कारण इसे पूरा करने सरकार ने न केवल खजाना खोल दिया बल्कि अब तक 7 बार एक्सटेंशन देकर डेडलाइन भी बढ़ाई। 799 करोड़ के इस प्रोजेक्ट की लागत लगभग दो गुनी होकर 1350 करोड़ के करीब पहुच चुकी है। एक बार फिर से प्रोजेक्ट का बजट बढ़ाने की अधिकारियों की तैयारी है।

रीवा। जबलपुर से कटनी-सतना होकर रीवा तक नर्मदा का पानी पहुंचने के लिए बनाई जा रही नर्मदा दायीं तट नहर सफेद हाथी साबित हो रही है। तकनीकी अमले की चूक लापरवाही और हीलाहवाली के कारण 15 साल का समय गुजरने और निर्धारित लागत से दो गुनी राशि डकारने के बाद भी प्रोजेक्ट अधर में है। चुनावों के मद्देनजर सरकार ने तेजी लाने की कोशिश जरूर की लेकिन स्लीमनाबाद के समीप एक बार फिर टनल बोरिंग मशीन ठप्प हो गई।

डाउन स्ट्रीम टीबीएम मशीन की मेन बेयरिंग में खराबी आने के बाद यह तय हो गया है कि लोकसभा चुनाव तक भी नर्मदा के पानी से ना तो कटनी शहरवासियों के कंठ तर हो पाएंगे और न ही सतना और रीवा के खेत नम हो सकेंगे। विशेषज्ञ अधिकारियों की कमी तकनीकी अमले की चूक और ठेकेदार की लापरवाही का खामियाजा तीन जिलों के लाखों किसानों को भुगतना पड़ रहा है। मार्च 2008 में शुरू हुई बरगी व्यपवर्तन परियोजना की नर्मदा दायीं तट नहर में स्लीमनाबाद के समीप लगभग 12 किलोमीटर लम्बाई की टनल बनाया जाना प्रस्तावित किया गया था। जिसके निर्माण की समयावधि 40 महीने(25 जुलाई 2011) निर्धारित थी लेकिन 15 साल बीतने के बाद भी निर्माण पूरा नही हो पाया है।

अभी भी 2 किमी लंबाई की टनल बनना बाकी
अभी भी करीब 2 किलोमीटर लम्बाई की टनल बनना बाकी है। इस बीच डाउन स्ट्रीम की टीबीएम में खराबी आने के बाद कम से कम 6 महीने बाद ही इस छोर से निर्माण फिर से शुरू होने की उम्मीद की जा सकती है। जुलाई 2011 में पहली समयावधि बढ़ने के बाद जून 2023 तक सात बार डेडलाइन बढ़ाई जा चुकी है अब आठवी बार बढ़ाये जाने की प्रक्रिया चल रही है। इतना जरूर है कि नहर अधिग्रहण में पुस्तैनी जमीन खो चुके हजारों किसानों के लिए अभिशाप बन चुकी यह परियोजना अधिकारियों और निर्माण एजेंसी के कर्मचारियों के लिए चारागाह बन चुकी है।

7 बार बढ़ी डेडलाइन
टनल निर्माण में आयी रुकावटों के कारण इसे पूरा करने सरकार ने न केवल खजाना खोल दिया बल्कि अब तक 7 बार एक्सटेंशन देकर डेडलाइन भी बढ़ाई। 799 करोड़ के इस प्रोजेक्ट की लागत लगभग दो गुनी होकर 1350 करोड़ के करीब पहुच चुकी है। एक बार फिर से प्रोजेक्ट का बजट बढ़ाने की अधिकारियों की तैयारी है।

मंदाकनी नदी तक पहुंचना है पानी
बरगी बांध से शुरू हुई दायीं तट मुख्य नहर की लंबाई 194 किलोमीटर होगी जो चित्रकूट में मंदाकनी नदी को जोड़ेगी। इसके अलावा 5 शाखा नहरों की लंबाई 184 किलोमीटर है। नहर से कटनी शहर को पेयजल उपलब्ध होने के साथ जबलपुर, कटनी , सतना और रीवा जिले में के 1450 गांव की 2 लाख 45 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि की सिचाई होना है । सबसे ज्यादा सतना जिले में करीब 1 लाख 60 हजार हेक्टेयर में सिचाई प्रस्तावित है। इसीलिए परियोजना में लेटलतीफी पर सबसे ज्यादा आक्रोश भी सतना जिले में देखा जा रहा है। यहां के किसान वर्षो से पानी मिलने की आस लगाए बैठे हैं।

एक साल में दो बार बोल गयी टनल बोरिंग मशीन
डाउन स्ट्रीम से टनल बनाने में लगी अमेरिकन कम्पनी की टीबीएम मशीन एक साल में दूसरी बार बोल गयी।वर्तमान में यह मशीन स्लीमनाबाद के मोहदापुरा मोहल्ले में करीब 90 फीट की गहराई में बिगड़ गई है। जिसे सुधारने के लिए पूरे मोहल्ले के 31 परिवारों को हटाया जा रहा है। जिसके बाद तलैया नुमा गड्ढा खोद कर भारी भरकम मशीन को बाहर लाकर मेनबेयरिंग में सुधार और शील बदली जाएगी जिसमें 6 महीने से अधिक का समय लगना तय है। इसे एनवीडीए और निर्माण एजेंसी के तकनीकी अमले का बड़ा फेलुअर माना जा रहा है। करीब डेढ़ साल पहले फरवरी 2022 में इसी मशीन में खराबी के बाद गड्ढा कर कटर हेड सुधार कर एक साल पहले चालू किया गया था। शुरू होने के 415 मीटर बोरिंग के बाद इसमें फिर गड़बड़ी आ गयी। तकनीकी जानकारों का मानना है कि उस समय अगर शील बदल दी गयी होती तो फिर यह नौबत नही आती। टेम्परेरी मरम्मत की राह पूरे प्रोजेक्ट पर भारी पड़ गयी।

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