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इंदौरः शिवराज बोले-मंदिर वहीं बनाएं, कैलाशजी का सुझाव उत्तम, कुएं-बावड़ी को संरक्षित किया जाएगा

36 लोगों की मौत के बाद प्रशासन ने तोड़ दिया था मंदिर, लोगों में था गुस्सा

इंदौर। रामनवमी के दिन पटेल नगर में बावड़ी की छत धँसने और उससे 36 लोगों की मौत के बाद प्रशासन ने जिस श्री बेलेश्वर महादेव मंदिर को तोड़ दिया था उसे पूरे विधि-विधान के साथ फिर से बनाया जाए। शिवराज सिंह चौहान ने आज ये मंशा जाहिर की। उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय के इस सुझाव पर भी सहमति जताई कि शहर के कुएं-बावड़ी बंद करने के बजाए उन्हें संरक्षित और जीवित किया जाए।

गौरतलब है कि मंदिर के पुनः निर्माण के लिए क्षेत्र की जनता लगातार माँग कर रही थी। यहाँ तक कि जिन लोगों ने अपने परिजनों को हादसे में खोया था उनमें भी कई परिजन इस बात पर सहमत थे कि मंदिर दोबारा बनना चाहिए क्योंकि जो हुआ वो हादसा था, उसकी आड़ में मंदिर तोड़ने का क्या मतलब। हनुमान जयंती पर लोगों ने भगवान की तस्वीर रख टूटे मंदिर की जगह पर ही पाठ किया था।

बड़ा पैदल मार्च निकाला आज

मंदिर के पुनः निर्माण के लिए आज क्षेत्र की जनता ने सिंधी कॉलोनी चौराहे से कलेक्टर ऑफिस तक बड़ा पैदल मार्च निकाला। इसमें पुरुषों के साथ महिलाएं भी थीं। सभी की माँग थी कि जो मंदिर तोड़ा गया है उसे फिर से बनाया जाए। सभी ने हाथों में तख्तियां ले रखी थीं जिसमें मंदिर निर्माण संबंधी माँगें लिखी थीं। कलेक्टर ऑफिस पहुँचकर समाजजनों ने कलेक्टर को ज्ञापन दिया। लोगों का यह भी कहना था कि यदि प्रशासन दोबारा मंदिर नहीं बनवाता है तो हम बनवा लेंगे।

विजयवर्गीय ने कहा था- कुएं-बावड़ी बंद नहीं करें, बचाएं

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कुएं-बावड़ी को बंद करने के निर्णय को गलत बताते हुए कहा था कि प्रशासन को अपने निर्णय पर फिर से सोचना चाहिए। प्राकृतिक जल के स्त्रोतों को इस तरह से बंद करना गलत है। मैं इसे बिल्कुल भी सही नहीं मानता हूं। प्रशासन को इन्हें सहेजकर और इनका संरक्षण कर पानी संरक्षण के लिए इनका उपयोग करना चाहिए।

मैंने पानी संरक्षण के लिए कुएं-बावड़ी के माध्यम से ही काम किया

श्री विजयवर्गीय ने कहा था कि जब मैं महापौर था तब मैंने पानी संरक्षण के लिए शहर के कई कुएं और बावड़ी को बेहतर बनाया था। उस वक्त हम आसपास के क्षेत्र की इमारतों में बारिश के समय भरने वाले पानी को कुएं और बावड़ी तक पहुंचाते थे। यहां पर पानी फिल्टर होकर जमीन में जाता था और आसपास के पूरे क्षेत्र में जल स्तर को बेहतर बनाता था। मुझे लगता है कि प्रशासन को तकनीकी लोगों की टीम बनाकर इनके संरक्षण पर काम करना चाहिए।

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