प्रमुख खबरें

दुनिया के सबसे बड़े मंदिर में होगा 200 टन का ‘सहस्त्र लिंगम’, पांच महीने की यात्रा कर तमिलनाडु से पहुंचेगा बिहार तक

पटना बिहार के पूर्वी चंपारण (East Champaran district of Bihar) जिले में बन रहे विश्व के सबसे बड़े ‘विराट रामायण मंदिर’ (Ramayan Temple) में स्थापित किए जाने वाले 1008 शिवलिंगों को समाहित करता हुआ 200 टन के ‘सहस्त्र लिंगम’ को तराशने का काम तमिलनाडु के महाबलीपुरम (Mahabalipuram of Tamilnadu) में शुरू हो गया है।
महावीर स्थान ट्रस्ट के सचिव किशोर कुणाल ने बताया कि अयोध्या और जनकपुर के बीच बन रहे फोर लेन ‘राम-जानकी पथ’ (Ram-Janaki path) पर स्थित पूर्वी चंपारण जिले में बन रहे विश्व के सबसे बड़े विराट रामायण मंदिर में स्थापित किए जाने वाले 200 टन के सहस्त्र लिंगम को तराश कर बनाने का काम तमिलनाडु के महाबलीपुरम में शुरू हो गया है । उन्होंने बताया कि अगले छह माह में यह सहस्त्र लिंगम बनकर तैयार हो जाएगा ।
श्री कुणाल ने बताया कि इसके बाद सहस्त्र लिंगम को एक विशेष ट्रक के जरिए महाबलीपुरम से पूर्वी चंपारण लाया जाएगा। इसमें करीब पांच माह का वक्त लग सकता है। उन्होंने इसमें लगने वाले वक्त के संबंध में बताया कि सहस्त्र लिंगम को लेकर आने वाले ट्रक की रफ्तार पांच किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक नहीं हो सकती है। इसके साथ ही सड़क मार्ग पर यातायात का भी ख्याल रखा जाना है।
महावीर स्थान ट्रस्ट कमेटी के सचिव ने बताया कि सहस्त्र लिंगम की ऊंचाई 33 फुट और गोलाई भी 33 फुट ही होगी। यह काले ग्रेनाइट पत्थर से बना होगा और इसके लिए पत्थर भी तमिलनाडु के तिरूनेल्वेली जिला के कुम्बीकुलम से लिया गया है। उन्होंने बताया कि देश में सहस्त्र लिंगम शिवलिंग बहुत कम है। सहस्त्र लिंगम का निर्माण 800 ईसवी के बाद से बंद हो गया था। तमिलनाडु के तंजौर में वृहदेश्वर मंदिर में चोल राजाओं (Chola kings) ने सहस्त्र लिंगम स्थापित किया था। इसके अलावा बिहार में गया जिले में भी कुछ मंदिरों में सहस्त्र लिंगम स्थापित हैं।
श्री कुणाल ने बताया कि सहस्त्र लिंगम में श्रद्धालु गंगा (Ganges) और सरयू (Sarayu) नदी के संगम (सारण जिले के छपरा में गुलटेनगंज) से पवित्र जल लेकर जलाभिषेक करेंगे। रामायण के अनुसार यह वही स्थल है, जहां महर्षि विश्वामित्र (Maharshi Vishwamitr) के साथ अयोध्या (Ayodhya) से जनकपुर (Janakpur) जाने के दौरान भगवान राम और लक्ष्मण (Lord Rama and Lakshmana) ने रात्रि विश्राम किया था। भगवान राम का जनकपुर जाने के दौरान यह दूसरा पड़ाव था। उनका पहला पड़ाव उत्तर प्रदेश में सरयू नदी के तट पर बायीं ओर था जो अब आजमगढ़ जिले का मुजफ्फरनगर है। इसी स्थल पर भैरव मंदिर बना हुआ है।
महावीर स्थान ट्रस्ट के सचिव ने बताया कि सारण जिले के छपरा में गुलटेनगंज स्थित गंगा और सरयू नदी के संगम से विराट रामायण मंदिर की दूरी करीब 72 किलोमीटर है और इसे राज्य सरकार ने कांवरिया पथ के रूप में विकसित करने की सहमति दी है। उन्होंने बताया कि श्रद्धालु सहस्त्र लिंगम पर आसानी से जलाभिषेक कर सकें, इसके लिए दो ओर से सीढ़ी, एसकेलेटर और एक ओर से लिफ्ट भी लगाया जाएगा।
श्री कुणाल ने बताया कि 270 फुट ऊंचाई, 1080 फुट लंबाई, 540 फुट चौड़ाई और 108 एकड़ क्षेत्रफल वाला विराट राम मंदिर बन जाने के बाद यह दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर होगा। उन्होंने बताया कि मुख्य मंदिर जिसकी ऊंचाई 270 फुट है उसमें बीच में सहस्त्र लिंगम होगा, जिसकी भगवान राम पूजा कर रहे हैं। उनके बगल में ही छोटे भाई लक्ष्मण खड़े हैं और भक्त हनुमान (Lord Hanuman) भगवान राम को पूजन सामग्री दे रहे हैं। भगवान राम जहां पूजा कर रहे हैं उससे करीब 135 फुट की दूरी पर उनकी नजर के सामने अशोक वाटिका में माता सीता बैठी हुई हैं।
ट्रस्ट के सचिव ने बताया कि इसमें मंदिरों की संख्या अट्ठारह और शिखरों की संख्या 15 है। इसमें चार आश्रम सिद्धाश्रम, अहिल्या स्थान, पंचवटी और शबरी आश्रम होगा जो पूरी तरह इको फ्रेंडली होगा। उन्होंने बताया कि रामायण मंदिर भूकंपीय जोन-5 में आता है इसलिए इसकी स्थिरता और मजबूती के लिए सभी तकनीकी सावधानियां बरती जा रही हैं। तकनीकी आकलन के अनुसार, मंदिर 250 वर्षों तक किसी भी क्षति से मुक्त रहेगा।
गौरतलब है कि विश्व प्रसिद्ध अंकोरवाट मंदिर की प्रतिकृति वाले दुनियां के इस सबसे बड़े ‘विराट रामायण मंदिर’ को लेकर कंबोडिया (Combodia) की सरकार ने भारत सरकार से आपत्ति जताई थी। कंबोडिया सरकार ने विदेश मंत्रालय को पत्र लिख कर कहा था कि प्रसिद्ध कंबोडियाई अंकोरवाट मंदिर एक विश्व विरासत है। यह 12वीं सदी का हिंदू मंदिर असाधारण होने के साथ-साथ दुनिया के सभी हिंदुओं के लिए आस्था का केंद्र है। ऐसे में इस मंदिर की प्रतिकृति बनाना सही नहीं है। कंबोडिया सरकार ने भारतीय विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर काम रुकवाने की अपील की थी। कंबोडिया में बना प्रचीन अंकोरवाट एक विशाल हिंदू मंदिर है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। यह दुनिया का सबसे बड़ा पूजा-स्थल है और दुनिया का महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल भी है। वर्ष 1992 में यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत की सूची में शामिल किया है। फ्रांस से आजादी मिलने के बाद अंकोरवाट मंदिर इस देश का प्रतीक बन गया। इसकी तस्वीर कंबोडिया के राष्ट्रीय ध्वज पर बनी हुई है।
कंबोडिया सरकार की आपत्ति को संज्ञान में लेकर विराट रामायण मंदिर के डिज़ायन में बदलाव किया गया । कंबोडिया सरकार को भारत सरकार के माध्यम से महावीर ट्रस्ट की ओर से बताया गया कि विराट रामायण मंदिर का डिजाइन अंकोरवाट मंदिर के हू-ब-हू नहीं है बल्कि इसके डिजाइन में 15 अंतर हैं और यह भारतीय वास्तुकला पर आधारित है।
श्री कुणाल ने बताया कि सहस्त्र लिंगम के विराट रामायण मंदिर में स्थापित होने के बाद करीब तीन वर्षों में पूरे मंदिर का निर्माण हो जाएगा ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button