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इंदौर में भयावह स्थितिः अस्पतालों में ही नहीं, मुक्तिधामों पर भी वेटिंग, 12 दिन में 1001 शवों का हुआ अंतिम संस्कार

इंदौर। कोरोना की भयावह स्थिति का अंदाजा श्मशान घाटों में जलती चिताओं से लगाया जा सकता है। इंदौर शहर के अस्पतालों में ही नहीं, बल्कि मुक्तिधामों में भी वेटिंग चल रही है। कोरोना से जंग हारे लोगों के शवों की अंत्येष्टि करने के लिए मुक्तिधाम पर भी घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। सिर्फ 5 श्मशान घाटों के आंकड़े बताते हैं कि 1 अप्रैल से 12 अप्रैल तक के आंकड़े चैंकाने वाले हैं। अप्रैल माह के शुरुआती 12 दिनों में ही श्मशान घाटों पर 1001 शवों को अंतिम संस्कार के लिए लाया गया था। इसमें से 319 शव कोरोना संक्रमितों के थे।

कोविड प्रोटोकॉल से रोज हो रहे औसत 20 अंतिम संस्कार
निगम के रिकॉर्ड के अनुसार, साल 2020 में शहर में 19,170 मौतें हुईं, जबकि वर्ष 2019 में मौतों का आंकड़ा 16,250 ही था। यानी 2020 में 2920 मौतें ज्यादा हुईं। इधर, जनवरी से मार्च 2021 के बीच 5 प्रमुख मुक्तिधाम में 2420 अंतिम संस्कार हुए। शहर में 51 मुक्तिधाम, कब्रिस्तान है। प्रशासन ने निगम व मुक्तिधाम से आंकड़े जारी करने पर पाबंदी लगा रखी है। सेवादारों के अनुसार रोज औसतन 20 अंत्येष्टियां कोविड प्रोटोकॉल से हो रही हैं, जबकि रिकॉर्ड में सिर्फ 3 से 5 मौतें दर्शाई जा रही हैं।





मुक्तिधामों के कर्मचारी परेशान
मुक्तिधाम में तैनात कर्मचारी इनका हिसाब रखते-रखते परेशान हैं। मार्च के मुकाबले अब अप्रैल के महज 12 दिनों में ही अधिक संख्या में शव मुक्तिधाम पहुंचे हैं। इनमें बड़ी संख्या उनकी है जिनका किसी न किसी अस्पताल में कोरोना का इलाज चल रहा था। इसके बावजूद ये मौतें स्वास्थ्य विभाग द्वारा रोजाना देर रात जारी किए जाने वाले मेडिकल बुलेटिन में शामिल नहीं हैं।

अस्थियों को भी संभालना हो रहा मुश्किल
मुक्तिधाम के कर्मचारी भी मानते हैं कि पिछले 12 दिनों से शवों की संख्या में अचानक बढ़ोतरी हुई है। जिससे अस्पताल सहित मुक्तिधाम में भी लंबी कतार लग रही है। मुक्तिधाम के कर्मचारी खुद शव दाह करने पहुंच रहे लोगों से जल्द अस्थियों को ले जाने का आग्रह कर रहे हैं। ताकि दूसरे शव जलाने के बाद उनकी अस्थियां रखने के लिए जगह मिल सके। शहर के तमाम मुक्तिधाम में जगह को लेकर टोटा है। टीनशेड की बजाए नीचे शव दाह करने पड़ रहे है।

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