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सियासत: पंजाब में अकाली को मिला बसपा का साथ, सीटों का फार्मूला भी तय

ताजा खबर: चंडीगढ़। पंजाब (Punjab) में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly elections) को लेकर पार्टियों ने तैयारी शुरू कर दी है। पंजाब की राजनीति की पुराने खिलाड़ी शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने एक कदम आगे बढ़ते हुए राज्य में बसपा (BSP) के साथ गठबंधन कर एक साथ चुनाव लड़ने का की घोषणा कर दी। इस पर अंतिम मुहर बसपा के राज्यसभा सांसद सतीश मिश्रा (Satish Mishra) ने लगाई। इसके बाद अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal) ने प्रेस कांफ्रेंस में शिअद-बसपा गठबंधन की घोषणा की और इसे पंजाब की राजनीति का नया दिन बताया। उन्होंने कहा कि पंजाब की सियासत में यह गठबंधन (alliance) बड़ा मोड़ साबित होगा। 2022 के बाद भी जितने चुनाव होंगे SAD, BSPके साथ लड़ेगी।

सुखबीर सिंह बादल ने गठबंधन का ऐलान करते हुए कहा कि यह पंजाब की राजनीति में एक नया दिन है। शिरोमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी अगले साल होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव (punjab assembly election) और भविष्य में होने वाले चुनाव एक साथ लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि 117 सीटों में से BSP 20 सीटों पर जबकि अकाली दल शेष 97 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

इस अवसर पर बसपा सांसद सतीश मिश्रा ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक दिन है क्योंकि शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन किया गया है, जो पंजाब की सबसे बड़ी पार्टी है। 1996 में बसपा और अकाली दल दोनों ने संयुक्त रूप से लोकसभा चुनाव लड़ा और 13 में से 11 सीटों पर जीत हासिल की थी। अगले साल कई अन्य राज्यों के साथ पंजाब में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। पिछले साल 3 केंद्रीय कृषि कानूनों (central agricultural laws) को लेकर अकाली दल ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया था और एनडीए से भी अलग हो गया था। इस बिखराव के बाद राज्य में यह नया चुनावी समीकरण है।





राज्य को कांग्रेस से मुक्त बनाना है: सुखबीर सिंह
दोनों दलों के बीच गठबंधन की सुगबुगाहट शुरू हो गई थी। BSP और SAD के बीच गठबंधन की घोषणा करने के लिए बसपा के महासचिव सतीश मिश्रा पहले ही ही चंडीगढ़ पहुंच गए थे। अकाली दल नेता सुखबीर बादल और सतीश मिश्रा ने गठबंधन का ऐलान किया।

पंजाब में करीब 33% दलित वोट हैं और अहम माने जा रहे दलित वोट बैंक पर अकाली दल की नजर है। अकाली दल BSP के सहारे इस दलित वोट बैंक को हासिल कर एक बार फिर से सत्ता में आने की कोशिशों में जुटी है। अकाली दल ने दलित वोट बैंक को लुभाने को लेकर पहले ही ऐलान कर दिया है कि अगर प्रदेश में अकाली दल की सरकार बनती है तो उपमुख्यमंत्री दलित वर्ग से बनाया जाएगा। BSP पंजाब में पिछले 25 सालों से विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव लड़ती रही है लेकिन पार्टी को राज्य में कभी बड़ी जीत हासिल नहीं हुई। इसके बावजूद, फिर भी वह दलित वोट बैंक को प्रभावित करती हैं।

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