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विंध्य का चुनावी गणित बिगाड़ेंगे नाराज किसान, वजह है बड़ी

लितपुर -सिंगरौली रेल परियोजना में 4475 किसानों की जमीनें अधिगृहित की गई थीं। किसानों का कहना है कि जब वर्ष 2010 में जमीनों का अधिगृहण किया गया था तब रेल अधिकारियों ने सरकार के बनाए इस प्रावधान के तहत किसानों की जमीनें अधिगृहित की थीं कि जमीन के एवज में मुआवजा के साथ परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाएगी।

रीवा। रीवा और सतना वासियों के लिए बीरबल की खिचड़ी बनी ललितपुर-सिंगरौली रेल परियोजना कब पूरी होगी यह तो वक्त के गर्भ में है। पर चुनावी साल में विंध्य के किसान परिवारों का आक्रोश जिस प्रकार से इस अहम मसले को लेकर गरमा रहा है उससे ये नाराज परिवार विंध्य के चुनावी समीकरण पर असर डाल सकते हैं। इस परियोजना के तहत सतना-रीवा सेक्शन व रीवा-सिंगरौली सेक्शन के बीच कई बाधाए हैं। बाधाओं का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सतना-रीवा रेलखंड के बीच किसानों की नाराजगी के चलते अक्टूबर 2021 से काम रूका हुआ है। नाराज किसानों का कहना है कि यदि वादे के अनुसार उन्हें जमीन के बदले नौकरी नहीं मिलती तो वे रेलवे को आगे का काम नहीं करने देंगे।

बता दें कि ललितपुर -सिंगरौली रेल परियोजना में 4475 किसानों की जमीनें अधिगृहित की गई थीं। किसानों का कहना है कि जब वर्ष 2010 में जमीनों का अधिगृहण किया गया था तब रेल अधिकारियों ने सरकार के बनाए इस प्रावधान के तहत किसानों की जमीनें अधिगृहित की थीं कि जमीन के एवज में मुआवजा के साथ परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाएगी। चूंकि परिवार में पत्नी, पति, पुत्र और पुत्री को ही माना ऐसे में रेलवे ने नियम 5 बनाते हुए आयुसीमा में भी छूट दी। इसी बीच सकरिया, बिरहुली, बम्हौरी समेत कई गांवों के किसानों की जमीनों का अधिगृहण भी उसी वादे के साथ किया गया।

नए आदेश में नौकरी देने बाध्यता हुई खत्म
11 नवंबर 2019 को रेलवे का एक नया आदेश आया जिसमें रेल प्रशसन ने स्पष्ट किया कि भू अर्जन के एवज में केवल मुआवजा मिलेगा , नौकरी देने की बाध्यता समाप्त हो गई है। इस आदेश को लेकर जब जनाक्रोश गहराया तो मार्च 2021 में पमरे के जीएम ने एक और आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया कि 11 नवंबर 2019 के पहले जमीन के बदले आए नौकरी के आवेदनों पर नियुक्ति दी जाएगी। साल दर साल पत्र तो जारी होते रहे लेकिन अभी भी इस परियोजना से जुड़े बुंदेलखंड व विंध्य के 4475 किसान ऐसे हैं जिन्हें नौकरी का इंतजार है।

बम्हौरी में अक्टूबर 2021 से विरोध प्रदर्शन, सकरिया में 88 दिन चला
प्रिज्म फैक्ट्री जाने के दौरान बम्हौरी रेलवे फाटक के किनारे तना किसान संघर्ष समिति का बैनर व वहां बैठे लोग राहगीरों का ध्यान आकर्षित करते हैं। दरअसल बम्हौर में 7 अक्टूबर 2021 से सतरी, कोठार, हिनौता, मनकहरी, बम्हौरी, बठिया, खारी व बगहाई गांव के किसान आंदोलनरत है। 14 अप्रैल 2017 को रामपुर ब्लाक के इन गांवों के 691 किसान परिवारों की जमीन मुआवजे के साथ परिवार के एक सदस्य को नौकरी के एवज में अधिगृहित की गर्इं थी। इसी प्रकार सकरिया और बिरहुली के 272 किसानों ने भी उस दौरान विरोध प्रदर्शन किया तो 23 मार्च 2021 को नौकरी का नोटिफिकेशन आ गया। बाद में उनसे नौकरी के आवेदन भी लिए गए हालंकि नौकरी अब तक उन्हें भी हासिल नहीं हो सकी है लेकिन नौकरी के फार्म रेलवे द्वारा आहूत करने के बाद 88 दिनों तक अखिल भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले चल रहा आंदोलन समाप्त हो गया।

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