शाही सवारी: बाबा महाकाल ने भक्तों को 7 रूप में दिया दर्शन, हरि-हर मिलन के साक्षी बने लाखों
श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारी निकलने के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में भगवान श्री चन्द्रमौलेश्वर का विधिवत पूजा-अर्चना की गई। उसके बाद मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में विराजित भगवान को सलामी दी गई।
उज्जैन। सावन मास के सातवें सोमवार पर धार्मिक नगरीय उज्जैन में धूमधाम से बाबा महाकाल की शाही सवारी निकाली गई। शाही सवारी में लाखों की भीड़ उमड़ी। आज नागपंचमी होने की वजह से से भक्तों की संख्या रही। इस बार पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव, नन्दी रथ पर उमा महेश और डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद ,श्री घटाटोप मुखोटा व श्री जटाशंकर मुखारविंद सम्मिलित हुए ।
श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारी निकलने के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में भगवान श्री चन्द्रमौलेश्वर का विधिवत पूजा-अर्चना की गई। उसके बाद मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में विराजित भगवान को सलामी दी गई। सवारी परंपरागत मार्ग महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाडी से होती हुई रामघाट पहुंचेगी। जहां क्षिप्रा नदी के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन-अर्चन किया जाएगा। इसके बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ की धर्मशाला, कार्तिक चौक खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार और गुदरी बाजार से होते हुए निकली।
नागपंचमी होने से उमड़ी भक्तों की भारी भीड़
शहर का भ्रमण करने के बाद बाबा महाकाल पुन: चंद्रमौलेश्वर ओर मनमहेश स्वरूप में महाकाल मंदिर पहुंचे। यहां सभा मंडप में पंडितों द्वारा भगवान मनमहेश को स्थापित किए जाने के बाद परंपरागत पूजन किया गया। महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश गुरु ने बताया कि सभा मंडप में हुए भगवान चंद्रमौलेश्वर ओर मनमहेश के पूजन के बाद मंदिर में बाबा महाकाल की सांध्य आरती शुरू हुई। पूजन-अर्चन के बाद सवारी संपन्न हुई। अब अगली शाही सवारी 28 अगस्त 2023 को निकलेगी। उन्होंने बब नागपंचमी का संयोग होने से भक्तों की संख्या भी अधिक रही।
शिप्रा तट पर हुआ जल अभिषेक
देशभर से यहां दर्शन करने पहुंचे भक्तों को अवंतिकानाथ जटाशंकर सहित सात रूपों में दर्शन देने निकले। भगवान के ये मुखारविंद रजत पालकी, हाथी व रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकले। प्रमुख मार्गों से होकर सवारी शिप्रा तट पहुंची। यहां राजाधिराज का शिप्रा जल से अभिषेक-पूजन किया गया। इसके बाद सवारी तय मार्ग से मंदिर लौटी। पुजारी ने बताया कि महाकाल की सातवी सवारी में लाखों भक्त उमड़े हैं। जिन्होने भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर के पालकी मे दर्शन किए। सवारी मार्ग में स्थान-स्थान पर खडे श्रद्धालुओं ने जय श्री महाकाल के घोष के साथ उज्जैन नगरी के राजा भगवान श्री महाकालेश्वर पर पुष्पवर्षा की।
हरि-हर के नारों से गुंजायमान हुआ गोपाल मंदिर
नगर भ्रमण के दौरान जैसे ही बाबा महाकाल की सवारी गोपाल मंदिर पहुंची वैसे ही गोपाल मंदिर क्षेत्र हरि और हर के नारों से गुंजायमान हो गया। यहां लाखों श्रद्धालुओं ने भगवान के दर्शन तो किए ही इसके साथ ही वे हरिहर मिलन के साक्षी भी बने। गोपाल मंदिर के पुजारी बाबा महाकाल का पूजन अर्चन करने के लिए मुख्य मार्ग पर आए। जहां उन्होंने पालकी में भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन अर्चन कर आरती की। इस दौरान पूरा गोपाल मंदिर क्षेत्र जय शिव ओंकारा की गूंज से गुंजायमान हो गया। याद रहे कि गोपाल मंदिर से बाबा महाकाल की सवारी पटनी बाजार, गुदरी चौराहा 24 खंभा मार्ग से होते हुए पुन: मंदिर पहुंचेगी।