संविदाकार की मनमानी पड़ रही भारी: सात साल बाद भी पूरा नहीं हो पाया पीएम आवास का सपना
सतना। हर किसी के सिर पर छत हो इसके लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री आवास योजना संविदाकार की मनमानी की भेंट चढ़ती जा रही है। जिस योजना को 18 माह में पूर्ण हो जाना था वह आज सात साल बाद भी अधूरी है। केन्द्र सरकार हो राज्य सरकार दोनों के द्वारा लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए कई जनकल्याणकारी योजनाएं लागू की जाती है लेकिन इन योजनाओं को जिन लोगों को जमीन पर उतारने की जिम्मेदारी है। उनकी अनदेखी के चलते कई ऐसी योजनाएं पूर्ण नहीं हो पाती जिनका सीधा संबंध आमजन मानस से होता है। इन्हीं योजनाओं में से एक है, केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना। शहर के वार्ड क्र. 22 उतैली में 2016 में पीएम आवास योजना के तहत आवास बनाने का काम शुरू हुआ था। लगभग 177 करोड़ के इस प्रोजेक्ट को 18 माह में पूर्ण किया जाना था, लेकिन संविदाकार कल्याण टोल इंफ्रा की मनमानी और लापरवाही से हालत यह हैं कि आज सात साल बाद भी प्रोजेक्ट अधूरा है।
अब मार्च तक समय चार बार एक्सटेंशन
प्रधानमंत्री आवास योजना का कार्य पूर्ण करने की समय -सीमा शासन स्तर पर मार्च 2024 निर्धारित की गई है, लेकिन जिस तरह से आवास का काम कछुआ गति से चल रहा है, उससे लगता नहीं है कि यह काम अपनी तय समय-सीमा में पूर्ण हो जाएगा। अभी तक के सात साल के काम में आवास योजना को पूर्ण कराने के लिए नगर निगम द्वारा कल्याण टोल इंफ्रा को चार बार एक्सटेंशन दिया जा चुका है। बार-बार एक्सटेंशन के बावजूद काम है तो पूर्ण होने का नाम नहीं ले रहा है।
मैन पॉवर की कमी
वार्ड क्र. 22 उतैली और कृपालपुर में चल रहे आवास के कार्य को पूर्ण कराने की दिशा में पिछले कुछ समय से प्रशासनिक (नगर निगम) स्तर पर सक्रियता बढ़ी है। आयुक्त द्वारा मौके पर जाकर कार्य की प्रगति व मौजूदा स्थिति का निरीक्षण किया गया है। मौके पर गुणवत्ता के साथ काम में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं लेकिन पूरी तरह से मनमानी पर उतारू संविदा एजेंसी कल्याण टोल इंफ्रा द्वारा इस दिशा में कोई ठोस पहल अभी तक मौके पर नहीं की गई है। मौके पर मैन पॉवर बढ़ाकर आवास के काम में तेजी लाने के निर्देश नगर निगम आयुक्त द्वारा दिया गया है लेकिन न मैन पॉवर बढ़ाया गया और न ही काम में ही तेजी नजर आ रही है।
एमआईजी के लिए जमीन नहीं मिली, एलआईजी बना नहीं पाया संविदाकार
पीएम आवास योजना के काम शुरू में से ही लापरवाही बरती गई है। निगम व संविदाकार दोनों की तरफ से यह लापरवाही बराबर स्तर पर रही है। पहले तो आवासों के लिए पूर्णत: जमीन की व्यवस्था नहीं हुई, इसके चलते एमआईजी बनाने का काम ही नहीं हुआ। एलआईजी आवासों का निर्माण कार्य शुरू हुआ लेकिन इस सात सालों में न तो ईडब्ल्यूएस आवासों का काम पूर्ण हुआ और न ही एलआईजी आवासों का।