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सख्त कदम उठाएं खरगोन के दोषियों के खिलाफ

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खरगोन (Khargone) में रामनवमी के जुलूस (ramanavami ke julus) पर हुए पथराव और उसके बाद की हिंसा की जड़ में जाना बहुत जरूरी है। क्या पथराव उन बुलडोजरों का जवाब था, जो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) की सख्ती के बाद असामाजिक तत्वों (anti social elements) के ठिकानों को जमींदोज करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं ? या फिर ये उस बुलडोजर (bulldozer) का प्रत्युत्तर है, जो उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath in Uttar Pradesh) की सरकार दूसरी बार बनने के बाद देश के अन्य हिस्सों सहित मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में भी खासी चर्चा में है ? पथराव पूरी तरह सुनियोजित था। इसमें शक नहीं किया जा सकता। रमजान के पवित्र महीने (month of ramadan) में सोची समझी साजिश। ताज्जुब में डालती है। इसके चलते हुई हिंसा में जिस तरह शहर के चुनिंदा स्थानों को निशाना बनाया गया, वह भी तयशुदा साजिश ही दिखती है। पथराव करने वालों में बच्चे तक शामिल थे। इसके वीडियो (Video) देखिए, साफ समझ आता है कि मामला कश्मीर के प्रशिक्षित (Kashmir’s trained) पत्थरबाजों की तरह ही लग रहा है।

आखिर रामनवमी के जुलूस से किसी को ऐसी क्या आपत्ति हो सकती है कि इसके खिलाफ मरने-मारने पर आमादा होने की बात सामने आ जाए? शायद यह राज्य सरकार को चुनौती है कि ‘हम तो ऐसा ही करेंगे, आप रोक सको तो रोक लो।’ रामनवमीं का जुलूस मुस्लिमों के मोहल्ले (Muslim localities) से होकर निकला तो इसमें आपत्ति की क्या बात है? क्या मुहर्रम के ताजिए अकेले मुस्लिम बस्तियों में निकलते हैं? जिस तरह से घरों की छतों से पथराव और पेट्रोल बम (petrol bomb) दागे गए, यह सब अचानक हुए उपद्रव का हिस्सा तो हो नहीं सकता। इसलिए अब शिवराज सिंह चौहान के इस आदेश पर पूरी सख्ती से अमल की जरूरत और बढ़ गयी है कि प्रदेश की फिजा को खराब करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। यह इसलिए भी आवश्यक है कि इस वारदात ने यह साफ कर दिया है कि राज्य की शांति को भंग करने के मंसूबे अब भी कायम हैं और मौका मिलते ही उन पर अमल कर दिया जाएगा।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ (State Congress President Kamal Nath) ने कुछ दिन पहले ही रामनवमी (Ram Navami) पर पार्टी द्वारा कार्यक्रम करने की बात कही थी। इसका पार्टी के भीतर ही कुछ विरोध हुआ। फिर रामनवमी के दिन उस खरगोन की शांति में खलल डाल दिया गया, जहां कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरुण यादव (Senior Congress leader Arun Yadav) तथा उनके परिवार का खासा प्रभाव है। पिछले लंबे समय से Congress में हाशिये पर धकेले गए यादव फिलवक्त राज्यसभा में जाकर अपने सियासी पुनरुद्धार की कोशिश में जुटे हुए है और कहा जाता है कि उनकी इस मंशा को नाथ पूरा होने देना नहीं चाह रहे।

खैर, फिर से कल की बात पर आएं। इस पथराव के जरिये यदि राज्य सरकार को आंख दिखाने की जुर्रत की गयी है, तो फिर इसका शमन भी आरोपियों की आंख में आंख डालकर ही किया जाना होगा। CM को चाहिए कि दोषियों की संपत्ति जब्त/नष्ट करने के साथ ही हिंसा में हुए संपत्ति के नुकसान की भरपाई भी दोषियों से ही सख्ती के साथ करें। यदि इस एक मामले को ढुलमुल रवैया दिखाया गया तो फिर यह तय है कि आने वाले समय में हमें राज्य में कहीं और ऐसी ही हिंसा (violence) की पुनरावृत्ति देखने को मिल सकती है। मामला खासतौर पर तब और नाजुक हो जाता है, जब आने वाली सोलह तारीख को हनुमान जयंती है। और फिर ईद का पर्व (eid festival) भी नजदीक आ जाएगा। इसलिए सरकार को तुरंत चाहिए कि वह इस मामले के आरोपियों की पहचान कर उनके विरुद्ध सख्त कदम उठाना सुनिश्चित करे, ताकि भविष्य के लिए एक सुखद और सुरक्षित संदेश राज्य के कोने-कोने तक जा सके। दंगा करने वालों को सरकार से यह पंगा कितना महंगा पड़ेगा, इसके लिए अब शिवराज के अगले कदम का सभी को इंतजार है। वैसे खरगौन में बुलडोजर चलना तो शुरू हो गए हैं। इनकी धमक कितनी है, यह आने वाला समय बताएगा।

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