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अब तीसरा नेत्र खोलिये ‘शिव’

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शिवराज जी (Shivraj ji), मुझे कोई शक शुबहा नहीं है। और ना मैं ये भटैती मैं ऐसा कह रहा हूं। कोरोना को लेकर आपकी चिंता और प्रयासों पर कोई संदेह नहीं किया जा सकता। मैं आपकों व्यक्तिगत तौर पर भी जानता हूं। आप दयालु हैं। कोरोना (Corona) से परेशान आबादी की मदद के लिए व्याकुल हैं। आपकी इस दिशा में कोशिशें भी ईमानदारी (Honesty) के लिहाज से लोगों के लिए हो ना हो, मेरे लिए संदेह से बिलकुल परे हैं। किन्तु शिवराज जी (Shivraj ji), हर जगह और परिस्थिति में सज्जनता का भाव भी काम नहीं आता है। आज रामनवमी (Ram Navami) हैं। मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम (Maryada Purushottam Shri Ram) के जन्मदिन का प्रसंग। यह दिन आपको मेरे याद दिलाएं बिना भी याद होगा। आखिर आप धर्म भीरू हैं। मैं विशेष तौर पर इसलिए इसका उल्लेख कर रहा हूं क्योंकि जब शासन व्यवस्था की दरियादिली को बेदिल असामाजिकों का जमावड़ा अपनी मनमानी के लिए लाइसेंस समझ ले तो मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम (Maryada Purushottam Shri Ram) की याद दिलाना तो बनता है। रामचरित मानस (Ramcharit Manas) उनके हवाले से ही सिखाता है कि आम तौर पर भय बिन होय न प्रीत वाले प्रसंग पेश आते हैं। भले ही हम राजतंत्र में नहीं , सो काल्ड जनतंत्र में जी रहे हैं तो भी कोरोना (Corona) के इस आपदाकाल में राम के भय की महिमा को याद कर लेना ही चाहिए।





इस समय “शिवराज” में भी ऐसा ही हो रहा है। कोरोना महामारी की आड़ में इस से भी खतरनाक कई वायरस पूरे समाज को प्रदूषित करने पर आमादा हो गए हैं। वे आक्सीजन सिलेंडर (Oxygen cylinder) की कृत्रिम कमी बना रहे हैं। कोरोना (Corona) से निपटने के लिए आवश्यक इंजेक्शन और दवाओं की कालाबाजारी (Black marketing of drugs) कर रहे हैं। कभी एक आधुनिक शैली वाली कविता की पंक्ति याद आ गई। लेखक ने कहा था, ‘…ईसा खुद सलीब ले के चौराहे पे आया था.. । ‘ यह तत्कालीन सामाजिक विद्रूपताओं का कविता में ढाला गया चेहरा था। आज अस्पतालों में जिस्म में कोरोना और हाथ में दवाई सहित अन्य उपकरण लेकर इलाज कराने जाते लोग क्या किसी दारुण कविता से कम हैं?

शिवराज जी (Shivraj ji), राज्य के कोविड सेंटर में तब्दील किये गए खासतौर से प्राइवेट संस्थानों में तो बहुत ही बुरी स्थिति है। सरकारी का हाल हमीदिया में रेमेडिसीविर इंजेक्शन (Remedicivir Injection) की चोरी की सूर्खियां बयान कर ही रही हैं। प्रायवेट अस्पताल, वो ठगी का अड्डा तो बहुत पहले से थे, कोरोना में तो उनका स्वरूप पिंडारियों के ठिकानों जैसा और भी अधिक भयावह हो गया है। मरीज को केवल बीमारी ही नहीं, बल्कि अपने साथ दवा और अन्य उपकरण भी लाने के लिए कहा जा रहा है। और ये सब श्रृंखलाबद्ध तरीके से किया जा रहा है। वह भी कुछ ऐसे, जिसे देख और सुनकर मारियो पुजो की दि गॉडफादर (The godfather) के माफिया समूह की याद भीतर तक सिहरा दे रही है। अस्पताल के रिसेप्शन काउंटर (Reception counter) से दुत्कारा गया मरीज और उसके परिजन फिर बाजार में जाते हैं। जहां लालच से भरे अनगिनत दैत्य उसकी जमा पूंजी को निगल जाने के लिए बैठे हुए हैं, वे मरीज को हर सामान कई-कई गुना अधिक कीमत में लेने के लिए विवश करते हैं। और अब तो वो भी हैं, जो मौत के इस तांडव के बीच नकली दवाएं बनाने का काम भी कर रहे हैं। आप ने सब जांचों के लिए अस्पतालों के रेट तय कर दिए लेकिन क्या हकीकत में ये सब हो रहा है?

शिवराज जी (Shivraj ji) ऐसे नरपिशाच और उनके द्वारा संचालित संस्थानों पर लगाम लगाने का समय आ गया है। यह आपदा का काल है। यहां सहज और सरल शिवराज के जुमले से काम नहीं चलेगा। वो करके बताओं जो आपने अपनी चौथी पारी में माफियाओं के लिए कहा है। जिंदा गाढ़ दूंगा…जोश में दिया भाषण नहीं हकीकत की मांग है। आपको बहुत सख्त होना होगा। हरेक प्राइवेट कोविड सेंटर को भी सीधे-सीधे और पूरी तरह सरकार के अधीन ले आइये। उनकी प्रत्येक गतिविधि में पारदर्शिता को पूरे कठोरता से लागू कीजिये। गोपाल भार्गव अगर कह रहे हैं कि हर कोविड अस्पताल (Covid Hospital) में सीसीटीवी (CCTV) का इंतजाम होना चाहिए तो इसे अमल में लाने में कोई बुराई नहीं है।





आप चौथी बार मुख्यमंत्री बने हैं और जाहिर है, यहां आपकी प्रतिष्ठा, आपकी साख दांव पर हैं। मामला केवल इन संस्थानों में रेट लिस्ट लगाने से ही नहीं सुलझेगा। कुव्यवस्था को व्यवस्था बनाना है तो फिर इन निजी संस्थाओं को पूर्णत: अपने नियंत्रण में लें। हैं तो आपके पास पुलिस मुख्यालय में बैठे ढेरों अफसर, ढेरों राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर, सब काम छोडिए, इस समय आदमी की जान की कीमत हैं और वो हैं आपके भरोसे। किस अस्पताल में किस दवा की कितनी/उपलब्धता है। जरूरी इंजेक्शन कितने हैं और उनकी कीमत कितनी है। सरकार तथा अन्य स्त्रोतों से वहां कितनी दवाएं और आक्सीजन पहुँची है और उनका लाभ कितने मरीजों को मिला है, इसका भी रिकॉर्ड तैयार करवाना आज की बहुत बड़ी जरूरत बन गए हैं। वरना तो रोज गिनते रहेंगे कि किस श्मशान में कितने लोग जले, और किस कब्रिस्तान में कितने दफन हुए।

शिवराज जी(Shivraj ji) , जरा सोचिये। जब आपकी सरकार आक्सीजन सिलेंडर (Oxygen cylinder) की उपलब्धता के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है तो फिर ऐसा क्यों कि राज्य में आॅक्सीजन का ही टोटा पड़ रहा है या उसकी कालाबाजारी हो रही है? जब आपने रेडमेसिवेर इंजेक्शन (Redmesiver Injection) की कमी दूर करने की दिशा में कई कदम उठाये हैं तो वह कौन लोग या हालात हैं, जिनके चलते आज भी लोगों के इस इंजेक्शन के अभाव में मरने की बात सामने आ रही है? क्यों ऐसा हो रहा है कि अस्पताल मरीज के परिजनों से इंजेक्शन की व्यवस्था के लिए कहा रहा है। कौन है जो इस सब की कालाबाजारी कर रहा है। शिवराज जी (Shivraj ji), ऐसा इसलिए हो रहा है कि व्यवस्था पर सख्त सरकारी अंकुश नहीं है।

 

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आप मंत्रियों को जिले बांट दो, या अलग-अलग जिम्मेदारी सौंप दों, आप बेहतर जानते हो कि पिछले ढाई दशक में जनप्रतिनिधियों और अफसरों में से कौन किस पर हावी रहा है। अब भी यह मौका है जब आप अपने कहे को इस दिशा में सख्त कदम उठा कर साबित करें। ताकि बहुत देर और बहुत ही अधिक बुरे हालात सामने आने से पहले ही स्थिति को सुधारा जा सके। विश्वास कीजिये कि अब आपके लिए गलत तत्वों के खिलाफ तीसरा नेत्र खोलने का समय आ गया है। वरना, समय ये याद नहीं रखेगा कि आप मध्यप्रदेश के सर्वाधिक कार्यकाल हासिल करने वाले मुख्यमंत्री हैं या फिर आप अकेले ऐसे नेता हैं जिन्होंने चौथी बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की शपथ ली है। इतिहास में सिर्फ यह दर्ज होगा कि भयावह आपदा काल की चुनौती में मध्यप्रदेश का सर्वाधिक कार्यकाल पूरा करने वाला मुख्यमंत्री भी असफल साबित हो गया था। किस पर दया कर रहे हैं? यह व्यवस्था के प्रति आपके क्रुर होने का समय है। सहजता और सरलता के लिए आपको इसके बाद लोग याद नहीं करेंगे।

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