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शिवराज दुरुस्त तो आये, लेकिन आये देर से

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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा है कि वह कोरोना की तीसरी लहर (third wave of corona) की आशंका खत्म न होने तक अपना स्वागत नहीं करवाएंगे। वजह वाजिब है। मुख्यमंत्री के स्वागत कार्यक्रम (welcome program) के चलते इंदौर में कोरोना गाइडलाइंस (corona guidelines) की धज्जियां उड़ा दी गयीं। जैसा कि हमेशा से होता आया है, इस राजनीतिक आयोजन से आम जनता को भी भारी परेशानी हुई। इसके लिए चौहान ने खेद भी जताया। स्वागत न कराने का निर्णय तथा खेद प्रकट करने के लिए निश्चित ही CM की प्रशंसा की जाना चाहिए।

इस कॉलम में मैंने कुछ दिन पहले ही लिखा था कि जब third wave of corona की आशंका है, तब राजनीतिक रैलियों (political rallies) का किया जाना भी उचित नहीं है। मुख्यमंत्री के इस रुख के बाद ऐसे स्वागत समारोहों पर भी दोबारा विचार करना जरूरी हो जाता है।  आपका किसी के प्रति सम्मान यदि बहुतों की असुविधा की वजह बन जाए, तो इसे उचित नहीं कहा जा सकता। ये सभी जानते हैं कि ये स्वागत खालिस रूप से अपनी राजनीति चमकाने और विशुद्ध चमचत्व की प्रतियोगिता में खुद को आगे रखने के लिए ही किये जाते हैं। भीड़ जुटाकर जय-जयकार करने वाले नेता इसे भले ही अपना सफल शक्ति प्रदर्शन मान लें, किन्तु यह शोशेबाजी हमारे लोकतान्त्रिक (democratic) मूल्यों की शक्ति का क्षरण करती है।

कोई भी ऐसी बात, जिससे आम जनता कष्ट महसूस करे, उसे रोका ही जाना चाहिए। इस लिहाज से शिवराज के लिए ‘दुरुस्त आयद’ वाली बात तो कही जा सकती है, लेकिन इसे ‘देर आयद’ की शिकायत से भी जोड़ा जा सकता है। ऐसा इसलिए कि मुख्यमंत्री ने यह पहल कुछ देर से की है। यदि शिवराज ने केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Union Minister Jyotiraditya Scindia), वीरेन्द्र खटीक (Virendra Khatik) की जन आशीर्वाद यात्रा को लेकर भी पार्टी के भीतर इसे रोकने का जतन किया होता तो ज्यादा बेहतर होता। ठीक है कि विपक्ष के विरोध और हंगामें के बीच PM अपनी केबिनेट के नए मंत्रियों का परिचय लोकसभा में नहीं करा सके। लेकिन कोरोना की भयावहता को तो प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi)और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दोनों ही बराबर जानते हैं। इस  लिहाज से यदि ये कार्यक्रम भी आयोजित नहीं होता तो तीसरी लहर की आशंका के बीच समय से उठाया गया सराहनीय कदम कहा जा सकता था।

क्योंकि इधर भाजपा (BJP) की आशीर्वाद रैली निकली और उधर जवाब में कांग्रेस (Congress) भी भारी भीड़ के धरने-प्रदर्शन के जरिये कोरोना के हिसाब से असुरक्षित वातावरण बनाने में जुट गयी। इससे स्थिति और बिगड़ी है। खासकर लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) का पालन करने की सरकार की अपील हास्यास्पद तथा निरर्थक साबित हो रही है। यदि सत्ताधारी दल तथा विपक्ष ही सुरक्षा के मापदंडों को नहीं अपनाएंगे तो फिर आम जनता से ऐसा करने की अपेक्षा भला किस तरह की जा सकती है? तो कुल जमा मामला यह कि यदि शिवराज सरकार (Shivraj government) इस दिशा में वाकई जनता का सहयोग चाहती है तो उसे उस साधु जैसा आचरण करना होगा, जिसने खुद गुड़ का त्याग करने के बाद एक बच्चे से इसका सेवन न करने के लिए कहा था। और ऐसा उस समय तो बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है, जब कम से कम अगले दो महीने तक त्यौहार या धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजनों पर सरकार और प्रशासन लोगों को घरों में ही रहने की सीख देंगे। त्यौहारों के दौर में कोरोना के लिहाज से सजगता तथा सादगी बरतने की चुनौती सरकार के लिए आज के मुकाबले और कई गुना बढ़ जाएगी। इसलिए सरकार और विपक्ष, दोनों को चाहिए कि अभी से अपने-अपने स्तर पर सोशल डिस्टेंसिंग के ऐसे उदाहरण पेश करें, जिनसे आम लोग भी इस दिशा में और अधिक प्रेरित किये जा सकें।

एक खास बात है। शिवराज ने कोरोना की तीसरी लहर के मुकाबले के लिए वैक्सीनेशन महा-अभियान (vaccination campaign) के माध्यम से काफी सकारात्मक पहल की है। इस अभियान की सफलता के लिए उन्होंने प्रदेश के लगभग सभी हिस्सों में पहुंचकर निश्चित ही लोगों के बीच जागरूकता का प्रसार किया बल्कि लोगों के बीच पहुंच कर उनका उत्साहवर्द्धन भी किया है। महा-अभियान को जिस तरह सफलता मिली, उससे भी काफी आशाजनक संकेत मिलते हैं। क्योंकि ऐसा करने से लोगों का वैक्सीनेशन के लिए उत्साह साफ बढ़ा है। अब आने वाला समय बहुत चुनौती वाला है, इसलिए ‘आपदा में भी राजनीतिक अवसर  तलाशने (To seek political opportunities even in disaster)’ की बुराई की बजाय ‘आपदा से पहले सभी की सुरक्षा के सु-अवसर तलाशने’ के लिए सभी को मिल-जुलकर काम करना होगा।

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