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बनासकांठा हादसा: देवास के 10 मजदूरों के शव पैतृक गांव रवाना, परिवार में पसरा मातम, पोस्टमार्टम के बाद भेजे जाएंगे और के शव

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देवास। गुजरात के बनासकांठा जिले मंगललवार को दिल दहला देने वाला हादसा हो गया है। यहां के डीसा में स्थित एक पटाखा फैक्ट्री में भयानक विस्फोट होने ने मध्यप्रदेश के 21 मजदूरों की मौत हो गई है। यह सभी मजदूर हरदा जिले हंडिया और देवास जिले खातेगांव के रहने वाले हैं। घटना के बाद से ही परिवार में मातम पसरा हुआ है। वहीं आज बुधवार को मृतकों के शव को मप्र लाया जा रहा है। देवास के 10 मजदूरों के शव गुजरात से उनके पैतृक गांव के लिए रवाना कर दिए गए हैं। वहीं हरदा के मजदूरों के शव पोस्टमॉर्टम के बाद भेजे जाएंगे।

जानकारी के अनुसार, घटना के समय मजदूर फैक्ट्री के अंदर काम कर रहे थे। तभी अचानक फैक्ट्री में जोरदार विस्फोट हुआ। इसमें बाद आग लग गई। विस्फोट उतना भयानक था कि कई मजदूरों के अंग कई मीटर दूर तक बिखर गए। फ ैक्ट्री के पीछे खेत में भी कुछ मानव अंग मिले हैं। हादसा मंगलवार सुबह 8 बजे बनासकांठा के नजदीक डीसा में हुआ। सभी मजदूर हरदा और देवास जिले के खातेगांव के रहने वाले थे। खातेगांव के संदलपुर के निवासी 10 मजदूर दर्दनाक मौत हो गई। इसमें 5 साल से लेकर 11 साल तक के 4 मासूम बच्चे भी शामिल हैं। इन सभी मृतकों का शव गुजरात से रवाना कर दिया गया और आज शाम को नेमावर में अंतिम संस्कार किया जाएगा। छह मृतक एक ही परिवार के हैं।

क्षत-विक्षत हालत में मिले शव
परिजनों ने आग्रह किया है कि शवों को आखिरी बार देखने के लिए गांव लाया जाए। उसके बाद अंतिम संस्कार के लिए नेमावर ले जाएं। अधिकारियों का कहना है कि शव क्षत-विक्षत हालत में हैं। परिजनों से बातचीत के बाद तय हुआ कि एंबुलेंस में ही अंतिम दर्शन करवाकर शवों को सीधे नेमावर घाट पर ले जाया जाएगा बता दें कि देवास जिला प्रशासन मंगलवार को ही बनासकांठा (गुजरात) के लिए रवाना हो गया था। प्रशासन की टीम आज सुबह पहुंच सकती है। वहीं पीड़ित मृतको के परिजनों से मंगलवार रात को खातेगांव विधायक आशीष भी मिलने पहुंचे। जिन्होंने परिवार को हर संभव मदद दिलाने का भरोसा दिलाया। वहीं खातेगांव एसडीएम प्रिया चंद्रावत, तहसीलदार अरविंद दिवाकर, टीआई विक्रांत झांझोट पीड़ित परिवारों से मिलने बुधवार सुबह एक बार फिर पहुंचे।

खत्म हो गया लखन का परिवार
संदलपुर की लालखेड़ी मोहल्ला भोपा कॉलोनी? में भोपा समाज के करीब 15-20 घर हैं। सात-आठ? महीने पहले तक ये लोग वाहन से घूमकर कुकर और? गैस सुधारने का काम करते थे। पहली बार गुजरात गए? और हादसे का शिकार हो गए। प्यारेलाल भोपा ने बताया, लखन मेरे काका? गंगाराम का लड़का था। एक ही परिवार के छह लोग थे। लखन, उसकी पत्नी सुनीताबाई, बहन राधा और रुकमा, छोटा भाई अभिषेक, मां शायराबाई भी हादसे का? शिकार हो गए। गंगाराम के परिवार में कोई नहीं बचा।

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