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अटकलों के कुटीर उद्योग पर फुल स्टॉप 

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निहितार्थ: कहते हैं कि श्री कृष्ण (Sri Krishna) जब अपनी मुरली की तान (melody of the flute) छेड़ते थे, तब पूरे ब्रह्माण्ड (whole universe) की बाकी आवाजें एक तरह से सन्नाटे में तब्दील हो जाती थीं। कृष्णजी का एक नाम मुरलीधर (murlidhar) भी है। एक मुरलीधर भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) की मध्यप्रदेश इकाई के इंचार्ज (Incharge of Madhya Pradesh unit) हैं। तो उनकी एक तान ने गुरुवार को असंख्य स्वरों को ठंडा कर दिया। राव ने इनडाइरेक्टली ( indirectly) ये डायरेक्ट सन्देश दे दिया कि मध्यप्रदेश में भाजपा (BJP) अगला विधानसभा चुनाव शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) की लीडरशिप (Leadership) में ही लड़ेगी। राव ने कहा कि भाजपा में चीजों को बदलने की एक तय पद्धति है। इस पार्टी में मीडिया मैनेजमेंट, परसेप्शन बनाने, लॉबिंग करने या फिर सोशल मीडिया की चर्चाओं से मुख्यमंत्री नहीं बदले जाते हैं।

राव ने जो कहा, उसमें नया कुछ भी नहीं था। भाजपा में किसी बड़े बदलाव की प्रोसेस (process) किसी भी बाहरी तत्व से प्रभावित नहीं हो सकती है। इस पार्टी के अपने तौर-तरीके हैं। फैसले लेने से पहले की एक बहुत लंबी प्रक्रिया चलती है। चीजों को तर्क-वितर्क और किन्तु-परन्तु के पलड़े पर तौला जाता है। तब कहीं जाकर बात अंतिम छोर तक पहुंचती है। तो ये सब इस दल में पहले से ही होता चला आ रहा है। जाहिर-सा सवाल है कि फिर राव को इस सबको दोहराने की क्या जरूरत थी? हो सकता है कि राव ने कई लोगों के मुगालते दूर करने के लिए सियासी राजनीति (political politics) के कोर्स के रिवीजन का काम किया हो। भोपाल में कुछ मीडियाकर्मी (media person) सीढ़ियांकर्मी बन गए हैं। वे बेनागा हर सुबह कुछ तयशुदा ठिकानों की सीढ़ियों पर नजर आते हैं। जहां राजनीतिक हस्तियों की किसी से मुलाकात को गांधी और नेहरू (Gandhi and Nehru) के बीच देश के हालात पर हुई चर्चाओं से अधिक तवज्जो देने की होड़ मची रहती है। यहीं से हरकत में आते हैं सोशल मीडिया के हरकारे। वे इन मुलाकातों या बयानों को सत्ता परिवर्तन से इस जूनून के साथ जोड़ते हैं गोया कि कोई युग परिवर्तन होने जा रहा हो।





तो हुआ यह कि इस तरह की मीडिया और सोशल मीडिया (social media) वाली फितरत ने मध्यप्रदेश भाजपा (Madhya Pradesh BJP) के कुछ बड़े चेहरों को गलतफहमी में ला दिया। वे पार्टी से जुड़ा अपना अभ्यास भूल गए। यह गलतफहमी पाल बैठे कि यदि मीडिया या सोशल मीडिया उन में मुख्यमंत्री बनने की संभावना देख रहा है तो फिर पार्टी के नेतृत्व को भी इसी तरह का नजरिया अपनाना ही होगा। तो इसी तरह की परिपाटी और उससे संतुष्ट पार्टीजनों को राव ने एक झटके में आइना दिखा दिया है।

इस कॉलम (column) में पहले भी लिखा जा चुका है कि शिवराज आज की तारीख में कहीं भी और किसी भी तरीके से कमजोर नहीं हैं। लेकिन ‘राजतिलक की करो तैयारी, अब है हमारे भैया की बारी’ (Prepare for the coronation, now it is our brother’s turn) वाली कम अक्लों की जमात के भेजे में इतनी-सी बात नहीं आ पा रही है। वे ये याद ही नहीं रखना चाहते कि उनकी आशाओं के ऐसे ही एक केंद्र को लॉबिंग के नाम पर कितनी घोर निराशा का सामना करना पड़ा था। खुद को शिवराज का विकल्प समझकर भरसक तरीके से मीडिया मैनेजमेंट, परसेप्शन बनाने, लॉबिंग करने या फिर सोशल मीडिया की चर्चाओं का सहारा लेने के बावजूद पार्टी नेतृत्व (party leadership) ने चौथी बार भी शिवराज के नाम पर ही भरोसा जताया। भाजपा में जो हुआ, ये एक बार फिर बताता है कि अन्य पार्टियों के मुकाबले ‘प्रायोजित’ किस्म की मुहिम और माहौल, दोनों से ही प्रभावित होने वाली यह पार्टी नहीं है। ऐसे में राव के कहे को नए मुख्यमंत्री की अटकलों वाला कुटीर उद्योग (cottage industry) चलाने वाले समझ जाएं तो यही उनके मानसिक स्वास्थ्य की सेहत के लिहाज से बेहतर होगा।

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