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शिवराज की बुधनी यात्रा, जमीनी पकछ़ का मजबूत करने की रणनीति

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केंद्रीय कृषि मंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अपने संसदीय क्षेत्र सीहोर-विदिशा में दो दिवसीय पदयात्रा की शुरुआत 25 मई से की है. वे सीहोर जिले के बुधनी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत भेरूंदा के दो दिवसीय दौरे पर हैं.

यह पदयात्रा भाजपा की जमीनी पकड़ को मजबूत करने की एक सोची-समझी रणनीति है. वे सीधे जनता से संवाद कर रहे हैं, केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं, जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, पीएम किसान सम्मान निधि, महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम, ग्रामीण सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता, डिजिटल इंडिया और स्वरोजगार से जुड़े कार्यक्रमों के लाभों को उजागर कर रहे हैं.

इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा की छवि को और मजबूत करना है, साथ ही उन लाभार्थियों से सीधा जुड़ना है जिन तक इन योजनाओं का लाभ पहुंचा है. मध्‍यप्रदेश का सीहोर-विदिशा उनका अपना संसदीय क्षेत्र है, जहां से उन्होंने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की है. इस पदयात्रा के माध्यम से वे अपनी पकड़ को और मजबूत करने के साथ-साथ केंद्र सरकार के ‘आत्मनिर्भर और विकसित भारत’ के संकल्प को जनता तक पहुंचा रहे हैं. यह पदयात्रा हफ्ते में दो दिन चलेगी और बाद में अन्य लोकसभा क्षेत्रों में भी विस्तारित की जाएगी, जिससे इसका प्रभाव पूरे राज्य में फैल सके.

शिवराज सिंह चौहान की यह पदयात्रा भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण चुनावी रणनीति का हिस्सा है. वे न केवल केंद्र सरकार की योजनाओं का प्रचार कर रहे हैं, बल्कि आगामी चुनावों के लिए भाजपा की जमीनी रणनीति को भी मजबूत कर रहे हैं. यह यात्रा ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा की पकड़ को मजबूत करने का प्रयास है, जहां प्रत्यक्ष संवाद से लोगों का विश्वास जीतने की कोशिश की जा रही है.हालांकि, कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के तीखे बयानों ने इस पदयात्रा को सीधे राजनीतिक बहस के केंद्र में ला दिया है.

कांग्रेस अब इस पदयात्रा को किसान मुद्दों से जोड़कर भाजपा को घेरने की कोशिश कर रही है. खासकर ऐसे समय में जब किसानों के बीच कुछ नाराजगी है, कांग्रेस इन सवालों को उठाकर भाजपा को मुश्किल में डालने का प्रयास करेगी. आने वाले हफ्तों में इस पदयात्रा का सियासी असर जनता की प्रतिक्रिया और विपक्ष के दबाव से तय होगा. यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इन आलोचनाओं का जवाब कैसे देती है और किसानों के बीच अपनी साख को कैसे मजबूत करती है. यदि सरकार किसानों के मुद्दों पर प्रभावी समाधान प्रस्तुत कर पाती है, तो यह पदयात्रा भाजपा के लिए लाभकारी सिद्ध होगी. अन्यथा, कांग्रेस इन मुद्दों को भुनाने का प्रयास करती रहेगी, जिससे मध्य प्रदेश की राजनीति में किसानों का मुद्दा हमेशा की तरह केंद्र में बना रहेगा.

 

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