नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश का हाथरस एक बार फिर चर्चा में है। इसकी बड़ी वजह यह है कि जिले के सकंदरा राव क्षेत्र में आयोजित एक ‘सत्संग’ के दौरान भगदड़ मचने से 121 लोगों की मौत हो गई है। जान गंवाने वालों में अधिकांशत: महिलाएं और सात मासूम बच्चे शामिल हैं। भगदड़ के दौरान मरने वालों में से 116 लोगों की पहचान कर ली गई है। इस इस सत्संग का आयोजन नारायण साकार हरि उर्फ साकार विश्व हरि और भोले बाबा ने कराया था। उनका सत्संग सुनने के लिए लगभग ढाई लाख लोगों की भीड़ उमड़ी थी। लेकिन ये नारायण साकार हरि कौन हैं, जिनका सत्संग स्थल मंगलवार को श्मशान घाट में तब्दील हो गया।
नारायण हरि उर्फ भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल है। वसूरजपाल का एटा जिले के बहादुरनगर गांव में जन्म हुआ। वह बचपन से ही अपने पिता के साथ खेती करता था। लेकिन इसके बाद वह पुलिस विभाग में भर्ती हो गया। लेकिन जब उसका पुलिस की नौकरी में मन नहीं लगा तो 18 सालों तक नौकरी करने के बाद उन्होंने वीआरएस ले लिया। कहा जाता है कि सूरजपाल का शुरूआत से ही अध्यात्म की तरफ झुकाव था। लेकिन 1990 के दशक में पुलिस विभाग की नौकरी छोड़ने के बाद वह पूरी तरह से इस ओर मुड़ गए। उन्होंने तभी से सत्संग कराना शुरू कर दिया। कुछ ही समय में नारायण सरकार हरि के बड़ी संख्या में अनुयायी हो गए।
बाबा के सत्संग में विशेषकर महिलाएं गुलाबी कपड़े पहनकर आती हैं और उन्हें भोले बाबा के नाम से पुकारती हैं। भोले बाबा की पत्नी को माताश्री कहा जाता है। सत्संग में दोनों एक साथ बैठते हैं। बाबा सत्संग मंच पर सफेद सूट पहनकर आते हैं। जूते भी सफेद ही पहनते हैं। उनका एक आश्रम बहादुर नगर में भी है और प्रतिदिन हजारों भक्त पहुंचते हैं। बाबा का मैनपुरी के बिछवा में भी आश्रम 30 एकड़ में फैला हुआ है। नारायण साकार हरि क्षेत्र में साप्ताहिक सभाएं आयोजित करते हैं, जिसमें काफी भीड़ उमड़ती है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश में बाबा के बड़ी संख्या में अनुयायी हैं। बाबा और उनके अनुयायी सोशल मीडिया से दूरी बनाकर चलते हैं।
क्यों पहनते हैं सफेद सूट और नीली टाई?
पुलिस विभाग से वीआरएस लेने के बाद नारायण हरि को सत्संग के समय हमेशा सफेद सूट और नीली टाई पहने देखा जा सकता है। वह अनुसूचित जाति समाज से आते हैं। इस वजह से वह प्रतीक के तौर पर इन विशेष रंगों को पहने दिखाई देते हैं। उनकी पत्नी अक्सर उनके साथ सत्संग के दौरान मंच पर बैठी नजर आती है। उनकी पत्नी को माताश्री कहा जाता है। नारायण हरि उर्फ भोले बाबा की कोई संतान नहीं है। बहादुर नगर में आश्रम खोलने के बाद गरीब और वंचित वर्ग के लोगों में उसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी। आज के समय में उनके लाखों अनुयायी हैं। वह सुरक्षा के लिए वॉलिंटेयर्स को रखते हैं, जो उनके सत्संग की सुरक्षा का पूरा इंतजाम करते हैं।
खुद को मानते हैं हरि का शिष्य
सूरजपाल के तीन भाइयों में से एक की आकस्मिक मौत हो गई थी, जिसके बाद उसने बहादुर नगर में अपने भाई के नाम पर एक ट्रस्ट शुरू किया। इनका आश्रम भी बहादुर नगर में ही है। वह मानव मंगल मिलन सद्भावना समागन के नाम से सत्संग का आयोजन करते रहे हैं। वह खुद को हरि का शिष्य बताते हैं। इस वजह से उन्होंने अपना नाम सूरजपाल से बदलकर नारायण साकार हरि कर दिया। वह अपने प्रवचन में अक्सर कहते रहे हैं कि साकार हरि पूरे ब्रह्मांड के मालिक हैं।
कोरोना काल में भी हुई थी लापरवाही
कोरोना के दौरान 2022 में सत्संगी बाबा ने उत्तर प्रदेश के फरुर्खाबाद में सत्संग का आयोजन किया था। जिला प्रशासन ने कोरोना के मद्देनजर उस समय सिर्फ पचास लोगों के सत्संग में शामिल होने की अनुमति थी। लेकिन उस समय नियमों की धज्जियां उधेड़ते हुए पचास हजार लोग सत्संग में शामिल हुए थे।
क्या हुआ था?
हाथरस में मंगलवार को मानव मंगल मिलन सद्भावना समागन नाम से नारायण हरि उर्फ भोले बाबा का सत्संग हुआ था। सत्संग खत्म होते ही जैसे बाबा की गाड़ी भीड़ के बीच से निकली, लोग उनकी तरफ दौड़े। इस भगदड़ में लोग एक के ऊपर एक गिरने लगे। बारिश की वजह से कीचड़ ने भी इस स्थिति को और बदतर कर दिया। चश्मदीद के अनुसार, फुलराई मैदान में खुले में सत्संग आयोजित हो रहा था। इसमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान से 50,000 से ज्यादा अनुयायी शामिल हुए थे। जैसे ही सत्संग समाप्त होने लगा, भक्त आगे बढ़कर बाबाजी के पास इकट्ठा हो गए। उनका आशीर्वाद और उनके पैरों की पवित्र धूल लेने लगे। ये लोग एक गड्ढे से होकर गुजर रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि शुरूआत में धक्का लगा और कुछ लोग गिर गए। उसके बाद जो गिरा, वो उठ नहीं पाया और भीड़ ऊपर से गुजरती चली गई। देखते ही देखते बड़ा हादसा हो गया। बाबा फिलहाल फरार हैं।