24.5 C
Bhopal

यूं बैठे-ठाले क्या हो रहा है ये?

प्रमुख खबरे

ये बैठे-ठाले अचानक क्या हो जाता है? शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी (Poet Shivmangal Singh ‘Suman’ ने लिखा था, इस जीवन में बैठे ठाले ऐसे भी क्षण आ जाते हैं। जब हम अपने से ही अपनी बीती कहने लग जाते हैं।’ मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में ऐसा ही दिख रहा है। राजनीति की बीती तारीख वाली पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती (Uma Bharti) और पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी (Kaptan Singh Solanki) के बीच बुद्धि-विलास शुरू हो गया है। उमा भारती ने मध्यप्रदेश में डंडे के जोर पर शराबबंदी (Prohibition) लागू करने की एक तरह से धमकी दे डाली है। इस पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा (VD Sharma) तो ‘वरिष्ठ नेत्री की बात पर विचार करेंगे’ कहकर परे सरक लिए, लेकिन कप्तान सिंह सोलंकी से न रहा गया। उन्होंने ट्वीट (Tweet) कर ‘लट्ठ’ के इस्तेमाल पर आपत्ति जता दी। फिर यह नसीहत भी दे दी कि ऐसे विचारों से हिंसा होती है। अब चुप रहना तो उमा भारती की भी तबीयत का हिस्सा नहीं है। तो उन्होंने प्रकारांतर से लाठी का मुंह सोलंकी की तरफ करते हुए दो टूक जवाब दिया, ‘मुझे लट्ठ शब्द का प्रयोग करने का जरा भी रंज नहीं है क्योंकि सरकार के द्वारा सख्त कानून या महिलाओं का शक्तिशाली अभियान ही शराबबंदी कराएगा।’ अब बुंदेलखंड (Bundelkhand) और भिंड (Bhind) के पानी की तासीर ही ऐसी है कि मामला तकरार में बदलते देर नहीं लगती है। यहां भी ऐसा ही होता दिख रहा है।
जिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) पर ही शराबबंदी का दारोमदार है, वह इस विषय पर चुप हैं। वह शराब के विरोधी हैं, लेकिन इस पर रोक लगाने के नतीजों से भी परिचित हैं। लिहाजा चौहान ने शराब की दुकानों की संख्या न बढ़ने वाली व्यवस्था करके ‘न तुम हारे, न हम हारे’ वाला बचाव का अग्रिम इंतजाम कर रखा है। यूं भी नशाबंदी व्यावहारिक फैसला नहीं है। इसे व्यवस्था के प्रति मेरा नकारात्मक रवैया न मानिये, किंतु गुजरात (Gujarat)  सहित बिहार (Bihar) में शराबबंदी केवल कागजों पर ही सीमित है। दोनों ही राज्यों में सुरमयी शाम पहले की ही भांति आज भी सुरामयी हो जाती है। अंतर केवल इतना कि इसके लिए अब पहले के मुकाबले कुछ ज्यादा पैसा देना होता है और सुरा के लिए असुर समान ‘खुल्लम-खुल्ला प्यार करेंगे’ वाले भावों का प्रकटीकरण नहीं हो पाता है। इस तरह गुजरात की रात आज भी तर होती है और बिहार में शराब माफिया की हार नहीं हो सकी है।
उमा भारती यदि प्रदेश में मुख्यमंत्री का पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा कर पातीं, तो शायद वर्तमान वाली शराबबंदी की इस इच्छा को वह अतीत में अमल में ले भी आतीं। लेकिन विधि का विधान कुछ और ही रहा। न मुख्यमंत्री रहते हुए वह ऐसा कर सकीं और न ही केंद्र में मंत्री होने के बावजूद उनका तत्कालीन मंत्रालय मां गंगा (River Ganges) की सफाई में सफल हुआ। तो यदि वर्तमान मलाल शराबबंदी लागू न करवा पाने का है तो फिर उम्मीद की जाना चाहिए कि भूतकाल का दंश भविष्यकाल में गंगा के गुनहगारों के लिए भी ‘लट्ठ’ वाली इच्छा के रूप में सामने आएगा।
बहरहाल, उमा भारती ने सोलंकी को दागे जवाबिया ट्वीट में नशाबंदी के लिए दो विकल्प स्थापित कर दिए हैं। या तो सख्त कानून और या फिर महिलाओं का शक्तिशाली अभियान। भारती कानून की हिमायती हैं। इधर अदालत ने उमा भारती के खिलाफ वारंट जारी किया था और उधर उन्होंने मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया। हालांकि इस चर्चा का आज तक कोई पुरजोर खंडन नहीं हो सका है कि पद छोड़ने के पीछे अदालत के आदेश की बजाय वह आवेश मुख्य फैक्टर था, जो अंततः उमा भारती की उस सफल पारी की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बन गया था। यूं तो उमा भारती गप्पें हांकने से परहेज करती हैं, किंतु इस्तीफ़ा देने के निर्णय के लिए तब यह भी कहा गया था कि वह संघ तथा भाजपा के दिग्गज नेताओं को ‘हांकने’ की जुर्रत कर आत्मघाती कदम उठा बैठी थीं। फिर महिलाओं के लिए उमा भारती के विश्वास को सभी जानते हैं। रिश्वत लेते पकड़े गए किसी अफसर की हिरासत में मौत के बाद उसकी पत्नी को यदि फर्स्ट क्लास अफसर बना दिया जाए तो यह भी अपने किस्म की विलक्षण नारी शक्ति में वृद्धि का ही प्रतीक है। अब यह बात और है कि इस फैसले को क्षेत्रवाद से भी जोड़ दिया गया था।
आइए सुमन जी का फिर सुमिरन कर लें। ‘अपने से ही अपनी बीती कहने’ कहने वाली बात के माध्यम से। ‘बीती ताही बिसार दे’ सुनाने के लिहाज से बहुत सही सीख है, लेकिन इसे स्वयं पर अपनाना नाना प्रकार के कारणों से असंभव हो जाता है। फिर जब आपबीती का मामला जबरदस्त रुसूख़ वाले गुजरे दौर से अप्रासंगिक हो जाने की हद तक वाले खराब वर्तमान तक पहुंच जाए, तो बीते दिनों की कसमसाहट कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है। कोई अब मुख्यमंत्री नहीं है। किसी के सियासी वर्तमान का रास्ता अब सिर्फ और सिर्फ मार्गदर्शक मंडल की तरफ ही जा रहा है। भोपाल के 6 श्यामला हिल्स (6 Shyamala Hills, Official residence of Chief Minister in Madhya Pradesh)  से लेकर हरियाणा (Haryana) के राजभवन वाले दिन हवा हो चुके हैं। अब वो हवा ही हिस्से में रह गयी है, जो बकौल कैफ़ी आजमी (Kaifi Azmi)  ‘आज की रात बहुत गर्म हवा चलती है‚ आज की रात न फुटपाथ पे नींद आएगी…’ वाली शक्ल ले चुकी है। क्या ऐसी रातों के गम को किसी लट्ठ से पीट-पीटकर दूर किया जा रहा है और या फिर मामला धूल में लट्ठ चलाकर ही अपने अफ़सोस को खदेड़ने का है!

- Advertisement -spot_img

More articles

- Advertisement -spot_img

ताज़ा खबरे