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फिर कर सकेंगे चीतों का दीदार, एक अक्टूबर से खुलेंगे कूनो के दरवाजे, बड़े बाड़े में छोड़े जा सकते हैं चीते भी

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श्योपुर। केंद्र सरकार के निर्देशानुसार 1 जुलाई से 30 सितम्बर तक सभी राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटकों का प्रवेश प्रतिबंधित रहता है। इसी के चलते श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क के दरवाजे भी पर्यटकों के लिए एक जुलाई से बंद कर दिए गए थे। पर अब मांगलवार यानि एक अक्टूबर से कूनो नेशनल पार्क में पर्यटकों की आवाजाही एक बार फिर से शुरू हो जाएगी। पर्यटकों के लिए इस नेशनल पार्क के गेट खोले जाने के साथ-साथ प्रशासन बड़े बाड़ों में करीब एक साल से बंद चीतों को भी खुले वन में छोड़े जाने पर मंथन कर रहा है। सूत्रों की मानें तो प्रबंधन ने अक्टूबर माह में ही कुछ चीतों को बाड़ों से खुले वन में छोड़े जाने की तैयारी कर ली है और इसके लिए कूनो पार्क प्रबंधन को केंद्र और राज्य सरकारों से हरी झंडी भी मिल चुकी है।

पार्क के खुलने से पूर्व प्रबंधन ने रास्तों को ठीक करना शुरू कर दिया है, स्थानीय परिस्थितियां अनुकूल मिलने पर कूनो प्रशासन चीते खुले जंगल में रिलीज भी कर सकता है। फिलहाल यह तय नहीं किया है कि शुरूआती चरण में कितने चीते खुले जंगल में छोड़े जाएंगे पर यह तय है की दो या तीन चीते अथवा परिवार के साथ रह रहे दो से अधिक चीते भी एक साथ बाड़े से रिलीज किए जा सकते हैं, पूर्व के दुखद अनुभवों को देखते हुए कूनो प्रशासन इस मामले में कोई रिश्क भी नहीं लेना चाहता है जिसके चलते सभी चीतों को फिलहाल एक साथ या जल्द जल्द चरण वाइज खुले जंगल में नहीं छोडा जाएगा।

बाड़ों से मिलेगी निजात, जंगल बनेगा चीतों का घर
बहरहाल अब वह समय दूर नहीं, जब कूनो के साथ ही अन्य नेशनल पार्कों में बनाए जा रहे नए वाइल्डलाइफ कॉरिडोर में भी ये चीते घूमते दिखाई देंगे। जिसका मतलब है कि समय के साथ चीतों का कुनबा भी बढ़ेगा और वे अलग-अलग इलाकों के जंगलों को अपना घर भी बना सकेंगे यानि बाड़ों से मुक्ति के साथ ही चीते न सिर्फ़ खुले वन में विचरण करेगें बल्कि अब सीमाओं की बंदिशे भी उनके सामने नहीं होगी।

करीब दो साल से बाड़ों में बंद चीतों के पालतू होने का डर
2 साल का लंबा इंतजार और बाड़े में बंद चीतों के लिए आजादी का समय अब नजदीक आ रहा है। वैसे तो कूनो में बने बाड़ों में एक साल से 23 चीते (वयस्क और शावक) बंद हैं लेकिन इनमें से व्यस्क चीतों को समय समय पर खुले वन में छोड़ा जाता रहा है पर बार बार अभ्यारण्य की सीमा को लांघने और संक्रमण एवं आपसी संघर्ष में हुई मौत के बाद इन्हें वापस बाड़ों में डाल दिया गया। एक साल से ये चीते न सिर्फ बालों में बंद है बल्कि इन प्राकृतिक शिकार करने के बजाय भैंसे का कटा हुआ मांस भरोसा जा रहा है। बाड़ों में बंद चीते पालतू ना बन जाए इस डर से कूनो प्रशासन बाड़ों के भीतर इन्हें शिकार करने की गरज से जिंदे बकरे भी डाल रहा है। इसके बावजूद कूनो प्रशासन को डर है कि लंबे समय से बाड़े में बंद चीते कहीं पालतू ना बन जाए और जंगल के प्राकृतिक शिकार की प्रक्रिया को ही ना भूल जाए। यही डर अब कूनो प्रशासन और केंद्रीय समिति को चीतों को वापस जंगल में भेजने के लिए उतावला बनाए हुए हैं। सब ठीक रहा तो एक-एक कर सभी चीतों को बाड़े की कैद से आजादी मिल जाएगी। फिर कूनो नेशनल पार्क के जंगलों में यह चीते अपना जीवन स्वच्छंद वातावरण में जिएंगे और इस प्रोजेक्ट को सफलता की ओर ले जाएंगे।

शावकों के साथ रह रही मादा चीता फिलहाल बाड़े में रहेंगी
हालांकि कूनो पार्क प्रबंधन ने सभी चीतों को जितनी जल्द संभव हो सके बाडों से निकाल कर खुले वन में छोड़ने की तैयारी पूरी कर ली है चरण बद्ध तरीके से बाडों से निकाल कर चीतों को खुले जंगल में छोड़ा जाएगा लेकिन कूनो में रह रही तीन मादा चीतों को फिलहाल जंगल में छोड़ने के फैसले से दूर रखा गया है, क्योंकि यह मादाएं अपने शावकों के साथ हैं। हालांकि नर चीतों से शावकों को कोई खतरा नहीं है वह शेरों की तरह दूसरे नरों से पैदा हुए शावकों की हत्या नहीं करते हैं, लेकिन कूनो के जंगल में बड़ी संख्या में तेंदुए, भेड़िए और जंगली कुत्ते मौजूद है जो मादा चीता के साथ विचरण करने निकले नन्हे शावकों को आसान शिकार बना सकते हैं।

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