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अडाणी पर लगे आरोप निराधार, कंपनी ने दिया बड़ा बयान: वकीलों ने भी संभाला मोर्चा

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नई दिल्ली । अमेरिका द्वारा भारत के जानेमाने कारोबारी और अरबपति गौतम अदाणी, उनके भतीजे सागर अदाणी और उनकी कंपनी पर लगाए गए रिश्वतखोरी के आरोपों पर अडाणी ग्रीन एनर्जी की ओर से बड़ा बयान सामने आया है। दरअसल कंपनी ने रिश्वतखोरी से जुड़ी सभी खबरों को निराधार करार दिया है। अदाणी समूह ने बुधवार को कहा कि अमेरिकी भ्रष्टाचार प्रैक्टिस एक्ट (एफसीपीए) के तहत आरोप लगाए जाने की खबरों में कोई सच्चाई नहीं हैं। कंपनी ने कहा कि गौतम अदाणी और उनके भतीजे पर रिश्वतखोरी के एक मामले में अमेरिकी अधिकारियों की ओर से कोर्ट में दायर अभियोग में अमेरिकी विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (एफसीपीए) के किसी भी उल्लंघन का आरोप नहीं लगाया गया है। वहीं देश के सबसे बड़े वकील और पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा है कि अमेरिकी जांच में जो आरोपपत्र है उसमें गौतम अडानी पर आरोप नहीं लगाए गए हैं।

ज्ञात हो कि गौतम अदाणी, सागर अदाणी और विनीत जैन के खिलाफ अमेरिका के मामले में न्याय विभाग की ओर से न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के संयुक्त राज्य जिला न्यायालय के सामने एक आपराधिक अभियोग दायर किया गया है। कंपनी ने कहा कि अभियोग में किसी भी जुर्माने या दंड को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है। यानी कितनी सजा का प्रावधान है या कितने जुर्माने का प्रावधान है? यह तय नहीं किया गया है। बता दें कि इससे पहले भी अदाणी समूह ने अमेरिकी न्याय विभाग और अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग की ओर से अदाणी ग्रीन के निदेशकों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। कंपनी ने सभी आरोपों को निराधार बताया था। अदाणी समूह ने कहा था, ‘स्वयं अमेरिकी न्याय विभाग ने कहा है कि अभियोग में आरोप हैं और प्रतिवादियों को तब तक निर्दोष माना जाता है, जब तक कि वे दोषी साबित न हो जाएं। मामले में हरसंभव कानूनी सहारा लिया जाएगा।’ वहीं अब एक बार फिर कंपनी ने रिश्वतखोरी के आरोपों को निराधार बताया दिया है।

यह बोली कंपनी
अडानी ग्रीन की ओर से ये जानकारी बुधवार को स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में भी दी गई है। इसमें कहा गया है कि गौतम अडानी, सागर अडानी या विनीत जैन पर नहीं, बल्कि अमेरिकी न्याय विभाग के अभियोग में केवल Azure और CDPQ अधिकारियों पर रिश्वतखोरी का आरोप लगाया गया है और अडानी ग्रुप की कंपनी के अधिकारियों पर रिश्वतखोरी या भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाली सभी रिपोर्ट्स में गलत दावे किए गए हैं। फाइलिंग में कहा गया कि इन निदेशकों पर आपराधिक अभियोग में तीन मामलों में आरोप लगाए गए हैं, पहला- कथित प्रतिभूति धोखाधड़ी की साजिश, दूसरा- कथित वायर धोखाधड़ी की साजिश, और तीसरा- कथित प्रतिभूति धोखाधड़ी। अदाणी समूह ने सभी आरोपों से इनकार करते हुए कहा है कि वह अपने बचाव के लिए हर संभव कानूनी कदम उठाएगा।

मुकुल रोहतगी ने क्या कहा?
इस मामले को लेकर बुधवार को पूर्व अटॉर्नी जनरल और वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि मैं अडानी ग्रुप के प्रवक्ता के तौर पर नहीं बोल रहा हूं, लेकिन इस पूरे अभियोग में 5 आरोप या धाराएं शामिल हैं, जिनमें से धारा 1 और 5 सबसे ज्यादा अहम हैं और दोनों में ही गौतत अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी आरोप नहीं लगाए गए हैं। रोहतगी ने आगे कहा कि गौतम अडानी या सागर अडानी दोनों पर ही FCPA के तहत आरोप नहीं लगे हैं, जो भारत के भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की तरह है। धारा-5 के तहत जो आरोप लगाए गए हैं, उनमें इन दोनों का नहीं, बल्कि कुछ विदेशी व्यक्तियों का नाम शामिल है।

आरोप पत्र में विदेशी व्यक्तियों के नाम
वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी के मुताबिक, आरोपपत्र में यह स्पष्ट रूप से बताना होता है कि उस व्यक्ति ने ऐसा कृत्य किया है। जिस तरह के आरोप लगाए गए हैं कि अडानी की ओर से भारतीय संस्थाओं को रिश्वत दी गई है, लेकिन आरोपपत्र में एक भी नाम नहीं दिख रहा है और न ही ये दिखाया गया है कि किस तरह से उन्हें रिश्वत दी गई, वे किस विभाग से संबंधित हैं। उन्होंने कहा कि मुझे यकीन है कि गौतम अडानी और उनकी कंपनी अमेरिकी वकीलों से इस संबंध में कानूनी सलाह लेंगे। काउंट 1 और 5 में कई अन्य संस्थाओं के नामों को शामिल किया गया हैं, यह अडानी की ओर से स्पष्ट करना है कि वे इन व्यक्तियों से जुड़े हैं या नहीं।

महेश जेठमलानी बोले- कोई सबूत नहीं
इसके अलावा गौतम अडानी के खिलाफ रिश्वत खिलाने के आरोप के मुद्दे पर वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने अपनी राय रखी और कहा कि अभियोग पत्र में भारत में किसी रिश्वतखोरी की बात नहीं की गई है। आरोप केवल यह है कि रिश्वत देने की साजिश रची गई थी। भारत में कानून के उल्लंघन का कोई सबूत पेश नहीं किया गया है।

क्या है पूरा मामला?
बता दें, न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में सुनवाई के दौरान गौतम अडानी की कंपनी पर वर में निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने और एक सोलर एनर्जी कॉन्ट्रेक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को मोटा रिश्वत देने का आरोप लगाया गया है। आरोप है कि 2020 से 2024 के बीच अडानी ग्रीन और एज्योर पावर ग्लोबल को ये सोलर प्रोजेक्ट दिलाने के लिए गलत रूट से भारतीय अधिकारियों 265 मिलियन डॉलर (करीब 2236 करोड़ रुपये) को रिश्वत दी गई। यही नहीं, रिश्वत वाली बात अमेरिकी कंपनी यानी एज्योर पावर ग्लोबल से छुपाई गई। इस कॉन्ट्रेक्ट के जरिए 20 साल में दो अरब डॉलर से ज्यादा मुनाफे का अनुमान लगाया गया था और इसका लाभ लेने के लिए झूठे दावे करते हुए लोन और बॉन्ड्स जुटाए गए। हालांकि इन आरोपों के बाद तत्काल स्टेटमेंट जारी करते हुए अडानी ग्रुप ने अमेरिकी जांच एजेंसी के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था और कहा था कि आरोप निराधार है, ग्रुप हर फैसला कानून के दायरे में लेता है।

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